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अधिकारियों पर फूटा कर्मचारियों का गुस्सा, मंत्रियों से बोले- खुद को महाराजा समझने वाले अधिकारियों पर लगाएं लगाम

मंत्रियों के साथ हुई कर्मचारियों की बैठक. अधिकारियों पर फूटा गुस्सा. मंत्रियों ने दिया मांग पूरी करने का आश्वासन.

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Published : Feb 6, 2019, 8:14 PM IST

मंत्रियों के साथ कर्मचारी संगठनों की बैठक

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि मंडल के साथ हुई कर्मचारी संगठनों की बैठक में कर्मचारियों का गुस्सा अधिकारियों पर फूटा. बैठक में कर्मचारी संगठनों ने सरकार से मांग की है कि खुद को राजा-महाराजा समझने वाले अधिकारियों पर लगाम लगाई जाए.

बुधवार को मंत्रालय में सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह, विधि विधायी मंत्री पीसी शर्मा और गृह मंत्री बाला बच्चन ने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने अपनी कई मांगें रखीं. कर्मचारी नेता भुवनेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार संविदा कर्मचारियों को स्थाई करे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस बारे में प्रदेश सरकार को निर्देश दे चुकी है, जिसका पिछली सरकार ने पालन नहीं किया था. पुराने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नए संविदा कर्मचारी रखने की परंपरा खत्म होनी चाहिए.

इसके साथ ही कर्मचारी संगठनों ने ग्रेड-पे की विसंगतियां दूर करने और शिवराज सरकार के समय आंदोलन करने वाले कर्मचारियों के रोके गए वेतन-भत्ते भी देने की मांग की. बैठक के दौरान कर्मचारियों ने बाबुओं का वेतन शिक्षकों की तरह करने की मांग भी की. कर्मचारियों ने कहा कि कुछ अधिकारी खुद को महाराजा समझते हैं और कर्मचारियों के पांच मिनट भी देर से पहुंचने पर वेतन काटने जैसी कार्रवाई कर देते हैं. उनकी मांग है कि खुद को राजा-महाराजा समझने वाले ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगाई जाए. वहीं मंत्री समूह ने कर्मचारियों की मांगों का निराकरण करने का आश्वासन दिया.

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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि मंडल के साथ हुई कर्मचारी संगठनों की बैठक में कर्मचारियों का गुस्सा अधिकारियों पर फूटा. बैठक में कर्मचारी संगठनों ने सरकार से मांग की है कि खुद को राजा-महाराजा समझने वाले अधिकारियों पर लगाम लगाई जाए.

बुधवार को मंत्रालय में सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह, विधि विधायी मंत्री पीसी शर्मा और गृह मंत्री बाला बच्चन ने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने अपनी कई मांगें रखीं. कर्मचारी नेता भुवनेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार संविदा कर्मचारियों को स्थाई करे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस बारे में प्रदेश सरकार को निर्देश दे चुकी है, जिसका पिछली सरकार ने पालन नहीं किया था. पुराने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नए संविदा कर्मचारी रखने की परंपरा खत्म होनी चाहिए.

इसके साथ ही कर्मचारी संगठनों ने ग्रेड-पे की विसंगतियां दूर करने और शिवराज सरकार के समय आंदोलन करने वाले कर्मचारियों के रोके गए वेतन-भत्ते भी देने की मांग की. बैठक के दौरान कर्मचारियों ने बाबुओं का वेतन शिक्षकों की तरह करने की मांग भी की. कर्मचारियों ने कहा कि कुछ अधिकारी खुद को महाराजा समझते हैं और कर्मचारियों के पांच मिनट भी देर से पहुंचने पर वेतन काटने जैसी कार्रवाई कर देते हैं. उनकी मांग है कि खुद को राजा-महाराजा समझने वाले ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगाई जाए. वहीं मंत्री समूह ने कर्मचारियों की मांगों का निराकरण करने का आश्वासन दिया.

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Intro:कमलनाथ सरकार के साथ हुई बैठक में कर्मचारी संगठनों ने सरकार से खुद को राजा महाराजा समझने वाले अफसरों पर लगाम लगाने की मांग की है। कर्मचारी संगठनों ने कहा कि अधिकारी छोटी-मोटी गलतियों पर भी कर्मचारियों पर कार्रवाई करते रहते हैं। संगठनों ने मांग की है की प्रदेश के 15 हजार संविदा कर्मचारियों को सरकार स्थाई करने का तोहफा दे।


Body:सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह विधि विधाई मंत्री पी सी शर्मा और गृहमंत्री बाला बच्चन ने बुधवार को मंत्रालय में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की बैठक में कर्मचारी संगठनों की तरफ से कर्मचारी नेता भुवनेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश के 15000 कर्मचारियों को सरकार स्थाई करें मामले में सुप्रीम कोर्ट भी दिशा निर्देश दे चुकी है संविदा कर्मचारियों को लेकर पिछली सरकार ने घोषणा की थी लेकिन इसका पालन नहीं किया गया कर्मचारी संगठनों ने कहा कि पुराने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नए संविदा कर्मचारियों को रखने की परंपरा खत्म की जाए कर्मचारी संगठनों ने ग्रेड पे की विसंगतियां दूर करने और शिवराज सरकार के समय आंदोलन करने वाले कर्मचारियों के काटे गए वेतन बच्चों को वापस दिलाए जाएं कर्मचारी संगठनों ने कहा की अफसर अपने आप को राजा महाराजा समझते हैं और 5 मिनट भी कर्मचारी के लेट आने पर उन पर कार्रवाई करते हैं ऐसे अधिकारियों पर सरकार नकेल कसे। बैठक में कर्मचारियों ने बाबुओं को शिक्षकों के समान वेतन देने की भी मांग रखी। मंत्रियों ने कर्मचारी संगठनों की मांगों को ध्यान से सुना और उसके निराकरण का आश्वासन दिया।


Conclusion:
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