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MP Seat Scan Maharajpur: जातीय समीकरणों में उलझी महाराजपुर विधानसभा सीट पर वापसी की कोशिश में भाजपा, जानें सियासी समीकरण

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 9, 2023, 9:32 PM IST

Maharajpur Vidhan Sabha Seat: चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे छतरपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट के बारे में, आइए जानते हैं इस सीट का पूरा समीकरण...

MP Seat Scan Maharajpur
महाराजपुर विधानसभा सीट

छतरपुर। छतरपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा की बात करें तो महाराजपुर की पहचान यहां होने वाली पान की खेती से होती है. एक समय था कि महाराजपुर का पान पूरे देश में मशहूर था, इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश तक महाराजपुर के पान की चर्चा थी और बड़े पैमाने पर निर्यात होता था, लेकिन भारत पाकिस्तान के संबंधो में कभी नरमी तो कभी गरमी के चलते धीरे-धीरे पान का व्यावसाय दोनों देशों के बीच बंद हो गया. अब यहां का पान की खेती और व्यावसाय धीरे-धीरे सरकारी नीतियों के चलते धीरे-धीरे दम तोड रहा है और महाराजपुर की पहचान खोती जा रही है.

महाराजपुर विधानसभा सीट का इतिहास: महाराजपुर विधानसभा चार बडे कस्बों को मिलाकर बनी है, इस विधानसभा में महाराजपुर, गढी मलहरा और नौगांव से मिलकर बनी है. महाराजपुर जहां अपनी पान की खेती के लिए मशहूर है, तो नौगांव अंग्रेजों के जमाने की बड़ी छावनी के रूप में चर्चित है. बुंदेला विद्रोह के बीच अंग्रेजों ने नौगांव में फौज रोकने के लिए छावनी की स्थाापना की, छावनी स्थापना के बाद नौगांव को व्यवस्थित बसाने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया. आज भी लोग नौगांव के व्यवस्थित बसाहट देखकर अंचभित रह जाते हैं, 1961 से लेकर महाराजपुर विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी और 2008 में ये विधानसभा अनारक्षित श्रेणी में आ गयी है.

Maharajpur Vidhan Sabha Seat
महाराजपुर विधानसभा सीट का इतिहास

महाराजपुर विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम: महाराजपुर विधानसभा करीब 47 साल तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने के बाद 2008 में अनारक्षित हो गयी, 2008 के बाद तीन चुनाव में दो बार मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा चुनाव जीते हैं. 2008 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता, तो 2013 में वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते और 2018 में कांग्रेस के नीरज दीक्षित से करारी हार का सामना करना पडा, महाराजपुर में अनुसूचित जाति वोट बैंक के कारण बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव देखने मिलता है.

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2008 का रिजल्ट: परिसीमन के बाद पहली बार अनारक्षित हुई महाराजपुर सीट से मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा ने जीत हासिल की, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के गुड्डन पाठक को 1391 वोटों से हराया. इस चुनाव में निर्दलीय मानवेन्द्र सिंह को 19 हजार 413 वोट मिले, तो भाजपा के उम्मीदवार गुड्ढन पाठक के लिए 18 हजार 22 मत मिले.

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2013 का रिजल्ट: 2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मानवेन्द्र सिंह ने महाराजपुर से जीत हासिल की, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लडा और 45 हजार 816 वोट हासिल हुए. उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार बसपा के राकेश पाठक को 15 हजार 721 मतों से हराया, राकेश पाठक को 30 हजार 95 मत मिले. इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.

Maharajpur assembly constituency
महाराजपुर विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2018 में मानवेन्द्र सिंह को करारी हार का सामना कांग्रेस उम्मीदवार नीरज दीक्षित से करना पड़ा. 2018 विधानसभा चुनााव में काांग्रेस के नीरज दीक्षित के लिए 52 हजार 461 मत हासिल हुए, तो भाजपा के प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह के लिए 38 हजाह 456 मत मिले. इस तरह नीरज दीक्षित 14 हजार 5 मतों से चुनाव जीत गए.

political equation of maharajpur vidhan sabha seat
महाराजपुर विधानसभा सीट के मतदाता

महाराजपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण: महाराजपुर विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां अनुसूचित जाति, ब्राह्मण और चौरसिया मतदाता काफी संख्या में है. यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 30 हजार है, इसके अलावा चौरसिया मतदाता भी करीब 20 से 25 हजार की संख्या में है. अनुसूचित जाति और ब्राह्मण मतदाता यहां निर्णायक स्थिति में होते हैं, इसके अलावा राजपूत मतदाता भी 15 से 20 हजार की संख्या में है.

इन सीट स्कैन को भी जरूर पढ़ें:

महाराजपुर विधानसभा सीट के प्रमुख मुद्दे: महाराजपुर विधानसभा की बात करें तो यहां का प्रमुख मुद्दा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार है, यहां की पान की खेती और व्यावसाय बर्बादी की कगार पर है. पिछले चुनाव में पान किसानों को राहत देने के लिए कांग्रेस ने विशेष सुविधाएं देने का वादा कियाा था, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी पान विकास निगम बनाने का एलान किया था. दूसरी तरफ कोई बडा उद्योग नही होने के कारण यहां पर रोजगार की बडी समस्या है और यहां के लोग भी पलायन के लिए मजबूर है.

महाराजपुर विधानसभा सीट के दावेदार: महाराजपुर विधानसभा के लिए प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस की बात करें, तो भाजपा ने यहां पहले ही कामाख्या सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. भाजपा ने एक बार फिर मानवेन्द्र सिंह परिवार पर भरोसा जताया है, लेकिन उनके बेटे कामाख्या सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से मौजूदा विधायक नीरज दीक्षित का दावा काफी मजबूत है, दूसरी तरफ पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि चतुर्वेदी भी टिकट की दौड में शामिल है.

छतरपुर। छतरपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा की बात करें तो महाराजपुर की पहचान यहां होने वाली पान की खेती से होती है. एक समय था कि महाराजपुर का पान पूरे देश में मशहूर था, इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश तक महाराजपुर के पान की चर्चा थी और बड़े पैमाने पर निर्यात होता था, लेकिन भारत पाकिस्तान के संबंधो में कभी नरमी तो कभी गरमी के चलते धीरे-धीरे पान का व्यावसाय दोनों देशों के बीच बंद हो गया. अब यहां का पान की खेती और व्यावसाय धीरे-धीरे सरकारी नीतियों के चलते धीरे-धीरे दम तोड रहा है और महाराजपुर की पहचान खोती जा रही है.

महाराजपुर विधानसभा सीट का इतिहास: महाराजपुर विधानसभा चार बडे कस्बों को मिलाकर बनी है, इस विधानसभा में महाराजपुर, गढी मलहरा और नौगांव से मिलकर बनी है. महाराजपुर जहां अपनी पान की खेती के लिए मशहूर है, तो नौगांव अंग्रेजों के जमाने की बड़ी छावनी के रूप में चर्चित है. बुंदेला विद्रोह के बीच अंग्रेजों ने नौगांव में फौज रोकने के लिए छावनी की स्थाापना की, छावनी स्थापना के बाद नौगांव को व्यवस्थित बसाने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया. आज भी लोग नौगांव के व्यवस्थित बसाहट देखकर अंचभित रह जाते हैं, 1961 से लेकर महाराजपुर विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी और 2008 में ये विधानसभा अनारक्षित श्रेणी में आ गयी है.

Maharajpur Vidhan Sabha Seat
महाराजपुर विधानसभा सीट का इतिहास

महाराजपुर विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम: महाराजपुर विधानसभा करीब 47 साल तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने के बाद 2008 में अनारक्षित हो गयी, 2008 के बाद तीन चुनाव में दो बार मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा चुनाव जीते हैं. 2008 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता, तो 2013 में वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते और 2018 में कांग्रेस के नीरज दीक्षित से करारी हार का सामना करना पडा, महाराजपुर में अनुसूचित जाति वोट बैंक के कारण बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव देखने मिलता है.

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2008 का रिजल्ट: परिसीमन के बाद पहली बार अनारक्षित हुई महाराजपुर सीट से मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा ने जीत हासिल की, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के गुड्डन पाठक को 1391 वोटों से हराया. इस चुनाव में निर्दलीय मानवेन्द्र सिंह को 19 हजार 413 वोट मिले, तो भाजपा के उम्मीदवार गुड्ढन पाठक के लिए 18 हजार 22 मत मिले.

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2013 का रिजल्ट: 2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मानवेन्द्र सिंह ने महाराजपुर से जीत हासिल की, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लडा और 45 हजार 816 वोट हासिल हुए. उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार बसपा के राकेश पाठक को 15 हजार 721 मतों से हराया, राकेश पाठक को 30 हजार 95 मत मिले. इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.

Maharajpur assembly constituency
महाराजपुर विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट

महाराजपुर विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2018 में मानवेन्द्र सिंह को करारी हार का सामना कांग्रेस उम्मीदवार नीरज दीक्षित से करना पड़ा. 2018 विधानसभा चुनााव में काांग्रेस के नीरज दीक्षित के लिए 52 हजार 461 मत हासिल हुए, तो भाजपा के प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह के लिए 38 हजाह 456 मत मिले. इस तरह नीरज दीक्षित 14 हजार 5 मतों से चुनाव जीत गए.

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महाराजपुर विधानसभा सीट के मतदाता

महाराजपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण: महाराजपुर विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां अनुसूचित जाति, ब्राह्मण और चौरसिया मतदाता काफी संख्या में है. यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 30 हजार है, इसके अलावा चौरसिया मतदाता भी करीब 20 से 25 हजार की संख्या में है. अनुसूचित जाति और ब्राह्मण मतदाता यहां निर्णायक स्थिति में होते हैं, इसके अलावा राजपूत मतदाता भी 15 से 20 हजार की संख्या में है.

इन सीट स्कैन को भी जरूर पढ़ें:

महाराजपुर विधानसभा सीट के प्रमुख मुद्दे: महाराजपुर विधानसभा की बात करें तो यहां का प्रमुख मुद्दा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार है, यहां की पान की खेती और व्यावसाय बर्बादी की कगार पर है. पिछले चुनाव में पान किसानों को राहत देने के लिए कांग्रेस ने विशेष सुविधाएं देने का वादा कियाा था, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी पान विकास निगम बनाने का एलान किया था. दूसरी तरफ कोई बडा उद्योग नही होने के कारण यहां पर रोजगार की बडी समस्या है और यहां के लोग भी पलायन के लिए मजबूर है.

महाराजपुर विधानसभा सीट के दावेदार: महाराजपुर विधानसभा के लिए प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस की बात करें, तो भाजपा ने यहां पहले ही कामाख्या सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. भाजपा ने एक बार फिर मानवेन्द्र सिंह परिवार पर भरोसा जताया है, लेकिन उनके बेटे कामाख्या सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से मौजूदा विधायक नीरज दीक्षित का दावा काफी मजबूत है, दूसरी तरफ पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि चतुर्वेदी भी टिकट की दौड में शामिल है.

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