बुरहानपुर। देश भर में होली की धूम है. लोग उल्लास के संग होली के रंगों में रंगे हुये हैं. शहर में एक समाजसेवी संस्था ने हर्बल रंगों से होली खेली. इस दौरान पानी की फिजूल खर्ची रोकने का भी संदेश दिया गया.
होली के दिन दिल खिल जाते हैं...रंगों में रंग मिल जाते हैं...कुछ ऐसे ही गीतों के बीच शहर में हर जगह होली के लिए लोग रोमांचित दिखे. हर्बल होली में प्राकृतिक रंगों से होली मनाते हुए न केवल पानी की बचत की गई बल्कि केमिकल युक्त रंगों से होने वाली हानि से बचाव की दिशा में भी सराहनीय कदम उठाया.
आपको बता दें कि केमिकल वाले रंगों का उपयोग न करते हुए यहां प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया जो मुल्तानी मिट्टी, हल्दी, आटा, अरारोट, नीम के पत्ते आदि से तैयार किये गये. होली के त्योहार पर जहां कई प्रकार के केमिकल युक्त रंगों से होली मनाई जाती है, वहां इस अनोखे तरीके से मनाई गई होली में रंग थे और होली के गीत भी थे, लेकिन यह रंग कोई केमिकल युक्त नहीं बल्कि हाथों से तैयार किये गये प्राकृतिक रंग थे.