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Chhatarpur News: बदलते मौसम से देसी फ्रिज की ग्राहकी कमजोर, विक्रेता बोले-अब तक 50 फीसदी भी नहीं बिके

छतरपुर में मौसम की मार से देसी फ्रिज कहे जाने वाले मटके-मटकियों को बेचने वालों पर खासा असर पड़ा है. हर साल जहां मार्च और अप्रैल महीने तक 75% माल बिक जाता था, वहीं इस बार 40 फीसदी भी माल नहीं बिका.

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बदलते मौसम से देसी फ्रिज की ग्राहकी कमजोर
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Published : May 5, 2023, 9:33 AM IST

छतरपुर। जिले के नौगांव में मौसम की मार किसानों पर ही नहीं, देशी फ्रिज कहे जाने वाले मटके-मटकी बेचने वालों पर भी पड़ी है. हालात यह है कि फरवरी के बाद मार्च व अप्रैल में भी बार-बार बारिश होने से तापमान गिरा है, जिसके कारण मटका, नांद आदि की ग्राहकी नहीं चल पा रही है. कोरोना काल को छोड़ दें तो जहां हर साल 10 से 15 हजार मिट्टी से बने मटके, नांद, सुराही सहित अन्य सामान आसानी से बिक जाते थे, लेकिन इस साल 50 फीसदी भी बिक्री नहीं हो पाई है.

इसलिए नहीं खरीद रहे मटका: कोरोना काल 2020-2021 में भी ऐसी स्थिति नहीं थी, जैसी इस साल है. वार्ड नम्बर 11 निवासियों ने बताया कि "घर में फ्रिज तो है लेकिन उसमें रखा ठंडा पानी नहीं पी रहे हैं. तेज गर्मी नहीं होने के कारण मटका भी इस बार नहीं खरीदा और नॉर्मल पानी का ही घर में उपयोग कर रहे हैं, ऐसे में मौसम में ठंडा पानी का उपयोग करेंगे तो बीमारी का भी खतरा रहता है."

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मौसम से धंधा हुआ चौपट: शहर से लगे बिलहरी निवासी बिहारी प्रजपाती बताते है कि "हम हर साल मटके, नांद व मिट्टी के बर्तन का निर्माण करने के बाद बेचने के लिए आते हैं, 2020-2021 में कोरोना संक्रमण के कारण धंधा मंदा रहा था, लेकिन इस साल तो मौसम ने धंधा चौपट ही कर दिया. अप्रैल महीना खत्म हो गया है और अभी तक आधा माल पड़ा है. मौसम ठीक रहता तो अब तक तो 75 फीसदी माल बिक जाता था. इस बार 50 फीसदी भी नहीं बिका."

40 फीसदी भी नहीं बिके मटके :कुम्हार टोली निवासी सुमन प्रजापति ने बताया "पिछले साल की तरह इस साल भी अच्छी ग्राहकी की उम्मीद थी, इसी कारण स्वयं मटके आदि बनाने के साथ अन्य आइटम तैयार किए थे. अन्य आइटम तो छोड़े, मटके भी 40 फीसदी नहीं बिके हैं.

छतरपुर। जिले के नौगांव में मौसम की मार किसानों पर ही नहीं, देशी फ्रिज कहे जाने वाले मटके-मटकी बेचने वालों पर भी पड़ी है. हालात यह है कि फरवरी के बाद मार्च व अप्रैल में भी बार-बार बारिश होने से तापमान गिरा है, जिसके कारण मटका, नांद आदि की ग्राहकी नहीं चल पा रही है. कोरोना काल को छोड़ दें तो जहां हर साल 10 से 15 हजार मिट्टी से बने मटके, नांद, सुराही सहित अन्य सामान आसानी से बिक जाते थे, लेकिन इस साल 50 फीसदी भी बिक्री नहीं हो पाई है.

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40 फीसदी भी नहीं बिके मटके :कुम्हार टोली निवासी सुमन प्रजापति ने बताया "पिछले साल की तरह इस साल भी अच्छी ग्राहकी की उम्मीद थी, इसी कारण स्वयं मटके आदि बनाने के साथ अन्य आइटम तैयार किए थे. अन्य आइटम तो छोड़े, मटके भी 40 फीसदी नहीं बिके हैं.

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