छतरपुर। जिले से लगभग 7 किलोमीटर दूर खटोला एक ऐसा गांव है. जो पिछले 500 सालों से अपने आप में एक रहस्य बना हुआ है. लोगों का मानना है कि गांव में देवी का वरदान है. जिस वजह से सिर्फ एक ही जाति के लोग इस गांव में रह पाते हैं.
अगर इस गांव में कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति रहने की कोशिश करता है या गांव में बसना चाहता है. तो उसे किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप झेलना पड़ता है. लिहाजा मजबूर होकर उसे इस गांव को छोड़ना पड़ता है. यही वजह है कि 500 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में केवल पटेल जाति के लोग रह रहे हैं.
बताया जाता है कि खटोला गांव गोंडवाना राजाओं के शासनकाल में बसा हुआ काम था गांव की पहाड़ी पर लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर एक गोंडवाना राजा का महल बना हुआ है जो आज भी स्थित है हालांकि यह महल अब खंडहर में तब्दील हो गया है.
स्थानीय लोग बताते हैं कि यह एकमात्र ऐसा महल था जो सात मंजिला था, लेकिन धीरे-धीरे अभियान महल 3 मंजिला ही रह गया है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस महल में असीमित धन संपदा है. यही वजह है कि धन की चाह में लोग यहां चले आते है.
राजा पर थी मां देवी की विशेष कृपा
लोगों का कहना है कि गोंडवाना किले का निर्माण गोंडवारा राजा ने करवाया था. गोंडवाना राजा पर एक देवी की विशेष कृपा थी. जिसे लोग मां खटोला के नाम से जानते हैं. जिनका मंदिर आज भी गांव में मौजूद है. ग्रामीणों का कहना है कि एक बार राजा के शासनकाल में गांव में मुसीबत आई तब राजा ने देवी का ध्यान लगाया और गांव के लोग बताते हैं कि उस समय सवा पहर कंचन यानी सोना बरसा था. जिसके बाद गांव के तमाम लोगों की गरीबी दूर हो गई थी और तभी देवी ने गांव के लोगों को वरदान दिया था कि गांव में पटेल जाति के अलावा कोई भी दूसरी जाति का व्यक्ति नहीं रह पाएगा. तब से लेकर आज तक यहां केवल पटेल जाति के ही लोग रहते हैं. गांव की जनसंख्या लगभग 300 के आसपास बताई जाती है.
भले ही लोग गांव में दूसरी जाति के लोगों के ना रहने की वजह किसी दिव्य शक्ति का होना या वरदान बता रहे हो, लेकिन हकीकत यह है कि 500 सालों से इस गांव में कोई भी एक व्यक्ति दूसरी जाति का नहीं रह पाया है और अगर गांव में रहने की कोशिश भी करता है तो किसी ना किसी तरीके से उसे नुकसान उठाना पड़ता है और वह गांव छोड़कर चला जाता है.