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बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे आदिवासी, सरकारी योजनाओं का नहीं मिल पा रहा लाभ

छतरपुर के नौगांव में आदिवासी समुदाय के लोग वर्तमान में चल रहीं तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी अपने अधिकारों से वंचित हैं. इन लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सुविधाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं.

आदिवासियों को रोटी, कपड़ा और मकान की दरकार
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Published : Aug 10, 2019, 5:30 PM IST

छतरपुर। देशभर में शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया. आदिवासियों के लिए तमाम सरकारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उनका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. शासन-प्रशासन के नुमांइदे कागजों पर योजनाओं की खानापूर्ति कर इनका लाभ उठाते हैं, वहीं आदिवासी इन सब से वंचित रह गए हैं और दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

आदिवासी समुदाय को रोटी, कपड़ा और मकान की दरकार

जनपद पंचायत नौगांव के अंतर्गत ग्राम पंचायत धरमपुरा के आदिवासियों के लिए घर, पानी, बिजली और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताएं इनके लिए सपने जैसी हैं. इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए आदिवासियों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, जिनकी सुनने वाला कोई नहीं है. ये अपना घर चलाने के लिए झाड़ू बनाने का काम करते हैं, वही इनके बच्चे कबाड़ बीनने के लिए मजबूर हैं.

जब ईटीवी भारत ने इस बारे में तहसीलदार से बात करनी चाही, तो उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हित में जो भी सुविधाएं हैं, उन तक पहुंचाई जाएंगी.

छतरपुर। देशभर में शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया. आदिवासियों के लिए तमाम सरकारी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उनका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. शासन-प्रशासन के नुमांइदे कागजों पर योजनाओं की खानापूर्ति कर इनका लाभ उठाते हैं, वहीं आदिवासी इन सब से वंचित रह गए हैं और दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

आदिवासी समुदाय को रोटी, कपड़ा और मकान की दरकार

जनपद पंचायत नौगांव के अंतर्गत ग्राम पंचायत धरमपुरा के आदिवासियों के लिए घर, पानी, बिजली और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताएं इनके लिए सपने जैसी हैं. इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए आदिवासियों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, जिनकी सुनने वाला कोई नहीं है. ये अपना घर चलाने के लिए झाड़ू बनाने का काम करते हैं, वही इनके बच्चे कबाड़ बीनने के लिए मजबूर हैं.

जब ईटीवी भारत ने इस बारे में तहसीलदार से बात करनी चाही, तो उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हित में जो भी सुविधाएं हैं, उन तक पहुंचाई जाएंगी.

Intro:वैसे तो देश में आदिवासियों के हित के लिए अनेकों योजनाएं बनाई जाती हैं लेकिन आदिवासियों तक तो इनका लाभ नहीं पहुंच पाता है शासन के नुमाइंदे कागजों पर योजनाओं की खानापूर्ति करके इनका जमकर लाभ उठाते हैं योजनाओं के लाभ से वंचित आदिवासी आज भी दर दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैBody:एक तरफ जहाँ मध्यप्रदेश शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति को सुविधाएं पहुंचाने का दावा करती हैं वहीं दूसरी ओर गांव का एक समुदाय ऐसा भी हैं जो रोटी कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं कुछ इसी तरह का हाल जनपद पंचायत नौगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत धरमपुरा का है जंहा रहने वाले आदिवासी समुदाय को ना तो रहने के लिए मकान है ना पीने के लिए पानी और नही खाने के लिए भोजन है और ना ही बिजली न बच्चों की शिक्षा तो मनो इनके लिए बेमानी बात होगी सरकार की योजनाओं का लाभ पाने दर दर भटक रहे, इन आदिवासियों की सुनने वाला कोई नहीं है और ना ही इनकी समस्याओं से किसी का दूर-दूर तक लेना देना है इनकी दशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह झाड़ू बनाने का काम करते हैं और इनके बच्चे कबाड़ बीनते हैंConclusion:ईटीवी भारत में जब इस मामले को लेकर तहसीलदार से बात करने की कोशिश की तो उनका कहना था कि आपके द्वारा जानकारी मिली है मामले को हम दिखाते हैं आदिवासियों के हित में जिन योजनाओं का लाभ उचित होगा हम उन तक पहुंचाएंगे अब देखना होगा कि आदिवासी दिवस के मौके पर क्या आदिवासी इसी तरह जागरूकता की कमी के कारण अपने अधिकारों से वंचित रहते हैं या प्रशासन के नुमाइंदे उन तक पहुंच कर उनके लिए मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करते हैं

बाइट-रुकमणी आदिवासी (स्थानीय निवासी)
बाइट-जवाहर आदिवासी (स्थानीय निवासी)
बाइट-भानु प्रताप सिंह (तहसीलदार नौगाँव)
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