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छतरपुर में एक ऐसा गांव जहां रहते हैं सिर्फ एक ही जाति के लोग, जाने क्या है पूरी वजह

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Published : Sep 7, 2019, 10:14 AM IST

छतरपुर जिले में खटोला एक ऐसा गांव है जहां पिछले 500 सालों से एक ही जाति के लोग रहते है. आखिर ऐसी क्या वजह पढ़िये पूरी खबर

छतरपुर जिले के खटोला गांव में रहते हैं एक ही जाति के लोग

छतरपुर। जिले से लगभग 7 किलोमीटर दूर खटोला एक ऐसा गांव है. जो पिछले 500 सालों से अपने आप में एक रहस्य बना हुआ है. लोगों का मानना है कि गांव में देवी का वरदान है. जिस वजह से सिर्फ एक ही जाति के लोग इस गांव में रह पाते हैं.

छतरपुर जिले के खटोला गांव में रहते हैं एक ही जाति के लोग

अगर इस गांव में कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति रहने की कोशिश करता है या गांव में बसना चाहता है. तो उसे किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप झेलना पड़ता है. लिहाजा मजबूर होकर उसे इस गांव को छोड़ना पड़ता है. यही वजह है कि 500 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में केवल पटेल जाति के लोग रह रहे हैं.

बताया जाता है कि खटोला गांव गोंडवाना राजाओं के शासनकाल में बसा हुआ काम था गांव की पहाड़ी पर लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर एक गोंडवाना राजा का महल बना हुआ है जो आज भी स्थित है हालांकि यह महल अब खंडहर में तब्दील हो गया है.

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह एकमात्र ऐसा महल था जो सात मंजिला था, लेकिन धीरे-धीरे अभियान महल 3 मंजिला ही रह गया है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस महल में असीमित धन संपदा है. यही वजह है कि धन की चाह में लोग यहां चले आते है.

राजा पर थी मां देवी की विशेष कृपा
लोगों का कहना है कि गोंडवाना किले का निर्माण गोंडवारा राजा ने करवाया था. गोंडवाना राजा पर एक देवी की विशेष कृपा थी. जिसे लोग मां खटोला के नाम से जानते हैं. जिनका मंदिर आज भी गांव में मौजूद है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार राजा के शासनकाल में गांव में मुसीबत आई तब राजा ने देवी का ध्यान लगाया और गांव के लोग बताते हैं कि उस समय सवा पहर कंचन यानी सोना बरसा था. जिसके बाद गांव के तमाम लोगों की गरीबी दूर हो गई थी और तभी देवी ने गांव के लोगों को वरदान दिया था कि गांव में पटेल जाति के अलावा कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति नहीं रह पाएगा. तब से लेकर आज तक यहां केवल पटेल जाति के ही लोग रहते हैं. गांव की जनसंख्या लगभग 300 के आसपास बताई जाती है.

भले ही लोग गांव में दूसरी जाति के लोगों के ना रहने की वजह किसी दिव्य शक्ति का होना या वरदान बता रहे हो, लेकिन हकीकत यह है कि 500 सालों से इस गांव में कोई भी एक व्यक्ति दूसरी जाति का नहीं रह पाया है और अगर गांव में रहने की कोशिश भी करता है तो किसी ना किसी तरीके से उसे नुकसान उठाना पड़ता है और वह गांव छोड़कर चला जाता है.

छतरपुर। जिले से लगभग 7 किलोमीटर दूर खटोला एक ऐसा गांव है. जो पिछले 500 सालों से अपने आप में एक रहस्य बना हुआ है. लोगों का मानना है कि गांव में देवी का वरदान है. जिस वजह से सिर्फ एक ही जाति के लोग इस गांव में रह पाते हैं.

छतरपुर जिले के खटोला गांव में रहते हैं एक ही जाति के लोग

अगर इस गांव में कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति रहने की कोशिश करता है या गांव में बसना चाहता है. तो उसे किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप झेलना पड़ता है. लिहाजा मजबूर होकर उसे इस गांव को छोड़ना पड़ता है. यही वजह है कि 500 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में केवल पटेल जाति के लोग रह रहे हैं.

बताया जाता है कि खटोला गांव गोंडवाना राजाओं के शासनकाल में बसा हुआ काम था गांव की पहाड़ी पर लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर एक गोंडवाना राजा का महल बना हुआ है जो आज भी स्थित है हालांकि यह महल अब खंडहर में तब्दील हो गया है.

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह एकमात्र ऐसा महल था जो सात मंजिला था, लेकिन धीरे-धीरे अभियान महल 3 मंजिला ही रह गया है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस महल में असीमित धन संपदा है. यही वजह है कि धन की चाह में लोग यहां चले आते है.

राजा पर थी मां देवी की विशेष कृपा
लोगों का कहना है कि गोंडवाना किले का निर्माण गोंडवारा राजा ने करवाया था. गोंडवाना राजा पर एक देवी की विशेष कृपा थी. जिसे लोग मां खटोला के नाम से जानते हैं. जिनका मंदिर आज भी गांव में मौजूद है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार राजा के शासनकाल में गांव में मुसीबत आई तब राजा ने देवी का ध्यान लगाया और गांव के लोग बताते हैं कि उस समय सवा पहर कंचन यानी सोना बरसा था. जिसके बाद गांव के तमाम लोगों की गरीबी दूर हो गई थी और तभी देवी ने गांव के लोगों को वरदान दिया था कि गांव में पटेल जाति के अलावा कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति नहीं रह पाएगा. तब से लेकर आज तक यहां केवल पटेल जाति के ही लोग रहते हैं. गांव की जनसंख्या लगभग 300 के आसपास बताई जाती है.

भले ही लोग गांव में दूसरी जाति के लोगों के ना रहने की वजह किसी दिव्य शक्ति का होना या वरदान बता रहे हो, लेकिन हकीकत यह है कि 500 सालों से इस गांव में कोई भी एक व्यक्ति दूसरी जाति का नहीं रह पाया है और अगर गांव में रहने की कोशिश भी करता है तो किसी ना किसी तरीके से उसे नुकसान उठाना पड़ता है और वह गांव छोड़कर चला जाता है.

Intro: छतरपुर जिले से लगभग 7 किलोमीटर दूर खटोला एक ऐसा गांव है जो पिछले 500 सालों से अपने आप में एक रहस्य को संजोए हुए हैं कहते हैं कि इस गांव में देवी का वरदान है जिस वजह से सिर्फ एक ही जाति के लोग इस गांव में रह पाते हैं अगर इस गांव में कोई भी अन्य जाति का व्यक्ति रहने की कोशिश करता है या गांव में बसना चाहता है तो उसे किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप झेलना पड़ता है और मजबूर होकर उसे इस गांव को छोड़ना पड़ता है यही वजह है कि 500 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में केवल एक ही जाति के लोग रह रहे हैं!


Body:कहते हैं भारत किस्से कहानियों का देश है यहां हर चीज से जुड़ी कोई ना कोई कहानियां मिल जाती है ऐसी ही एक कहानी छतरपुर से 60 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव खटोला से जुड़ी हुई है कहते हैं कि इस गांव में देवी का वरदान है जिस वजह से सिर्फ एक ही जाति के लोग इस गांव में रहते हैं कोई अन्य जाति का व्यक्ति इस गांव में मकान बनाकर नहीं रह सकता है इतना ही नहीं गांव में मां खटोला देवी का एक मंदिर है जहां पुजारी भी सी जाति का है जिस जाति के लोग इस गांव में रहते हैं गांव का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना बताया जाता है तब से लेकर आज तक इस गांव में सिर्फ पटेल जाति के लोग हैं रह पाते हैं!

खटोला गांव मुख्यतः गोंडवाना राजाओं के शासनकाल में बसा हुआ काम था गांव की पहाड़ी पर लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर एक गोंडवाना राजा का महल बना हुआ है जो आज भी स्थित है हालांकि यह महल अब खंडहर में तब्दील हो गया है!

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह एकमात्र ऐसा मेन है जो 7 मंजिला था लेकिन धीरे-धीरे अभियान महल 3 मंजिला ही रह गया है स्थानीय लोगों की मानें तो इस महल में अकूत धन संपदा है यही वजह है कि धन की चाह रखने वाले लोग दक्षिणी की लालच में यहां पर चले आते हैं और कई बार लोगों ने यहां पर दक्षिणा खोजने की कोशिश भी की बताया जाता है कि यह किला लगभग 32 एकड़ में बना हुआ था !


कहते हैं कि इस महल के राजा पर एक देवी की विशेष कृपा थी जिसे लोग मां खटोला के नाम से जानते हैं जिनका मंदिर आज भी गांव में मौजूद है एक बार राजा के शासनकाल में गांव में मुसीबत आई तब राजा ने देवी का ध्यान लगाया और गांव के लोग बताते हैं कि उस समय सवा पहर कंचन(सोना) बरसा था जिसके बाद गांव के तमाम लोगों की गरीबी दूर हो गई थी और तभी देवी ने गांव के लोगों को वरदान दिया था कि गांव में पटेल जाति के अलावा कोई भी अन्य जाति का व्यक्ति नहीं रह पाएगा तब से लेकर आज तक यहां केवल पटेल जाति के ही लोग रहते हैं गांव की जनसंख्या लगभग 300 के आसपास बताई जाती है!

गांव में रहने वाले गौरी शंकर पटेल बताते हैं कि उनका जन्म इसी गांव में हुआ है लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं है कि आखिर क्यों लोग यहां पर नहीं रह पाते हैं!

बाइट_गौरीसंकर

खटोला गांव से कुछ ही दूरी पर रहने वाले संतोष बताते हैं कि वह प्रतापपुरा के रहने वाले हैं खटोला गांव में देवी का वरदान है यही वजह है कि इस गांव में कोई भी अन्य जाति का व्यक्ति नहीं रह पाता है और अगर वह रहने की कोशिश भी करता है तो उसे अंदर से प्रेरणा होती है और वह गांव छोड़ कर भाग जाता है गांव में सिर्फ पटेल जाति के ही लोग रह पाते हैं!

बाइट_संतोष

संग्रामपुर गांव के राजबहादुर सिंह बताते हैं कि खटोला गांव में कोई भी अन्य जाति का व्यक्ति इसलिए नहीं रह पाता है कि पुराने समय में देवी ने इस गांव के लोगों को वरदान दिया था और जो गोंडवाना राजा थे उनके शासनकाल में सोने की वर्षा हुई थी और आज भी राजा के किले में अकूत खजाना छिपा हुआ है१

बाइट_राजबहादुर

खटोला गांव में ही रहने वाले कुछ युवक बताते हैं कि उनका जन्म इस काम में हुआ है लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर क्यों इस गांव में कोई अन्य जाति का व्यक्ति ही नहीं रह पाता है युवकों का कहना है कि उन्हें इतना जरूर पता है जो हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में देवी का वरदान है और यही वजह है कि गांव में कोई अन्य जाति का व्यक्ति नहीं रहता!

बाइट_हरिराम
बाइट_गोवर्द्धन




Conclusion:भले ही लोग गांव में दूसरी जाति के लोगों के ना रहने की वजह किसी दिव्य शक्ति का होना या वरदान बता रहे हो लेकिन हकीकत यह है कि 500 सालों से इस गांव में कोई भी एक व्यक्ति दूसरी जाति का नहीं रह पाया है और अगर वॉइस गांव में रहने की कोशिश भी करता है तो किसी ना किसी तरीके से उसे नुकसान उठाना पड़ता है और वह गांव छोड़ कर भाग जाता है!

( यह खबर स्थानीय लोगों एवं आसपास में रहने वाले गांव के लोगों के कहे अनुसार बनाई गई है जोकि इस गांव को लेकर लोगों के मत हैं)
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