जबलपुर। बुरहानपुर में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मिले कोरोना फंड घोटाले मामले में पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि मामले की पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है. इस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं करने के उनके पास साक्ष्य हैं. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब पर रिज्वाइंडर पेश करने समय प्रदान किया है.
10 करोड़ का फंड : बुरहानपुर निवासी उदय वर्मा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कोरोना काल में जिले के पीड़ित मरीजों के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड आवंटन किया गया था. जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने फंड के उपयोग की स्वतंत्रता तत्कालीन सीएचएमओ को दी थी. सीएचएमओ ने अपने परिचितों का खाता खुलवा कर उनके नाम पर राशि जारी कर दी. इसके अलावा जो व्यक्ति कोरोना पीड़ित नहीं थे, उनके नाम पर खाते खोलकर उनके नाम पर राशि जारी की गयी. घोटाले उजागर होने पर लालबाग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई गयी थी.
निष्पक्ष जांच नहीं होने का हवाला : याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि पुलिस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. नेता तथा उच्च अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल हैं. याचिका में राहत चाही गयी थी कि मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी जाये. याचिका में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आयुक्त राष्ट्रीय हेल्थ मिशन, डीजीपी, ईओडब्ल्यू तथा पुलिस अधीक्षक तथा थाना प्रभारी को अनावेदक बनाया गया था.
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गवाहों पर आपत्ति : युगलपीठ ने अनावेदक की सूची से आयुक्त राष्ट्रीय हेल्थ मिशन का नाम हटाने के निर्देश जारी करते हुए अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि प्रकरण में जिन लोगों को आरोपी बनाना था, पुलिस ने उन्हें गवाह बनाया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता धर्मेन्द्र सोनी ने पैरवी की.