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विश्व पर्यावरण दिवसः यहां घर-घर में हैं पर्यावरण प्रेमी, चौतरफा फैली है हरियाली - madhya pradesh

खत्म होते जंगल और उजड़ते बाग भले ही मौत की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन इससे अंजान इंसान बेधड़क पेड़-पौधों की कटाई में लगा है, जबकि मध्यप्रदेश का एक ऐसा नगर है, जहां हर गली-मोहल्ले में घर के अंदर बाहर दो चार पेड़ देखने को मिल जायेंगे क्योंकि यहां के लोग पार्यावरण को लेकर बेहद सतर्क हैं. जिसके चलते यहां प्राकृतिक प्रकोप की संभावना न के बराबर रहती है.

नेपा नगर का पर्यावरण प्रेम
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Published : Jun 4, 2019, 6:58 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 12:10 PM IST

बुरहानपुर। एक ऐसा नगर जहां आपको हर घर, हर गली-मोहल्ले में बड़े-बड़े पेड़ दिख जाएंगे, नेपानगर के हर आंगन में बड़े-बड़े छायादार पेड़ लगे हैं, जो इन दिनों भीषण गर्मी में क्षेत्रवासियों को धूप से राहत पहुंचा रहे हैं, हरियाली की चादर ओढ़े नेपानगर को आमतौर पर एशिया के सबसे बड़े कागज कारखाने की वजह से जाना जाता है, अमूमन यहां की आधे से ज्यादा आबादी नेपा लिमिटेड के क्वार्टर में रहती है, इसके बावजूद उनका पर्यावरण प्रेम कम नहीं है, यहां हर घर के आंगन में बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं, युवा पीढ़ी भी पर्यावरण के प्रति जागरूक है, जो इन पेड़ों की रोजाना देखरेख कर रहा है.

नेपा नगर का पर्यावरण प्रेम

नेपानगर एक छोटा सा शहर है, यहा की आबादी भी बहुत कम है, आदिवासी बाहुल्य और मजदूर वर्ग के लोग यहां रहते हैं. ये पूरा क्षेत्र चौतरफा नदियों-पेड़ों से घिरा है, इसलिए यहां पानी की किल्लत कभी नहीं होती, लेकिन यहां के लोगों का पर्यावरण प्रेम इतना गहरा है कि आपको यहां नये से लेकर सैकड़ों साल पुराने पेड़ हर घर के आसपास देखने को मिल जायेंगे. रहवासी बताते हैं कि ये पेड़ उनके पुरखों के लगाये हुए हैं, लेकिन नई पीढ़ी भी धरती को हरा भरा रखने में कोई कमी नहीं रख रही है.

मध्यप्रदेश के कम आबादी वाले इस क्षेत्र के पिछड़े और मजदूर वर्ग के लोग उन उच्च वर्ग के लोगों से बेहतर हैं, जो अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण का पतन कर रहे हैं, हर किसी को इनसे सीखने की जरूरत है और पर्यावरण को बचाने के लिए वृक्षारोपण भी करना चाहिए, ताकि धरती की हरियाली बनी रहे और लोग भी स्वस्थ एवं खुशहाल रहें.

बुरहानपुर। एक ऐसा नगर जहां आपको हर घर, हर गली-मोहल्ले में बड़े-बड़े पेड़ दिख जाएंगे, नेपानगर के हर आंगन में बड़े-बड़े छायादार पेड़ लगे हैं, जो इन दिनों भीषण गर्मी में क्षेत्रवासियों को धूप से राहत पहुंचा रहे हैं, हरियाली की चादर ओढ़े नेपानगर को आमतौर पर एशिया के सबसे बड़े कागज कारखाने की वजह से जाना जाता है, अमूमन यहां की आधे से ज्यादा आबादी नेपा लिमिटेड के क्वार्टर में रहती है, इसके बावजूद उनका पर्यावरण प्रेम कम नहीं है, यहां हर घर के आंगन में बड़े-बड़े पेड़ लगे हैं, युवा पीढ़ी भी पर्यावरण के प्रति जागरूक है, जो इन पेड़ों की रोजाना देखरेख कर रहा है.

नेपा नगर का पर्यावरण प्रेम

नेपानगर एक छोटा सा शहर है, यहा की आबादी भी बहुत कम है, आदिवासी बाहुल्य और मजदूर वर्ग के लोग यहां रहते हैं. ये पूरा क्षेत्र चौतरफा नदियों-पेड़ों से घिरा है, इसलिए यहां पानी की किल्लत कभी नहीं होती, लेकिन यहां के लोगों का पर्यावरण प्रेम इतना गहरा है कि आपको यहां नये से लेकर सैकड़ों साल पुराने पेड़ हर घर के आसपास देखने को मिल जायेंगे. रहवासी बताते हैं कि ये पेड़ उनके पुरखों के लगाये हुए हैं, लेकिन नई पीढ़ी भी धरती को हरा भरा रखने में कोई कमी नहीं रख रही है.

मध्यप्रदेश के कम आबादी वाले इस क्षेत्र के पिछड़े और मजदूर वर्ग के लोग उन उच्च वर्ग के लोगों से बेहतर हैं, जो अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण का पतन कर रहे हैं, हर किसी को इनसे सीखने की जरूरत है और पर्यावरण को बचाने के लिए वृक्षारोपण भी करना चाहिए, ताकि धरती की हरियाली बनी रहे और लोग भी स्वस्थ एवं खुशहाल रहें.

Intro:मध्यप्रदेश का एक ऐसा नगर जहां आपको हर घर, हर गली, हर मोहल्ले में बड़े-बड़े पेड़ नजर आएंगे, जी हां सही सुना आपने आईये हम आपको ले चलते हैं बुरहानपुर जिलें के नेपानगर में जहां लोगो ने अपने आंगन में बड़े-बड़े छायादार पेड़ लगाए हैं, जो इन दिनों भीषण गर्मी में क्षेत्रवासियों धूप से राहत दे रहे हैं, हरियाली की चादर ओढ़े नेपानगर को आमतौर पर एशिया के सबसे बड़े कागज कारखाने की वजह से जाना जाता है, अमूमन यहां की आधे से ज्यादा आबादी नेपा लिमिटेड के क्वार्टर में रहते है, लेकिन उनका पर्यावरण से प्रेम कम नहीं है, यही वजह है कि यहां हर घर के आंगन में बड़े-बड़े पेड़ लगाए हैं, युवा पीढ़ी भी अब पर्यावरण के प्रति जागरूक है, जो इन पेड़ों को रोजाना सुबह-सुबह पानी देते हैं।Body:नेपानगर एक छोटा सा शहर है यहा की आबादी भी बहुत कम है यहा आदिवासी बाहुल्य और मजदूर वर्ग के लोग निवास करते है। यह पूरा क्षेत्र चारो तरफ से नदियो और पेडो से घिरा हुआ है इसलिए यहा जलसंकट की स्थिति भी नहीं होती है। लेकिन यहा पेडो के प्रति लोगा प्रेम इतना है कि यहा आपको काॅफी वर्ष पुराने पेड मिलेंगे जो करीबन 70 साल से भी अधिक पुराने है जो आज की युवा पीडि को छाया देने का काम करे रहे है। पूरे नेपानगर शहर में आपको पेडो की संख्या अधिक मिलेंगी यहा हर प्रकार के वृक्ष आपको देखने को मिलेंगे जैसे की नीम, पिपल, बरगद, इसके अलावा भी कई प्रकार के पेड यहा पाये जाते है। नगर में पैदल चलने वाले व्यक्ति को थकान होने पर आसानी से पेडो की छाया मिल जाती है। हर कदम की दूरी पर एक बडा विषाला काया वाला पेड मिलेंगा आपको। यह पूरा क्षेत्र सागौन के पेडो वाला इलाका भी कहलाता है। यहा अधिकतर जंगलों में आपको सागौन के पेड देखने को मिलेंगे। यहा के रहवासियो से जब हमने बात कि तो उन्होने बताया कि हमारे यहा पेड काॅफी पुराने और यह हमारे पूर्वजो ने लगाए है इसकी देखरेख हम एक बच्चे के पालन पोषण की तरह करते है रोज सुबह-षाम आंगन में लगे पेडो को पानी देते है। यह मध्यप्रदेष का एक छोटा सा शहर लोगों को अधिक से अधिक पेड लगाने का संदेष देता है ताकि आने वाली गर्मीयों में तप्ती धूप से राहत ले सके। ताकि पर्यावरण का वातावरण अनुकूल बना रहे और जलसंकट की स्थिति उत्पन्न न हो पाए।
बाईट 01:- जय कुमार शाह, रहवासी नेपानगर
बाईट 02:- स्वप्निल बंसोड, रहवासी नेपानगर।
Conclusion:नेपानगर से सागर चौरसिया की रिपोर्ट मों. 8821919132
Last Updated : Jun 5, 2019, 12:10 PM IST
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