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हिमाद्री की बगावत से विंध्य में घिरी कांग्रेस, आसान नहीं लोकसभा की चुनावी डगर?

प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने विंंध्य अंचल की सभी लोकसभा सीटें जीतने का दावा किया है. उनका कहना है कि कांग्रेस इस बार विंध्य में अच्छा प्रर्दशन करेगी, जबकि अभी चारों सीटों पर बीजेपी काबिज है.

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Published : Mar 22, 2019, 7:56 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का दम भर रही सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए विंध्य अंचल की डगर आसान नहीं है क्योंकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और अब हिमाद्री सिंह ने हाथ का साथ छोड़ भगवा चोला पहन लिया, जबकि पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद कांग्रेस विंध्य में मुश्किल दौर से गुजर रही है. ऐसे में हिमाद्री की बगावत ने कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख दिया है. हालांकि राज्य के मंत्री कमलेश्वर पटेल को विंध्य की चारों सीटें जीतने की उम्मीद है.

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कमलेश्वर पटेल भले ही विंध्य में कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन विंध्य में कांग्रेस मजबूत स्थिति में नहीं है क्योंकि सतना लोकसभा सीट पर कांग्रेस पिछले तीन चुनावों से लगातार हार रही है, जबकि रीवा में बीजेपी के अलावा बसपा से भी कड़ी ट्क्कर मिलती है और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित शहडोल सीट पर भी बीजेपी मजबूत स्थिति में नजर आती है. हालांकि, सीधी में बीजेपी-कांग्रेस के बीच बराबरी का मुकाबला होता आया है. फिलहाल विंध्य की चारों सीटों पर बीजेपी काबिज है, जिसे बरकरार रखने का दावा भी कर रही है.

विंध्य की सतना और सीधी सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह और राजेंद्र सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है तो रीवा और शहडोल के लिए कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार की तलाश है. अब बीजेपी अपना प्रदर्शन दोहराती है या कांग्रेस अपना बंद खाता खोलती है, इसकी तस्दीक चुनावी नतीजे ही करेंगे.

भोपाल। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का दम भर रही सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए विंध्य अंचल की डगर आसान नहीं है क्योंकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और अब हिमाद्री सिंह ने हाथ का साथ छोड़ भगवा चोला पहन लिया, जबकि पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद कांग्रेस विंध्य में मुश्किल दौर से गुजर रही है. ऐसे में हिमाद्री की बगावत ने कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख दिया है. हालांकि राज्य के मंत्री कमलेश्वर पटेल को विंध्य की चारों सीटें जीतने की उम्मीद है.

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कमलेश्वर पटेल भले ही विंध्य में कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन विंध्य में कांग्रेस मजबूत स्थिति में नहीं है क्योंकि सतना लोकसभा सीट पर कांग्रेस पिछले तीन चुनावों से लगातार हार रही है, जबकि रीवा में बीजेपी के अलावा बसपा से भी कड़ी ट्क्कर मिलती है और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित शहडोल सीट पर भी बीजेपी मजबूत स्थिति में नजर आती है. हालांकि, सीधी में बीजेपी-कांग्रेस के बीच बराबरी का मुकाबला होता आया है. फिलहाल विंध्य की चारों सीटों पर बीजेपी काबिज है, जिसे बरकरार रखने का दावा भी कर रही है.

विंध्य की सतना और सीधी सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह और राजेंद्र सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है तो रीवा और शहडोल के लिए कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार की तलाश है. अब बीजेपी अपना प्रदर्शन दोहराती है या कांग्रेस अपना बंद खाता खोलती है, इसकी तस्दीक चुनावी नतीजे ही करेंगे.

Intro:विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र की चारों लोकसभा सीट पर अपना परफॉर्मेंस सुधारना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के हारने से कांग्रेस पहले ही क्षेत्र में कमजोर हुई थी, उधर हिमाद्री सिंह के बीजेपी में शामिल होने और पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के निधन से कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गई है। हालांकि विंध्य क्षेत्र से कांग्रेस के मंत्री कमलेश्वर पटेल उम्मीद जता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी।


Body:मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र की पहचान पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे श्रीनिवास तिवारी, कृष्ण पाल सिंह राम किशोर शुक्ला जैसे दिग्गज नेताओं के रूप में रही है यह अलग बात है कि अंदरूनी गुटबाजी के चलते कांग्रेस कभी विंध्य क्षेत्र में बहुत मजबूत स्थिति में नहीं आ पाई। विंध्य क्षेत्र में चार लोकसभा और 30 विधानसभा क्षेत्र हैं और इन सभी क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति कई दशकों से खराब है। लोकसभा और विधानसभा दोनों ही सदनों की भीतर कांग्रेस का प्रथम युद्ध क्षेत्र से कम संख्या में ही रहा है। देखा जाए तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का ढाई दशक के इतिहास में सबसे बेहतर प्रदर्शन 1998 मैं ही रहा है। 1998 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 30 में से 15 सीटें जीती थी। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में 11 सीटें आई थी लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 6 सीटों पर ही कब्जा जमाने में सफल हो पाई है। और ऐसी ही स्थिति कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में भी रही है। 2014 कि लोकसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र की चारों सीटें बीजेपी के खाते में गई थी।

किस लोकसभा सीट पर क्या स्थिति
4 सीटों में से एक सतना लोकसभा सीट पर आखरी सांसद क्षेत्र के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह ही रहे हैं। अर्जुन सिंह ने 1991 के चुनाव में आखरी बार इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद यह सीट बीजेपी के खाते में कभी नहीं आई फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और गणेश सिंह यहां के सांसद हैं। पिछले 3 लोकसभा चुनाव में बीजेपी सांसद गणेश सिंह को हराने का कांग्रेस का हर दांव फेल रहा है। हालांकि सीधी लोकसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच बराबरी का मुकाबला रहा है बीजेपी यहां पिछला दो चुनाव जीतने में सफल रही है और उसकी कोशिश 2019 का चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाने की है। हालांकि बीजेपी की रीति पाठक ने पिछला चुनाव 1 लाख से ज्यादा अंतर से कांग्रेस को शिकस्त दी थी और उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी एक बार फिर इतने ही मार्जन से जीत दर्ज करेगी। हालांकि विंध्य क्षेत्र की रीवा संसदीय सीट पर बहुजन समाज पार्टी बीजेपी और कांग्रेस पर भारी साबित हुई है इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। कांग्रेस को सीट पर आखिरी बार 1999 में जीत मिली थी फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और जनार्दन मिश्रा यहां के सांसद हैं। वहीं शहडोल लोकसभा सीट पर भी बीजेपी का दबदबा माना जाता है 2016 के उपचुनाव में बीजेपी के ज्ञान सिंह ने कांग्रेस की हिमाद्रि सिंह को हराया था। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की मुश्किलें इसलिए और भी बढ़ गई हैं क्योंकि हे हिमाद्री सिंह ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह चुनाव हारने के बाद कुछ कमजोर हुए हैं। ऐसी ही स्थिति पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह की भी है । राजेंद्र सिंह जी विधानसभा में चुनाव हार चुके हैं। हालांकि विंध्य में राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल और मंत्री कमलेश्वर पटेल मजबूत स्थिति में है और दोनों ही खुद को पंडित में कांग्रेस का नेता मान कर चल रहे हैं। अजय सिंह और राजेंद्र सिंह पहले दोनों ही सतना सीट पर दावेदारी जता रहे थे हालांकि पिछले कुछ दिनों से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सीधी सीट पर सक्रिय हुए हैं। हालांकि इस सीट पर मंत्री कमलेश्वर पटेल के भाई और उनकी पत्नी भी दावेदारी जता रही है। वहीं शहडोल लोकसभा क्षेत्र में हिमाद्री सिंह के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस के लिए जिताऊ चेहरा ढूंढने में परेशानी हो रही है। वहीं सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद रीवा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस किसी नए चेहरे की तलाश कर रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस स्वर्गीय सुंदर लाल तिवारी की बेटे को इस बार चुनाव मैदान में उतार सकती है। अब देखना होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का विंध्य क्षेत्र मैं बढ़त बनाने में कामयाब होती है या फिर कांग्रेस अपना इतिहास दोहरा दी है वैसे भी दोनों पार्टियों के सामने इस क्षेत्र में बसपा और सपा परेशानी का संबंधी रही है और इस बार दोनों ही पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है तो हो सकता है कि चुनावी गणित दोनों ही पार्टियों की बिगड़ जाए।


Conclusion:
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