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किसान सम्मान निधि के लिए एमपी सरकार नहीं दे रही डाटा, मंत्री गढ़ रहे नये-नये तर्क

केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों का डाटा प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र को उपलब्ध नहीं कराया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश सरकार नहीं चाहती की इस योजना का लाभ बीजेपी उठा सके. बीजेपी का कहना है कि किसानों का डाटा न भेजकर एमपी सरकार किसानों का हक मार रही है और10 दिन में कर्ज माफी का उनका वचन अब तक पूरा नहीं हुआ.

किसान सम्मान निधि योजना
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Published : Mar 8, 2019, 11:57 PM IST


भोपाल। एक दिसंबर 2018 से शुरू हुई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक किसानों की सूची केंद्र सरकार को नहीं भेजी है. इसे लेकर हर मंत्री के अपने तर्क हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का डाटा वेरीफाई किया जा रहा है, जिसके बाद भेजा जाएगा. वहीं, बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार के डर से किसानों का हक मार रही है.

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किसान सम्मान निधि योजना

दरअसल, केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों का डाटा प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र को उपलब्ध नहीं कराया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश सरकार नहीं चाहती की इस योजना का लाभ बीजेपी उठा सके. बीजेपी का कहना है कि किसानों का डाटा न भेजकर एमपी सरकार किसानों का हक मार रही है और10 दिन में कर्ज माफी का उनका वचन अब तक पूरा नहीं हुआ.

उधर किसानों का डाटा अब तक नहीं भेजने पर हर मंत्री का अपना अलग दावा है. जनजातीय कार्य मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे ने कहा कि इस योजना के लिए किसानों का डाटा भेजने की जरूरत ही नहीं है, ये डाटा पहले से ही इंटरनेट पर अपलोड है. उधर कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि डाटा भेजने को लेकर सरकार गंभीर है और उसके लिए काम किया जा रहा है, हर प्रक्रिया में समय लगता है.

जाहिर है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, यही वजह है कि सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले किसान ऋण माफी योजना पर खास फोकस रखा है और सरकार नहीं चाहती की लोकसभा चुनाव में ये वोट बैंक कहीं और भटके.


भोपाल। एक दिसंबर 2018 से शुरू हुई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक किसानों की सूची केंद्र सरकार को नहीं भेजी है. इसे लेकर हर मंत्री के अपने तर्क हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का डाटा वेरीफाई किया जा रहा है, जिसके बाद भेजा जाएगा. वहीं, बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार के डर से किसानों का हक मार रही है.

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किसान सम्मान निधि योजना

दरअसल, केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों का डाटा प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र को उपलब्ध नहीं कराया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश सरकार नहीं चाहती की इस योजना का लाभ बीजेपी उठा सके. बीजेपी का कहना है कि किसानों का डाटा न भेजकर एमपी सरकार किसानों का हक मार रही है और10 दिन में कर्ज माफी का उनका वचन अब तक पूरा नहीं हुआ.

उधर किसानों का डाटा अब तक नहीं भेजने पर हर मंत्री का अपना अलग दावा है. जनजातीय कार्य मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे ने कहा कि इस योजना के लिए किसानों का डाटा भेजने की जरूरत ही नहीं है, ये डाटा पहले से ही इंटरनेट पर अपलोड है. उधर कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि डाटा भेजने को लेकर सरकार गंभीर है और उसके लिए काम किया जा रहा है, हर प्रक्रिया में समय लगता है.

जाहिर है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, यही वजह है कि सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले किसान ऋण माफी योजना पर खास फोकस रखा है और सरकार नहीं चाहती की लोकसभा चुनाव में ये वोट बैंक कहीं और भटके.

Intro:प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर मध्यप्रदेश में ग्रहण लगा हुआ है। 1 दिसंबर 2018 से शुरू हुई इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक किसानों की सूची केंद्र को भेजी ही नहीं है। हालांकि इस को लेकर हर मंत्री के अपने तर्क है। कोई कह रहा है की किसानों की सूची की जरूरत ही केंद्र को नहीं है कंप्यूटर पर पहले से ही डाटा मौजूद है हालांकि उधर मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि किसानों की 11 डाटा को वेरीफाई कर के ही भेजा जाएगा। उधर बीजेपी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह रही है की कांग्रेस लोकसभा चुनाव में हार के डर से किसानों का हक मार रही है।


Body:मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले किसान वोट बैंक को रिझाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी इसी योजना के तहत किसानों के खाते में छह-छह हजार रुपए पहुंचने है। दरअसल विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों के जिस तरह से नतीजे आए हैं उस के पीछे अहम वजह किसानों की नाराजगी को माना गया है। चुनाव के पहले तीनों ही राज्यों मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान मैं कांग्रेस ने किसान कर्ज माफी का वचन दिया था। सत्ता में आने के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी के अपने वचन को पूरा करने की दिशा में जोर-शोर से कदम उठाए हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश के करीब 25 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है हालांकि केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई किसान सम्मान निधि योजना का डाटा प्रदेश सरकार ने अब तक केंद्र को उपलब्ध नहीं कराया गया है। एक तरह से कहा जाए तो प्रदेश में केंद्र की योजना पर ग्रहण लगा हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश सरकार नहीं चाहती की इस योजना का लाभ बीजेपी उठा सके। उधर इसको लेकर बीजेपी भी कांग्रेस पर हमला पर है। बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि किसानों का डाटा ना भेजकर कांग्रेस सरकार किसानों का हक मार रही है। बीजेपी के पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस सरकार लोकसभा चुनाव से डरी हुई है उन्हें डर है कि कहीं इसी योजना की वजह से उन्हें नुकसान ना उठाना पड़े। उनके मुताबिक प्रदेश सरकार ने किसान ऋण मुक्ति योजना के नाम पर प्रदेश के किसानों को ठगा है और 10 दिन में कर्ज माफी का उनका वचन अब तक पूरा नहीं हुआ। उधर किसान सम्मान निधि योजना के डाटा अब तक ना भेजने को लेकर कमलनाथ सरकार के हर मंत्री का अपना अलग दावा है। जनजातीय कार्य मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे का कहना है कि इस योजना के लिए किसानों का डाटा भेजने की जरूरत ही नहीं है यह डाटा पहले से ही इंटरनेट पर अपलोड है। उधर पशुपालन मंत्री लाखन सिंह पटेल का कहना है कि कांग्रेस बीजेपी की तरह संकीर्ण मानसिकता की नहीं है यह डाटा जरूर भेजा जाएगा। उधर कृषि मंत्री सचिन यादव का कहना है कि डाटा भेजने को लेकर सरकार गंभीर है और उसके लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए डाटा जुटाने और उसके सत्यापन का काम किया जा रहा है यह एक प्रक्रिया है और प्रक्रिया में समय लगता है। उधर एक दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी जब सवाल किया गया तो उन्होंने भी कहा की एक एक किसानों के बैंक के अकाउंट को वेरीफाई किया जा रहा है ताकि इसमें कोई गड़बड़ी की गुंजाइश ना रहे। हालांकि उन्होंने इसको लेकर बीजेपी पर निशाना भी साधा उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत कम राशि किसानों के लिए निर्धारित की है। यह किसानों के साथ सरकार का मजाक है।
जाहिर है की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है यही वजह है कि सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले किसान ऋण माफी योजना पर खास फोकस रखा है और सरकार नहीं चाहती की लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक कहीं और भटके।


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