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ऐतिहासिक विरासतों का शहर बुरहानपुर, सरकारी उपेक्षा के कारण विश्व के मानचित्र से गायब

बुरहानपुर में मौजूद दुनिया की एकमात्र जीवित भूमिगत जल वितरण प्रणाली जिसे कुंडी भंडारा के नाम से जाना जाता है, ये आज भी प्रशासन की उदासीनता के चलते खत्म होने की कगार पर है. साथ ही जिले में ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं, जो आज भी प्रशासन और पर्यटकों की नजर से दूर है, जिसे अब तक पहचान नहीं मिल सकी है.

सरकारी उपेक्षा के कारण विश्व के मानचित्र से गायब
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Published : Sep 26, 2019, 8:31 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 11:47 AM IST

बुरहानपुर। 27 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. मध्यप्रदेश पर्यटन के लिहाज़ से एक प्रमुख राज्य है. यहां कई पर्यटन स्थल हैं, जिनका पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व भी है. बुरहानपुर जिले की बात करें, तो यहां पग-पग पर ऐतिहासिक विरासतें बिखरी पड़ी हैं. करीब आठ सौ साल से चट्टान की तरह खड़ी ये विरासतें अब तक पर्यटन के नक्शे पर नहीं आ पाई हैं और इन्हें इनकी सही पहचान नहीं मिल सकी है.

बता दें कि बुरहानपुर जिले में मौजूद दुनिया की एकमात्र जीवित भूमिगत जल वितरण प्रणाली है, जिसे कुंडी भंडारा के नाम से जाना जाता है, जो प्रशासन की उदासीनता के चलते खत्म होने की कगार पर है. वहीं शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित असीरगढ़ का किला है, जो देश का इकलौता ऐसा किला है, जिसे सैकड़ों सालों में कोई राजा युद्ध लड़कर नहीं जीत पाया है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई करीब ढाई सौ फीट है और ये सतपुड़ा की पहाड़ी पर बना है. इस अजेय किले को भी बहुत कम लोग ही जानते हैं और यही कारण है कि यहां पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या नाम मात्र की है.

ऐतिहासिक विरासतों का शहर बुरहानपुर

वहीं शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर राजा जयसिंह की छतरी हो या शहर में मौजूद आगरे के ताजमहल की छोटी कृति वाला काला ताजमहल सब शिल्पकला के अद्भुत उदाहरण होते हुए भी पर्यटकों की पहुंच से आज भी दूर हैं.

शाहजहां-मुमताज के प्रेम का गवाह

बुरहानपुर में ही शाहजहां और मुमताज का इश्क वास्तव में परवान चढ़ा था और यहां के शाही किले में मुमताज ने अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देते समय आखिरी सांस ली थी, जिसके बाद उन्हें ताप्ती नदी के पूर्व में स्थित आहूखाना में दफ्न किया गया था. करीब 6 माह बाद ताजमहल का निर्माण पूरा होने पर उनकी कब्र को वहां से ले जाया गया था और इतने महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन के विश्व मानचित्र से गायब होना जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और सरकार की नाकामी को दिखाता है.

बुरहानपुर। 27 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. मध्यप्रदेश पर्यटन के लिहाज़ से एक प्रमुख राज्य है. यहां कई पर्यटन स्थल हैं, जिनका पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व भी है. बुरहानपुर जिले की बात करें, तो यहां पग-पग पर ऐतिहासिक विरासतें बिखरी पड़ी हैं. करीब आठ सौ साल से चट्टान की तरह खड़ी ये विरासतें अब तक पर्यटन के नक्शे पर नहीं आ पाई हैं और इन्हें इनकी सही पहचान नहीं मिल सकी है.

बता दें कि बुरहानपुर जिले में मौजूद दुनिया की एकमात्र जीवित भूमिगत जल वितरण प्रणाली है, जिसे कुंडी भंडारा के नाम से जाना जाता है, जो प्रशासन की उदासीनता के चलते खत्म होने की कगार पर है. वहीं शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित असीरगढ़ का किला है, जो देश का इकलौता ऐसा किला है, जिसे सैकड़ों सालों में कोई राजा युद्ध लड़कर नहीं जीत पाया है. इसकी समुद्र तल से ऊंचाई करीब ढाई सौ फीट है और ये सतपुड़ा की पहाड़ी पर बना है. इस अजेय किले को भी बहुत कम लोग ही जानते हैं और यही कारण है कि यहां पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या नाम मात्र की है.

ऐतिहासिक विरासतों का शहर बुरहानपुर

वहीं शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर राजा जयसिंह की छतरी हो या शहर में मौजूद आगरे के ताजमहल की छोटी कृति वाला काला ताजमहल सब शिल्पकला के अद्भुत उदाहरण होते हुए भी पर्यटकों की पहुंच से आज भी दूर हैं.

शाहजहां-मुमताज के प्रेम का गवाह

बुरहानपुर में ही शाहजहां और मुमताज का इश्क वास्तव में परवान चढ़ा था और यहां के शाही किले में मुमताज ने अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देते समय आखिरी सांस ली थी, जिसके बाद उन्हें ताप्ती नदी के पूर्व में स्थित आहूखाना में दफ्न किया गया था. करीब 6 माह बाद ताजमहल का निर्माण पूरा होने पर उनकी कब्र को वहां से ले जाया गया था और इतने महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन के विश्व मानचित्र से गायब होना जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और सरकार की नाकामी को दिखाता है.

Intro:बुरहानपुर। पूरे विश्व के साथ मध्य प्रदेश सरकार भी विश्व पर्यटन दिवस मना रही है, हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश के ऐतिहासिक विरासतों के बारे में चर्चा-परिचर्चा का दौर चलेगा, लेकिन सही मायनों में यह दिवस तब सफल होगा जब प्रदेशभर में में बिखरी पड़ी पुरातात्विक संपदा और ऐतिहासिक विरासतों को पर्यटन के विश्व मानचित्र पर वह स्थान मिलेगा जिसकी वो हकदार है, आज हम इतिहास के पन्नों में समृद्ध रहे ऐसे ही शहर बुरहानपुर की बात करेंगे जहां पग-पग पर ऐतिहासिक विरासतें बिखरी पड़ी है, करीब आठ सौ साल से चट्टान की तरह खड़ी ये विरासतें अब तक पर्यटन के नक्शे पर नहीं आ पाई हैं।


Body:शहर में मौजूद दुनिया की एकमात्र जीवित भूमिगत जल वितरण प्रणाली जिसे कुंडी भंडारा के नाम से जाना जाता है, जो प्रशासन की उदासीनता के चलते खत्म होने की कगार पर है, वही शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित असीरगढ़ का किला देश का इकलौता ऐसा किला है, जिसे सैकड़ों सालों में कोई भी राजा युद्ध लड़कर नहीं जीत पाया है, समुद्र तल से करीब ढाई फीट की ऊंचाई पर सतपुड़ा की पहाड़ी पर बने इस अजेय किले को भी बहुत कम लोग ही जानते हैं, यही कारण है कि यहा पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या नाम मात्र की है, तो वही शहर से 5 किलोमीटर दूर राजा जयसिंह की छतरी हो या शहर में मौजूद आगरे के ताजमहल की छोटी कृति वाला काला ताजमहल, सब शिल्पकला के अद्भुत उदाहरण होते हुए भी पर्यटकों की पहुंच से दूर है।


Conclusion:शाहजहां और मुमताज का इश्क वास्तव में बुरहानपुर में ही परवान चढ़ा था, यहां के शाही किले में मुमताज ने अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देते समय आखिरी सांस ली थी, जिसके बाद उन्हें ताप्ती नदी के पूर्व में स्थित आहुखाना में दफन किया गया था, करीब 6 माह बाद ताजमहल का निर्माण पूरा होने पर उनकी कब्र को वहां से ले जाया गया था, इतने महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन के विश्व मानचित्र से गायब होना स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और सरकार की ओर से इन स्थानों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने के लिए किए गए नाकाफी प्रयासों को दर्शाता है।

बाईट 01:- कमरुद्दीन फलक, इतिहासकार।
बाईट 02:- रोमानुस टोप्पो, अपर कलेक्टर बुरहानपुर।
Last Updated : Sep 26, 2019, 11:47 AM IST
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