छतरपुर। जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर रहने वाले टीकाराम प्रजापति पिछले कई सालों से मिट्टी की कलाकृतियों को बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही अब उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. टीकाराम प्रजापति का व्यवसाय पूरी तरह से देशी और विदेशी सैलानियों पर निर्भर है. लॉकडाउन के बाद से ही विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में दोनों तरह के पर्यटक आने लगभग बंद हो गए है. टीकाराम प्रजापति का कहना है कि उनका पूरा परिवार इस समय मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है. एक ही कमरे में उनका बेटा उनकी मां और घर में आने वाले कभी कभी मेहमानों को भी रहना पड़ता है.
जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर पन्ना मार्ग पर रहने वाले टीकाराम प्रजापति एक ऐसे हुनरमंद कलाकार हैं. जिनकी उंगलियां जब मिट्टी पर पड़ती हैं तो मानो मिट्टी खुद-ब-खुद बोलने लगती है. टीकाराम प्रजापति बताते हैं कि क्योंकि उनका घर विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो से लगभग 12 किलोमीटर दूर है. इसलिए उनका पूरा व्यवसाय देशी और विदेशी सैलानियों पर निर्भर रहता है. भले ही अब लॉकडाउन खुल गया हो, लेकिन विदेशी पर्यटक खजुराहो नहीं आ रहे हैं, जिससे उनकी कलाकृतियां नहीं बिक पा रही है. जिसकी वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
टीकाराम को मिले कई सम्मान
टीकाराम मिट्टी से ऐसी ऐसी कलाकृतियां बनाते हैं कि देखने वाले दंग रह जाते हैं. घोड़े, हाथी ऊंट और कई ऐसे जानवरों के चित्र, मुखोटे जिन्हें देखकर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा. भगवान गणेश की प्रतिमा से लेकर भगवान शिव और कई अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं देखते ही बनती हैं. हालांकि टीकाराम प्रजापति अपनी कलाकृतियों में किसी भी प्रकार का रंग रोगन नहीं करते हैं. बावजूद इसके इन तमाम कलाकृतियों की खूबसूरती देखते ही बनती है. टीकाराम प्रजापति को अपनी कलाकृति के लिए विभिन्न तरह के अलग-अलग सरकारों के द्वारा प्रमाण पत्र भी मिले हैं.
एक ही कमरे के घर में रहने को मजबूर परिवार
टीकाराम का कहना है कि प्रमाण पत्र सिर्फ दिखावा बनकर ही रह गए हैं. बुरे हालात में कोई भी मदद नहीं करता. टीकाराम सरपंच से लेकर सचिव से कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए कह चुके हैं, लेकिन आज तक न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और ना ही सचिव और सरपंच उनकी सुनता है. लिहाजा मजबूरी में उनका पूरा परिवार एक कमरे में रहता है. उसी कमरे में वह कलाकृतियों को बनाने का काम भी करते हैं. इकराम बताते हैं कि उनके परिवार में उनकी मां उनका एक छोटा बेटा है, जो उनका उनके इस काम में उनका हाथ बढ़ाने लगा है.