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सीएम रहते जिन्हें भिजवाया था जेल अब बन रहे हैं उनके हितैषी, शिवराज पर कांग्रेस का प्रहार

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब प्रदेश में शिवराजसिंह की 13 वर्षों तक सरकार थी, तब उन्होंने आदिवासियों और किसानों को दोनों हाथों से लूटा. आज वे अपना रूप बदलकर आदिवासियों के हितैषी होने का स्वांग रच रहे हैं.

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Published : Jun 19, 2019, 11:35 PM IST

शिवराज और कांग्रेस नेता

भोपाल। आदिवासियों के आंदोलन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा शामिल होने पर कांग्रेस ने तंज कसा है. कांग्रेस ने पॉलीटिकल ड्रामा करार देते हुए कहा है कि सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज सिंह जिन किसानों और आदिवासियों के हितैषी बन रहे हैं, सत्ता में रहकर उन्हें जेल भिजवाया था.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए सितंबर 2018 पैदल यात्रा करते हुए हजारों की संख्या में किसान, आदिवासी नसरुल्लागंज में अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे थे तब शिवराज सिंह ने उन्हें जबरन रात 9 बजे जेल भिजवाकर लोकतंत्र की हत्या की थी.

शिवराज पर कांग्रेस का प्रहार

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा और सीहोर जिले के किसान नेता अर्जुन आर्य ने बताया कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने बुधनी विधानसभा के भोले-भाले किसानों-आदिवासियों को लेकर उन तमाम मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की, जिन मुद्दों पर कांग्रेस ने उनके सीएम रहते हुए उनकी सरकार को घेरा था. फिर चाहे वह आदिवासी किसानों की भूमि के पट्टे की बात हो, या फिर उन्हें पट्टेधारी किसानों के बराबर सरकारी लाभ देने की.

'13 साल तक किसानों-आदिवासियों को शिवराज ने लूटा'
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब प्रदेश में शिवराजसिंह की 13 वर्षों तक सरकार थी, तब उन्होंने आदिवासियों और किसानों को दोनों हाथों से लूटा. आज वे अपना रूप बदलकर आदिवासियों के हितैषी होने का स्वांग रच रहे हैं. शिवराज सिंह ने अपने 13 वर्षों के कार्यकाल के दौरान एक भी गैर पट्टेधारी किसान की फसल समर्थन मूल्य में नहीं खरीदी. 13 वर्षों तक अपने लुटेरे दोस्तों के सहारे दिनदहाड़े बेरहमी से किसानों-आदिवासियों को मंडी में लुटने के लिये छोड़ दिया. पट्टा देना तो दूर की बात है, ऐसे किसानों को सरकारी सोसायटी में खाद बीज तक नहीं दिया गया. आज जब प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ किसानों- आदिवासियों के अधिकारों को लेकर बेहद गंभीर हैं, तो फिर शिवराज सिंह अपनी नौटंकी से राजनीतिक रोटियां सेंक कर स्वयं को स्थापित करने के सपने संजो रहे हैं, ताकि उनका लूटतंत्र दोबारा स्थापित हो सके.

'शिवराज सिंह की हालत बिन पानी के मछली जैसी हो रही'
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज जब प्रदेश में किसान और आदिवासी हितैषी जनता की कांग्रेस सरकार आदिवासियों के हित में लगातार अच्छे कार्य कर रही है, ऐसे में सत्ता से विमुख शिवराज सिंह की हालत बिन पानी के मछली जैसी हो रही है. वे भोले-भाले आदिवासी किसान भाईयों को बरगलाने की ओछी राजनीति कर रहे हैं. 13 वर्ष का समय कम नहीं होता है, यदि शिवराज सिंह चाहते तो प्रदेश के एक-एक गैरपट्टाधारी किसान को पट्टा सहित अन्य अधिकार मुहैया कर सकते थे.

'शिवराज सरकार ने 3 लाख 62 हजार 671 पट्टों के आवेदन किये थे निरस्त'
कांग्रेस नेताओं ने कहता कि सच्चाई यह है कि वनाधिकार कानून-2006 के अंतर्गत मध्यप्रदेश में किसान आदिवासियों द्वारा 6 लाख 17 हजार 90 पट्टों के लिए आवेदन किये गये थे, जिनमें से ग्राम सभा की मंजूरी के बाद 3 लाख 62 हजार 671 पट्टों के आवेदन निरस्त कर दिये गये, अब जबकि कांग्रेस की आदिवासी व किसान हितैषी सरकार प्रदेश में काबिज है, तो शिवराज सिंह और भाजपा इसे पचा नहीं पा रही है और वे प्रदेश के किसानों को भड़काने का काम कर रहे हैं.

तेंदूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ायी गयी
प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000/- रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500/- रूपये प्रति मानक बोरा कर दी है. वर्तमान सरकार ने इस वर्ष से तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि के लिए आदिवासी किसानों को बैंक के चक्कर न काटने पड़े, इसलिए नगद भुगतान की व्यवस्था भी कर दी है. इस वर्ष संग्रहित तेंदूपत्ता का लगभग 80 प्रतिशत भुगतान हो गया है.

भोपाल। आदिवासियों के आंदोलन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा शामिल होने पर कांग्रेस ने तंज कसा है. कांग्रेस ने पॉलीटिकल ड्रामा करार देते हुए कहा है कि सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज सिंह जिन किसानों और आदिवासियों के हितैषी बन रहे हैं, सत्ता में रहकर उन्हें जेल भिजवाया था.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए सितंबर 2018 पैदल यात्रा करते हुए हजारों की संख्या में किसान, आदिवासी नसरुल्लागंज में अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे थे तब शिवराज सिंह ने उन्हें जबरन रात 9 बजे जेल भिजवाकर लोकतंत्र की हत्या की थी.

शिवराज पर कांग्रेस का प्रहार

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा और सीहोर जिले के किसान नेता अर्जुन आर्य ने बताया कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने बुधनी विधानसभा के भोले-भाले किसानों-आदिवासियों को लेकर उन तमाम मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की, जिन मुद्दों पर कांग्रेस ने उनके सीएम रहते हुए उनकी सरकार को घेरा था. फिर चाहे वह आदिवासी किसानों की भूमि के पट्टे की बात हो, या फिर उन्हें पट्टेधारी किसानों के बराबर सरकारी लाभ देने की.

'13 साल तक किसानों-आदिवासियों को शिवराज ने लूटा'
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब प्रदेश में शिवराजसिंह की 13 वर्षों तक सरकार थी, तब उन्होंने आदिवासियों और किसानों को दोनों हाथों से लूटा. आज वे अपना रूप बदलकर आदिवासियों के हितैषी होने का स्वांग रच रहे हैं. शिवराज सिंह ने अपने 13 वर्षों के कार्यकाल के दौरान एक भी गैर पट्टेधारी किसान की फसल समर्थन मूल्य में नहीं खरीदी. 13 वर्षों तक अपने लुटेरे दोस्तों के सहारे दिनदहाड़े बेरहमी से किसानों-आदिवासियों को मंडी में लुटने के लिये छोड़ दिया. पट्टा देना तो दूर की बात है, ऐसे किसानों को सरकारी सोसायटी में खाद बीज तक नहीं दिया गया. आज जब प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ किसानों- आदिवासियों के अधिकारों को लेकर बेहद गंभीर हैं, तो फिर शिवराज सिंह अपनी नौटंकी से राजनीतिक रोटियां सेंक कर स्वयं को स्थापित करने के सपने संजो रहे हैं, ताकि उनका लूटतंत्र दोबारा स्थापित हो सके.

'शिवराज सिंह की हालत बिन पानी के मछली जैसी हो रही'
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज जब प्रदेश में किसान और आदिवासी हितैषी जनता की कांग्रेस सरकार आदिवासियों के हित में लगातार अच्छे कार्य कर रही है, ऐसे में सत्ता से विमुख शिवराज सिंह की हालत बिन पानी के मछली जैसी हो रही है. वे भोले-भाले आदिवासी किसान भाईयों को बरगलाने की ओछी राजनीति कर रहे हैं. 13 वर्ष का समय कम नहीं होता है, यदि शिवराज सिंह चाहते तो प्रदेश के एक-एक गैरपट्टाधारी किसान को पट्टा सहित अन्य अधिकार मुहैया कर सकते थे.

'शिवराज सरकार ने 3 लाख 62 हजार 671 पट्टों के आवेदन किये थे निरस्त'
कांग्रेस नेताओं ने कहता कि सच्चाई यह है कि वनाधिकार कानून-2006 के अंतर्गत मध्यप्रदेश में किसान आदिवासियों द्वारा 6 लाख 17 हजार 90 पट्टों के लिए आवेदन किये गये थे, जिनमें से ग्राम सभा की मंजूरी के बाद 3 लाख 62 हजार 671 पट्टों के आवेदन निरस्त कर दिये गये, अब जबकि कांग्रेस की आदिवासी व किसान हितैषी सरकार प्रदेश में काबिज है, तो शिवराज सिंह और भाजपा इसे पचा नहीं पा रही है और वे प्रदेश के किसानों को भड़काने का काम कर रहे हैं.

तेंदूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ायी गयी
प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000/- रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500/- रूपये प्रति मानक बोरा कर दी है. वर्तमान सरकार ने इस वर्ष से तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि के लिए आदिवासी किसानों को बैंक के चक्कर न काटने पड़े, इसलिए नगद भुगतान की व्यवस्था भी कर दी है. इस वर्ष संग्रहित तेंदूपत्ता का लगभग 80 प्रतिशत भुगतान हो गया है.

शिवराज का किसानों-आदिवासियों को लेकर पाॅलिटिकल ड्रामा, जिन आदिवासियों को जेल भिजवाया, आज उनके हक की बात कर रहे हैं - कांग्रेस  

भोपाल।पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों के नाम पर मंगलवार को किए विरोध प्रदर्शन को कांग्रेस ने पालीटिकल ड्रामा करार दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराजसिंह जिन किसानों और आदिवासियों के हितैषी बन रहे हैं। जब शिवराजसिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए सितंबर 2018 पैदल यात्रा करते हुए हजारों की संख्या किसान आदिवासी नसरुल्लागंज में अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे थे, तब शिवराज सिंह ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए आदिवासियों किसानों को जबरन रात 9 बजे जेल भिजवाकर लोकतंत्र की हत्या की थी। 

मप्र कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा और सीहोर जिले के किसान नेता अर्जुन आर्य ने आज खुलासा करते हुए बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बुधनी विधानसभा के भोले-भाले किसानों-आदिवासियों को लेकर कल उन तमाम मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की, जिन मुद्दों पर हमने उनके सीएम रहते हुए उनकी सरकार को घेरा था। फिर चाहे वह आदिवासी किसानों की भूमि के पट्टे की बात हो, या फिर उन्हें पट्टेधारी किसानों के बराबर सरकारी लाभ देने की बात हो। जब प्रदेश में शिवराजसिंह की 13 वर्षों तक सरकार थी,तब उन्होंने आदिवासियों और किसानों को दोनों हाथों से लूटा। आज वे अपना रूप बदलकर आदिवासियों के हितैषी होने का स्वांग रच रहे हैं। वे आज कह रहे हैं कि पट्टे वाले की तरह बगैर पट्टे वाले किसानों की फसल को भी समर्थन मूल्य में खरीदा जाए।

शिवराज सिंह ने अपने 13 वर्षों के कार्यकाल के दौरान एक भी गैर पट्टेधारी किसान की फसल समर्थन मूल्य में नहीं खरीदी। अपितु 13 वर्षों तक अपने लुटेरे दोस्तों के सहारे दिनदहाड़े बेरहमी से किसानों-आदिवासियों को मंडी में लूटने के लिए छोड़ दिया, पट्टा देना तो दूर की बात है, ऐसे किसानों को सरकारी सोसायटी में खाद बीज तक नहीं दिया गया। आज जब प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ किसानों- आदिवासियों के अधिकारों को लेकर बेहद गंभीर हैं, तो फिर शिवराज सिंह अपनी नौटंकी से राजनीतिक रोटियां सेंक कर स्वयं को स्थापित करने के सपने संजो रहे हैं, ताकि उनका लूटतंत्र दोबारा स्थापित हो सके, पर उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि किस तरीके से जब बुधनी विधानसभा के आदिवासी किसान अपनी मांगों को लेकर सितंबर 2018 की 10 तारीख को लाडकुई से पैदल यात्रा करते हुए हजारों की संख्या में नसरुल्लागंज पहुंचे थे और अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठे थे, तब शिवराज सिंह ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए अनशन के चौथे दिन पुलिस का दुरुपयोग कर आदिवासियों किसानों को जबरदस्ती रात्रि 9 बजे जेल भिजवाकर लोकतंत्र की हत्या की, इससे उन्होंने यह साबित कर दिया था कि वह सत्ता पर बैठने के बाद आदिवासी, गरीब किसानों के नेता नहीं अपितु इस वर्ग को लूटने वालों के लुटेरों के नेता हैं।

इस अन्याय के खिलाफ हजारों किसानों ने जेल का घेराव किया और घेराव लगातार तीन दिन तक चलता रहा। इससे घबराकर शिवराज सिंह ने आदिवासी किसानों की आवाज उठाने वाले किसान नेता अर्जुन आर्य को भोपाल सेंट्रल जेल भिजवा दिया। अर्जुन आर्य ने जेल में भी अपना अनशन जारी रखा, जब इस प्रताड़ना की आवाज पूरे प्रदेश में गूंजने लगी कि शिवराजसिंह किस तरीके से आदिवासी किसानों की आवाज को कुचलने का प्रयास कर रहे हैं। तो उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अभा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी व कमलनाथ का संदेश लेकर जेल में हमसे मिलने पहुंचे। उसी समय उन्होंने कांग्रेस और कमलनाथ की आदिवासियों के अधिकारों के प्रति जो प्रतिबद्धता है, उससे अवगत कराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आदिवासी भाईयों और किसानों के साथ हैं और तब दिग्विजय सिंह ने आश्वस्त किया था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो हम आदिवासियों के हितों की रक्षा करेंगे। दिग्विजय सिंह की सलाह पर हमने अनशन तोड़कर संकल्प लिया कि जब तक हम आदिवासी गैर पट्टाधारी किसानों के लिए अन्यायकारी शिवराज सिंह की आदिवासी किसान विरोधी सरकार को उखाड़ कर न फेंक दें, तब तक हम चैन से नहीं  बैठेंगे।

अब जबकि प्रदेश में किसान और आदिवासी हितैषी जनता की कांग्रेस सरकार आदिवासियों के हित में लगातार अच्छे कार्य कर रही है, तब ऐसे में सत्ता से विमुख शिवराज सिंह की हालत बिन पानी के मछली जैसी हो रही है। वे भोले-भाले आदिवासी किसान भाईयों को बरगलाने की ओछी राजनीति कर रहे हैं। 13 वर्ष का समय कम नहीं होता है, यदि शिवराजसिंह चाहते तो प्रदेश के एक-एक गैरपट्टाधारी किसान को पट्टा सहित अन्य अधिकार मुहैया कर सकते थे। लेकिन सच्चाई यह है कि वनाधिकार कानून-2006 के अंतर्गत मध्यप्रदेश में किसान आदिवासियों द्वारा 6 लाख 17 हजार 90 पट्टों के लिए आवेदन किये गये थे, जिनमें से ग्राम सभा की मंजूरी के बाद 3 लाख 62 हजार 671 पट्टों के आवेदन निरस्त कर दिये गये। अब जबकि कांग्रेस की आदिवासी व किसान हितैषी सरकार प्रदेश में काबिज है, तो शिवराजसिंह और भाजपा इसे पचा नहीं पा रही है और वे प्रदेश के किसानों को भड़काने का काम कर रहे हैं।

नयी सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000/- रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500/- रूपये प्रति मानक बोरा कर दी है। वर्तमान सरकार ने इस वर्ष से तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि के लिए आदिवासी किसानों को बैंक के चक्कर न काटने पड़े, इसलिए नगद भुगतान की व्यवस्था भी कर दी है। इस वर्ष संग्रहित तेंदूपत्ता का लगभग 80 प्रतिशत भुगतान हो गया है। आज पूरे प्रदेश के किसान-आदिवासियों के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ का एक ही संदेश है कि हमारी सरकार कांग्रेस की सरकार आदिवासियों की किसानों की गरीबों की सरकार है। जो आप के हितों के लिए उनकी रक्षा के लिए सदैव आपके साथ खड़ी है। फिर चाहे वह पट्टे देने की बात हो या फिर किसी और तरह के न्याय की बात है। हम हर उस कार्य को पूरा करेंगे, जो आदिवासियों किसानों के हित में होगा।
आज भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह या फिर उनके तमाम अन्य धोखेबाज नेताओं को समझने की आवश्यकता है। क्योंकि जब सत्ता में नहीं होते हैं तब तक ही किसानों और आदिवासियों के हितों की बात करते हैं और आपके सहारे अपनी राजनीति चमकाने का काम करते हैं और जैसे ही यह सत्ता में काबिज होते हैं। तो फिर किसानों-आदिवासियों को भूल कर उनका हित करना तो दूर उन्हें लूटने का काम करते हैं। इसलिए ऐसे बहरूपिये नेताओं से किसानों आदिवासियों को सचेत रहने की आवश्यकता है। कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री और पूरी कांग्रेस पार्टी किसानों आदिवासियों के साथ खड़ी है। प्रदेश की खुशहाली, आदिवासियों की खुशहाली, किसानों की खुशहाली ही हमारा अंतिम लक्ष्य है।
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