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जब एसपी की गलती से नेहरू की उंगली से निकला खून...

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 1953-54 में छतरपुर आए थे. जहां उनकी उंगली कार के गेट में दब गई थी. जिससे खून निकलने लगा था...जानिए क्या था वो किस्सा...

Pandit jawaharlal nehru
पंडित जवाहरलाल नेहरू
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Published : Nov 14, 2020, 7:09 PM IST

छतरपुर। भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती होती है. 1964 में नेहरू के निधन के बाद संविधान सभा ने 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. पंडित नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे और बच्चे भी उन्हें प्यार से नेहरू चाचा बुलाते थे. छतरपुर में पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा एक किस्सा है. जो उनकी सहनशीलता को बताता है.

गायत्री देवी परमार

जब पंडित नेहरू की ऊंगली से निकलने लगा खून

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गायत्री देवी परमार छतरपुर जिले की एक ऐसी महिला हैं. जिनका गांधी परिवार के सबसे नजदीक माना जाता था. गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति जब छतरपुर आता था, तो उनसे जरूर मिलता.गायत्री देवी परमार पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि बात 1953-54 की है, जब एक बार जवाहरलाल नेहरू छतरपुर आए और छतरपुर से खजुराहो घूमने के लिए जा रहे थे. तभी तत्कालीन एसपी जोहर ने उन्हें गाड़ी में बैठाया और जैसे ही गाड़ी का गेट बंद किया तो जवाहरलाल नेहरू की एक ऊंगली गेट में दब गई और खून निकलने लगा. खून निकलता देख गाड़ी के अंदर मौजूद लोग और एसपी जोहर बेहद डर गए.

घबरा गए थे एसपी

एसपी जौहर को लगा कि शायद अब जवाहरलाल नेहरू पता नहीं उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे. क्या बोलेंगे. लेकिन जवाहरलाल नेहरू शांत रहे और उन्होंने एसपी से कुछ भी नहीं कहा. चुपचाप गाड़ी का गेट बंद किया और खजुराहो के लिए निकल गए.

छतरपुर। भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती होती है. 1964 में नेहरू के निधन के बाद संविधान सभा ने 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. पंडित नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे और बच्चे भी उन्हें प्यार से नेहरू चाचा बुलाते थे. छतरपुर में पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा एक किस्सा है. जो उनकी सहनशीलता को बताता है.

गायत्री देवी परमार

जब पंडित नेहरू की ऊंगली से निकलने लगा खून

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गायत्री देवी परमार छतरपुर जिले की एक ऐसी महिला हैं. जिनका गांधी परिवार के सबसे नजदीक माना जाता था. गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति जब छतरपुर आता था, तो उनसे जरूर मिलता.गायत्री देवी परमार पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि बात 1953-54 की है, जब एक बार जवाहरलाल नेहरू छतरपुर आए और छतरपुर से खजुराहो घूमने के लिए जा रहे थे. तभी तत्कालीन एसपी जोहर ने उन्हें गाड़ी में बैठाया और जैसे ही गाड़ी का गेट बंद किया तो जवाहरलाल नेहरू की एक ऊंगली गेट में दब गई और खून निकलने लगा. खून निकलता देख गाड़ी के अंदर मौजूद लोग और एसपी जोहर बेहद डर गए.

घबरा गए थे एसपी

एसपी जौहर को लगा कि शायद अब जवाहरलाल नेहरू पता नहीं उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे. क्या बोलेंगे. लेकिन जवाहरलाल नेहरू शांत रहे और उन्होंने एसपी से कुछ भी नहीं कहा. चुपचाप गाड़ी का गेट बंद किया और खजुराहो के लिए निकल गए.

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