जबलपुर : जिला प्रशासन ने किसानों को डीएपी वितरण के लिए लॉटरी का सहारा लेना शुरू कर दिया है. सरकार व प्रशासन सभी किसानों को सरकार डीएपी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. इसलिए अब किसाने की लॉटरी निकाली जाएगी. लॉटरी के जरिए ही खाद दिया जाएगा. वहीं, किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने सब्सिडी घटा दी और देश में पर्याप्त मात्रा में डीएपी ना होने की वजह से यह संकट खड़ा हुआ है. इसका खमियाजा आम जनता को महंगा अनाज खरीद कर चुकाना होगा.
कलेक्टर ने खाद वितरण के लिए बनाई नई व्यवस्था
जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने जबलपुर में कृषि विभाग के अधिकारियों और खाद विक्रेताओं से मीटिंग की. इसमें डीएपी के वितरण को लेकर एक अनोखी व्यवस्था बनाई गई है, जिसमें किसानों को लॉटरी के जरिए डीएपी दिया जाएगा. मतलब जिस किसान की किस्मत अच्छी होगी, उसे डीएपी मिलेगा और जिसकी किस्मत खराब होगी उसे डीएपी नहीं मिल पाएगा.
आखिरकार डीएपी का संकट क्यों खड़ा हुआ
स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी भारत अपनी जरूरत का मंत्र 40% डीएपी ही उत्पादित करता है. बाकी खाद भारत आयात करता है और यह आयात महंगा पड़ता है. इसलिए सरकार को 2 लाख करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी रासायनिक खाद के आयात में खर्च करनी पड़ती है. सरकार इस खाद सब्सिडी को कम करना चाहती थी. इसीलिए जानबूझकर डीएपी का आयात कम किया गया. इसमें कई दूसरे कारण जोड़कर बताया जा रहा है कि कुछ समुद्री लुटेरों की वजह से भारत में खाद नहीं आ पाया तो सोशल मीडिया पर बताया जाता है कि दुनिया में चल युद्धों को डीएपी की कमी हो रही है. लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में डीएपी का आयात किया ही नहीं.
सिहोरा में खाद वितरण केंद्र के बाहर घंटों हंगामा
जबलपुर के सिहोरा में एक तस्वीर सामने आई जिसमें सरकार की डबल लॉक गोदाम के बाहर किसानों ने अपने आधार कार्ड लाइन से लगा कर रखे हैं. सैकड़ों किसान खाद के लिए गोदाम के बाहर खड़े हैं. कुछ ऐसे ही तस्वीर पनागर ब्लॉक से सामने आई थी. कुछ इसी तरह कटंगी में किसानों ने सड़क पर जाम लगा दिया था, लेकिन किसान कितना भी हल्ला मचा ले उन्हें डीएपी मिलने वाला नहीं है.
- मध्य प्रदेश में खाद संकट गहराया, किसानों में मचा हाहाकार, बड़े आंदोलन की तैयारी
- खाद संकट से परेशान किसान, कई घंटे लाइन में लगने के बाद भी सैकड़ों किसान मायूस लौटे
भारतीय किसान संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी
भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल का कहना है "केंद्र सरकार ने खाद के आयात में केंद्र सरकार नहीं 25000 करोड़ की कटौती की है. इसलिए किसानों को पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पाएगा." भारतीय कृषक समाज के नेता राघवेंद्र पटेल का कहना है "यदि सरकार डीएपी उपलब्ध नहीं करवा पाई तो किसान को आंदोलन करना पड़ेगा. इसका सीधा असर गेहूं, चना, सरसों, अलसी, मटर जैसी फसलों पर भी होगा और जिसका खामियाजा आम जनता को महंगाई के साथ उठना होगा."