छतरपुर। खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है. ये खजुराहो का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है. जहां भगवान शिव की पूजा हर रोज की जाती है. ऐसा माना जाता है कि खजुराहो पुराने समय में शिव नगरी के नाम से जाना जाता था और यहां लगभग 8 से 10 मंदिर भगवान शिव के थे, लेकिन आक्रमणकारियों ने मंदिरों को खंडित कर दिया.
19 फीट ऊंची है शिवलिंग
इस मंदिर का निर्माण 950 से लेकर 1002 ईसवी के दौरान हुआ है. मंदिर के गर्भ गृह में वृत्ताकार शिवलिंग हैं. जो 8 फुट 4 इंच नीचे है और उतना ही लगभग ऊपर है. शिवलिंग करीब 19 फीट ऊंची है. इसकी मोटाई लगभग 3.8 धीरे वाला है. इस शिवलिंग को मृत्युंजय महादेव के नाम से जाना जाता है.
ये है मंदिर के पीछे की प्रसिद्ध कहानी
मंदिर के पीछे की एक कहानी ये भी है कि इस मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग सदियों से लगातार एक इंच हर साल बढ़ता था, लेकिन लगातार शिव लिंग बढ़ने की वजह से शिवलिंग के ऊपर सोने की एक कील ठोक दी गई ताकि ये शिवलिंग आगे ना बढ़े और मंदिर में ही सीमित रह जाए.
मणि पर स्थापित है शिवलिंग
इस मंदिर के पीछे की एक मान्यता ये भी है कि इस शिवलिंग की नीचे मरकत मणि मौजूद है. यही वजह है कि जब भी सच्चे मन से कोई भक्त भगवान शिव के इस शिवलिंग को धोता है, तो उसे झनझनाहट सी महसूस होती है. जो इस बात का प्रतीक है कि इस शिवलिंग के नीचे मरकत मणि मौजूद है.
ऐसे पड़ा मतंगेश्वर मंदिर का नाम
कहा जाता है कि यहा हर भक्त की मनोकामना पूरी होती. यहीं वजह है कि इसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. रोज शाम 6 बजे यहां भगवान शिव की भव्य आरती की जाती है और अन्य त्योहारों में यहां पर भगवान शिव को विशेष तैयार कर उनकी महा आरती होती है. शुभरात्रि के दिन इस मंदिर की छटा निराली होती है. देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते हैं
मंदिर के पुजारी प्रदीप गौतम बताते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार के लोग इस मंदिर की पूजा अर्चना करते हुए आ रहे हैं. मंदिर के पीछे कई कहानियां मौजूद हैं. लोगों की इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है.