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Khajuraho Dance Festival का समापन, भारतीय नृत्य की विधाएं देखकर विदेशी सैलानी मंत्रमुग्ध

पत्थरों पर जिंदगी की दूब रोपी, हम सृजन का वेग हैं, आकार हैं हम. खजुराहो में वाकई पत्थरों पर जीवंत शिल्प जिंन्दगी की रवानगी की मिसाल हैं. उस पर नव गति नव लय और नए ताल छंद भरते नृत्य भारतीय कला संस्कृति को एक उदात्त रूप में सामने लाते हैं. खजुराहो नृत्य समारोह का ये स्वरूप दिलोदिमाग में लेकर दुनियाभर से आये सैलानी भरे दिल से अपने शहरों के लिए रवाना हुए. आखिरी दिन भी उन्होंने इस उत्सव का भरपूर आनंद लिया.

Khajuraho Dance Festival
भारतीय नृत्य की विधाएं देखकर विदेशी सैलानी मंत्रमुग्ध
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Published : Feb 27, 2023, 1:28 PM IST

भारतीय नृत्य की विधाएं देखकर विदेशी सैलानी मंत्रमुग्ध

खजुराहो। खजुराहो नृत्य समारोह का समापन पर विदेशी सैलानी भारतीय कला का ये रूप देखकर मोहित हो गए. गोपिका का मोहिनी अट्टम, अरूपा और उनके साथियों की भरतनाट्यम ओडिसी और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति को विदेशियों ने खूब सराहा. पुष्पिता और उनके साथियों का नृत्य भी विदेशी सैलानियों को खूब पसंद आया. अंतिम दिन नृत्य की शुरुआत गोपिका वर्मा के मोहिनीअट्टम से हुई. भारत की सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गोपिका ने गणेश स्तुति से अपने नृत्य की शुरुआत की. चित्रांगम् नाम की इस प्रस्तुति में उन्होंने नृत्यभावों से गणेश जी के स्वरूप को साकार किया.

कृष्ण और रुक्मणी के पांसे का गेम : अगली प्रस्तुति भी शानदारी रही. इसमें कृष्ण और रुक्मणी पांसे खेल रहे हैं तो रुक्मणी कृष्ण से कहती हैं कि अगर मैं ये खेल जीतती हूं तो आपको मुझसे ये वादा करना होगा कि आज के बाद आप किसी भी स्त्री को हाथ नहीं लगाएंगे. आप सिर्फ उन्हें देख सकते हैं पर स्पर्श नही कर सकते. कृष्ण ये बात मान जाते हैं और वे जब खेलना शुरू करते हैं. रुक्मणी जीत रही होती हैं और कृष्णा डरे हुए हैं कि अगर हार गए तो किसी भी गोपस्त्री को स्पर्श नहीं कर पाएंगे तो कृष्ण रुक्मणी की आँखों मे देखते हैं, जिसके कारण वो गलती करती हैं. रुक्मणी हार जाती हैं. इस पूरी कहानी के भाव को गोपिका ने बड़ी शिद्दत से नृत्यभावों में पिरोकर पेश किया.

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गरुड़ का घमंड तोड़ने की कहानी : अंतिम प्रस्तुति में कृष्ण द्वारा रुक्मणी और गरुड़ के घमंड को तोड़ने की कहानी को भी गोपिका ने अपने नृत्य भावों में समेटकर दर्शकों के सामने रखा. दूसरी प्रस्तुति में अरूपा लाहिरी और उनके साथियों के भरत नाट्यम ओडिसी और मोहिनीअट्टम नृत्य की प्रस्तुति हुई. तीन शैलियों के नृत्य की यह प्रस्तुति अनोखी रही. इस प्रस्तुति में अरूपा ने भरतनाट्यम, लिप्सा शतपथी ने ओडिसी दिव्या वारियर ने मोहिनी अट्टम शैली में नृत्य किया. अरूपा और उनके साथियों की पहली प्रस्तुति भगवान सूर्य को समर्पित थी. सूर्य ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है. नृत्य के जरिए सूर्य की पूजा उपासना को बड़े ही सहज ढंग से उन्होंने पेश किया.

भारतीय नृत्य की विधाएं देखकर विदेशी सैलानी मंत्रमुग्ध

खजुराहो। खजुराहो नृत्य समारोह का समापन पर विदेशी सैलानी भारतीय कला का ये रूप देखकर मोहित हो गए. गोपिका का मोहिनी अट्टम, अरूपा और उनके साथियों की भरतनाट्यम ओडिसी और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति को विदेशियों ने खूब सराहा. पुष्पिता और उनके साथियों का नृत्य भी विदेशी सैलानियों को खूब पसंद आया. अंतिम दिन नृत्य की शुरुआत गोपिका वर्मा के मोहिनीअट्टम से हुई. भारत की सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गोपिका ने गणेश स्तुति से अपने नृत्य की शुरुआत की. चित्रांगम् नाम की इस प्रस्तुति में उन्होंने नृत्यभावों से गणेश जी के स्वरूप को साकार किया.

कृष्ण और रुक्मणी के पांसे का गेम : अगली प्रस्तुति भी शानदारी रही. इसमें कृष्ण और रुक्मणी पांसे खेल रहे हैं तो रुक्मणी कृष्ण से कहती हैं कि अगर मैं ये खेल जीतती हूं तो आपको मुझसे ये वादा करना होगा कि आज के बाद आप किसी भी स्त्री को हाथ नहीं लगाएंगे. आप सिर्फ उन्हें देख सकते हैं पर स्पर्श नही कर सकते. कृष्ण ये बात मान जाते हैं और वे जब खेलना शुरू करते हैं. रुक्मणी जीत रही होती हैं और कृष्णा डरे हुए हैं कि अगर हार गए तो किसी भी गोपस्त्री को स्पर्श नहीं कर पाएंगे तो कृष्ण रुक्मणी की आँखों मे देखते हैं, जिसके कारण वो गलती करती हैं. रुक्मणी हार जाती हैं. इस पूरी कहानी के भाव को गोपिका ने बड़ी शिद्दत से नृत्यभावों में पिरोकर पेश किया.

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गरुड़ का घमंड तोड़ने की कहानी : अंतिम प्रस्तुति में कृष्ण द्वारा रुक्मणी और गरुड़ के घमंड को तोड़ने की कहानी को भी गोपिका ने अपने नृत्य भावों में समेटकर दर्शकों के सामने रखा. दूसरी प्रस्तुति में अरूपा लाहिरी और उनके साथियों के भरत नाट्यम ओडिसी और मोहिनीअट्टम नृत्य की प्रस्तुति हुई. तीन शैलियों के नृत्य की यह प्रस्तुति अनोखी रही. इस प्रस्तुति में अरूपा ने भरतनाट्यम, लिप्सा शतपथी ने ओडिसी दिव्या वारियर ने मोहिनी अट्टम शैली में नृत्य किया. अरूपा और उनके साथियों की पहली प्रस्तुति भगवान सूर्य को समर्पित थी. सूर्य ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है. नृत्य के जरिए सूर्य की पूजा उपासना को बड़े ही सहज ढंग से उन्होंने पेश किया.

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