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पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार, नगर निगम अधिकारियों पर लगा आरोप - पीएम हाउस स्कीम में भ्रष्टाचार

प्रधानमंत्री आवास योजना में नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही के चलते लाखों रुपये के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है.

Corruption in PM Housing Scheme
प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार
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Published : Jun 26, 2020, 6:24 AM IST

बुरहानपुर। शहर में नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री आवास योजना में लाखों के गबन और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. मामले का खुलासा अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने किया है.

पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार

शिकायतकर्ता नईम ने अधिवक्ता के माध्यम से नगर निगम आयुक्त भगवानदास भूमरकर को लीगल नोटिस भेजा है. जिसमें 7 दिन के अंदर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है, साथ ही कार्रवाई नहीं होने पर फर्जीवाड़े को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी भी कर ली गई है.

ये पूरा मामला

केस नंबर 1 डॉ राजेंद्र प्रसाद वार्ड क्र. 26 के अस्थाई निवासी जफर खां पिता रहमान ने एमागिर्द हमीदपुरा में स्थित पैतृक मकान के कागज लगाकर नगर निगम वार्ड क्र. 26 में कोई जमीन नहीं होने के बावजूद काल्पनिक जगह दिखाकर नगर निगम के अधिकारी, पार्षद और जिओटेक इंजीनियर के साथ मिलकर 2 लाख 50 हजार रुपये का भ्रष्टाचार किया है.

केस नंबर 2 हितग्राही सैयद नईम पिता सैयद कबीर ने अपने ससुर कादर साहब की मालिकी के पूर्व मालिक की रजिस्ट्री का कागज लगाकर पूर्व मालिक के नाम की टैक्स रसीद लगाकर प्रश्नाधीन काल्पनिक जमीन के स्वामित्व संबंधी कोई भी दस्तावेज नगर निगम अधिकारियों ने प्राप्त किए बगैर ही, फर्जी रूप से ढाई लाख रुपए स्वीकृत कर दिए, जबकि मकान बनाया ही नहीं है.

केस नंबर 3 यह मामला पाली बी नामक महिला का है, महिला ने जमीन नहीं होने के बाद भी अनजान व्यक्ति के नाम के मकान के टैक्स की रसीद लगाकर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लिया है.

केस नंबर 4 यह मामला शेख सरदार पिता शेख वजीर, मोहम्मद एजाज पिता शेख सरदार का है, दोनों बाप बेटों ने नगर निगम अधिकारियों जिओटेक इंजीनियर और पार्षद की मिलीभगत से मात्र 88 वर्गफीट के भूखंड पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो अलग-अलग नाम से पांच लाख स्वीकृत करवा लिए, जबकि केवल ढाई लाख रुपए ही मकान बनाने में खर्च की है, वहीं ढाई लाख रुपए का गबन किया गया है.

शिकायतकर्ता ने गबन की गई राशि वसूल करने और दोषी अधिकारियों और हितग्राहियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है, वहीं अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने बताया कि ऐसे लगभग 20 और मामले उजागर करेंगे.

मामला उजागर होने के बाद निगमायुक्त भगवानदास भूमरकर ने कहां की जिओटेक इंजीनियर द्वारा गड़बड़ी की गई है, जिसकी आईडी ब्लॉक कर दी गई है, साथ ही उनके अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है.

बुरहानपुर। शहर में नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री आवास योजना में लाखों के गबन और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. मामले का खुलासा अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने किया है.

पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार

शिकायतकर्ता नईम ने अधिवक्ता के माध्यम से नगर निगम आयुक्त भगवानदास भूमरकर को लीगल नोटिस भेजा है. जिसमें 7 दिन के अंदर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है, साथ ही कार्रवाई नहीं होने पर फर्जीवाड़े को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी भी कर ली गई है.

ये पूरा मामला

केस नंबर 1 डॉ राजेंद्र प्रसाद वार्ड क्र. 26 के अस्थाई निवासी जफर खां पिता रहमान ने एमागिर्द हमीदपुरा में स्थित पैतृक मकान के कागज लगाकर नगर निगम वार्ड क्र. 26 में कोई जमीन नहीं होने के बावजूद काल्पनिक जगह दिखाकर नगर निगम के अधिकारी, पार्षद और जिओटेक इंजीनियर के साथ मिलकर 2 लाख 50 हजार रुपये का भ्रष्टाचार किया है.

केस नंबर 2 हितग्राही सैयद नईम पिता सैयद कबीर ने अपने ससुर कादर साहब की मालिकी के पूर्व मालिक की रजिस्ट्री का कागज लगाकर पूर्व मालिक के नाम की टैक्स रसीद लगाकर प्रश्नाधीन काल्पनिक जमीन के स्वामित्व संबंधी कोई भी दस्तावेज नगर निगम अधिकारियों ने प्राप्त किए बगैर ही, फर्जी रूप से ढाई लाख रुपए स्वीकृत कर दिए, जबकि मकान बनाया ही नहीं है.

केस नंबर 3 यह मामला पाली बी नामक महिला का है, महिला ने जमीन नहीं होने के बाद भी अनजान व्यक्ति के नाम के मकान के टैक्स की रसीद लगाकर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लिया है.

केस नंबर 4 यह मामला शेख सरदार पिता शेख वजीर, मोहम्मद एजाज पिता शेख सरदार का है, दोनों बाप बेटों ने नगर निगम अधिकारियों जिओटेक इंजीनियर और पार्षद की मिलीभगत से मात्र 88 वर्गफीट के भूखंड पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो अलग-अलग नाम से पांच लाख स्वीकृत करवा लिए, जबकि केवल ढाई लाख रुपए ही मकान बनाने में खर्च की है, वहीं ढाई लाख रुपए का गबन किया गया है.

शिकायतकर्ता ने गबन की गई राशि वसूल करने और दोषी अधिकारियों और हितग्राहियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है, वहीं अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने बताया कि ऐसे लगभग 20 और मामले उजागर करेंगे.

मामला उजागर होने के बाद निगमायुक्त भगवानदास भूमरकर ने कहां की जिओटेक इंजीनियर द्वारा गड़बड़ी की गई है, जिसकी आईडी ब्लॉक कर दी गई है, साथ ही उनके अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है.

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