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प्रकृति को बचाने एक सार्थक पहल, यहां नहीं बजेगा लाउडस्पीकर और DJ, परंपरागत गीतों पर रचाएंगे शादी

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur: एमपी में सीएम बनते ही डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का निर्णय लिया था. इस फैसले का असर बुरहानपुर के झिरपांजरिया गांव में देखने मिला. जहां आदिवासी ग्रामीणों ने प्रकृति को बचाने के लिए एक पहली की है. ग्रामीणों ने गांव में लाउडस्पीकर और डीजे प्रतिबंधित कर दिया है.

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur
बुरहानपुर के गांव में नहीं बजेंगे डीजे लाउडस्पीकर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 29, 2023, 8:35 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 8:54 PM IST

बुरहानपुर के गांव में नहीं बजेंगे डीजे लाउडस्पीकर

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र के झिरपांजरिया गांव में आदिवासी समाजजन ने पूरे प्रदेश के लिए मिसाल पेश की है. अन्य शहरों, गांवों में ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए शासन, प्रशासन को कवायदें करना पड़ रही है, लेकिन झिरपांजरिया के लोगों ने खुद ही ध्वनि प्रदूषण को खत्म करने के लिए शादियों, कार्यक्रमों में डीजे नहीं बजाने का निर्णय लिया है. इस पर अमल भी शुरू कर दिया है. झिरपांजरिया गांव में पास ही के गांव बोरी-बुजूर्ग से बारात तो आई, लेकिन इसमें खास बात ये थी कि ना तो डीजे और ना ही बैंड बाजा था. समारोह में महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही थीं. वो भी बिना लाउड स्पीकर के. इन मधुर गीतों पर बराती और घराती थिरके भी. इस प्रेरणादायक कदम की खबर जिलेभर में फैली तो शासन, प्रशासन, धर्म गुरुओं ने सराहना की.

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur
ध्वनि प्रदूषण रोकने सार्थक पहल

बुरहानपुर के गांव में लाउडस्पीकर बैन: दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए मंदिर, मस्जिद से अतिरिक्त लाउड स्पीकर हटाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शादियों या अन्य कार्यक्रमों में बजने वाले डीजे के साउंड को भी तय मानक पर बजाने के लिए कहा है. इस निर्णय का सबसे पहले पालन धुलकोट क्षेत्र के आदिवासी समाजजन ने किया है. ग्राम पंचायत झिरपांजरिया की सरपंच सायलीबाई जयसिंह लोहारे ने गांव के पटेल, पूजारों के साथ बैठक की.

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur
महिलाओं ने गाए लोक गीत

शादियों में बजेंगे पारंपरिक वाद्य यंत्र: इस बैठक में विवाह समारोह में डीजे नहीं बजाकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग करने की बात कही गई है. इस पर सभी ने यह कहकर सहमति जताई कि इससे हमारी परंपरा भी जीवित रहेगी. हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्रों को फिर से चलाने का अवसर मिलेगा और इन्हें बजाने वाले कलाकारों को पहले की तरह रोजगार भी मिलेगा. इसका पालन गुरुवार को हुई शादी में किया गया.

Burhanpur Adivasi Decision
शादी में नहीं बजा डीजे

यहां पढ़ें...

वाद्य यंत्र देते हैं कानों का सुकून: झिरपांजरिया के बुजुर्ग कमल पटेल बताते हैं कि पहले तो शादियों में हम हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्र ही बजवाते थे. डीजे या अन्य कोई साउंड सिस्टम नहीं था. आज के समय के साउंड सिस्टम कानों को सुकून देने के बजाय चिड़चिड़ाहट पैदा कर देते हैं. ऐसे में हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की तरह मधुर ध्वनि का सर्जन नहीं करते हैं. आदिवासी समाजजन पुराने वाद्य यंत्रो को भूलते जा रहे थे, लेकिन अब ढोल, मांदल की थाप फिर से गूजेंगी. इन्हें बजाने वाले कलाकरों को भी अब काम मिलेगा. आधुनिकता के दौर में पारंपरिक कलाकारों की रोजी, रोटी छिन गई थी. अब उन्हें फिर से अपनी रोजी, रोटी चलाने का जरिया मिलेगा.

बुरहानपुर के गांव में नहीं बजेंगे डीजे लाउडस्पीकर

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र के झिरपांजरिया गांव में आदिवासी समाजजन ने पूरे प्रदेश के लिए मिसाल पेश की है. अन्य शहरों, गांवों में ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए शासन, प्रशासन को कवायदें करना पड़ रही है, लेकिन झिरपांजरिया के लोगों ने खुद ही ध्वनि प्रदूषण को खत्म करने के लिए शादियों, कार्यक्रमों में डीजे नहीं बजाने का निर्णय लिया है. इस पर अमल भी शुरू कर दिया है. झिरपांजरिया गांव में पास ही के गांव बोरी-बुजूर्ग से बारात तो आई, लेकिन इसमें खास बात ये थी कि ना तो डीजे और ना ही बैंड बाजा था. समारोह में महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही थीं. वो भी बिना लाउड स्पीकर के. इन मधुर गीतों पर बराती और घराती थिरके भी. इस प्रेरणादायक कदम की खबर जिलेभर में फैली तो शासन, प्रशासन, धर्म गुरुओं ने सराहना की.

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur
ध्वनि प्रदूषण रोकने सार्थक पहल

बुरहानपुर के गांव में लाउडस्पीकर बैन: दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए मंदिर, मस्जिद से अतिरिक्त लाउड स्पीकर हटाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शादियों या अन्य कार्यक्रमों में बजने वाले डीजे के साउंड को भी तय मानक पर बजाने के लिए कहा है. इस निर्णय का सबसे पहले पालन धुलकोट क्षेत्र के आदिवासी समाजजन ने किया है. ग्राम पंचायत झिरपांजरिया की सरपंच सायलीबाई जयसिंह लोहारे ने गांव के पटेल, पूजारों के साथ बैठक की.

Loudspeaker DJ Ban In Burhanpur
महिलाओं ने गाए लोक गीत

शादियों में बजेंगे पारंपरिक वाद्य यंत्र: इस बैठक में विवाह समारोह में डीजे नहीं बजाकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग करने की बात कही गई है. इस पर सभी ने यह कहकर सहमति जताई कि इससे हमारी परंपरा भी जीवित रहेगी. हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्रों को फिर से चलाने का अवसर मिलेगा और इन्हें बजाने वाले कलाकारों को पहले की तरह रोजगार भी मिलेगा. इसका पालन गुरुवार को हुई शादी में किया गया.

Burhanpur Adivasi Decision
शादी में नहीं बजा डीजे

यहां पढ़ें...

वाद्य यंत्र देते हैं कानों का सुकून: झिरपांजरिया के बुजुर्ग कमल पटेल बताते हैं कि पहले तो शादियों में हम हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्र ही बजवाते थे. डीजे या अन्य कोई साउंड सिस्टम नहीं था. आज के समय के साउंड सिस्टम कानों को सुकून देने के बजाय चिड़चिड़ाहट पैदा कर देते हैं. ऐसे में हमारे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की तरह मधुर ध्वनि का सर्जन नहीं करते हैं. आदिवासी समाजजन पुराने वाद्य यंत्रो को भूलते जा रहे थे, लेकिन अब ढोल, मांदल की थाप फिर से गूजेंगी. इन्हें बजाने वाले कलाकरों को भी अब काम मिलेगा. आधुनिकता के दौर में पारंपरिक कलाकारों की रोजी, रोटी छिन गई थी. अब उन्हें फिर से अपनी रोजी, रोटी चलाने का जरिया मिलेगा.

Last Updated : Dec 29, 2023, 8:54 PM IST
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