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घोड़ी पर सवार दुल्हन पहुंची दूल्हे के घर, इको फ्रेंडली कार्ड छपवाकर दिया पर्यारवण बचाने का संदेश

बुरहानपुर में एक दुल्हन घोड़ी पर सवार होकर गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर अपने दूल्हे के घर पहुंची, इस दौरान बाराती जमकर थिरकते नजर आए.

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घोड़ी पर सवार दुल्हन
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Published : Feb 10, 2020, 7:07 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 11:39 PM IST

बुरहानपुर। जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली है, जहां बारात में बैंड बाजा और बाराती तो हैं, लेकिन दूल्हा नहीं है. दरअसल इस बारात में दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन घोड़ी पर सवार होकर अपने दूल्हे के पास गई. बारात को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी. खास बात ये रही कि दुल्हन के परिवार ने शादी का निमंत्रण कार्ड इको फ्रेंडली छपवाया और उस पर वृक्षारोपण करने और प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने का संदेश भी लिखा गया.

घोड़ी पर सवार दुल्हन


दुल्हन अंशुल बड़े ही धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ बारात निकालकर विवाह मंडप तक पहुंची, इस बारात में बाराती जमकर झूमते थिरकते दिखाई दिए. जिसे देख सारे लोग दंग रह गए. ये दुल्हन न सिर्फ घोड़ी पर सवार होकर अपनी बारात दूल्हे के घर ले गई बल्कि इनकी शादी का पूरा आयोजन ही सामाजिक संदेशों से भरा रहा. दुल्हन के परिवार ने पर्यावरण को बचाने और स्वछता रखने के लिए रुमाल पर आमंत्रण पत्र छपवाया. तो वहीं दूल्हे ने भी आधार कार्ड की तरह आमंत्रण पत्र छपवा कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का सन्देश दिया.

Invitation card printed on the handkerchief
रूमाल पर छपवाया निमंत्रण कार्ड


दरअसल, श्री श्री सकल पंच गुजराती मोढ़ वणिक समाज की 300 साल से अधिक पुरानी परंपरा है, जो बीच में बंद हो गई थी, लेकिन यह परंपरा फिर से शुरू की गई है, इस परंपरा को समाज के शिक्षित युवक-युवतियों द्वारा काफी सराहाया जा रहा है, साथ ही समाज की महिलाएं भी इस परंपरा को सराहना कर रही हैं.

Bride with a musical instrument
गाजे बाजे के साथ निकली दुल्हन

बुरहानपुर। जिले में एक अनोखी शादी देखने को मिली है, जहां बारात में बैंड बाजा और बाराती तो हैं, लेकिन दूल्हा नहीं है. दरअसल इस बारात में दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन घोड़ी पर सवार होकर अपने दूल्हे के पास गई. बारात को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी. खास बात ये रही कि दुल्हन के परिवार ने शादी का निमंत्रण कार्ड इको फ्रेंडली छपवाया और उस पर वृक्षारोपण करने और प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने का संदेश भी लिखा गया.

घोड़ी पर सवार दुल्हन


दुल्हन अंशुल बड़े ही धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ बारात निकालकर विवाह मंडप तक पहुंची, इस बारात में बाराती जमकर झूमते थिरकते दिखाई दिए. जिसे देख सारे लोग दंग रह गए. ये दुल्हन न सिर्फ घोड़ी पर सवार होकर अपनी बारात दूल्हे के घर ले गई बल्कि इनकी शादी का पूरा आयोजन ही सामाजिक संदेशों से भरा रहा. दुल्हन के परिवार ने पर्यावरण को बचाने और स्वछता रखने के लिए रुमाल पर आमंत्रण पत्र छपवाया. तो वहीं दूल्हे ने भी आधार कार्ड की तरह आमंत्रण पत्र छपवा कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का सन्देश दिया.

Invitation card printed on the handkerchief
रूमाल पर छपवाया निमंत्रण कार्ड


दरअसल, श्री श्री सकल पंच गुजराती मोढ़ वणिक समाज की 300 साल से अधिक पुरानी परंपरा है, जो बीच में बंद हो गई थी, लेकिन यह परंपरा फिर से शुरू की गई है, इस परंपरा को समाज के शिक्षित युवक-युवतियों द्वारा काफी सराहाया जा रहा है, साथ ही समाज की महिलाएं भी इस परंपरा को सराहना कर रही हैं.

Bride with a musical instrument
गाजे बाजे के साथ निकली दुल्हन
Intro:बुरहानपुर। शहर की सड़कों से अनूठी बारात निकली, इस बारात में घोड़ी पर दूल्हे की बजाए दुल्हन नजर आई, हर कोई इस बारात को देखकर हैरान हो गए, दरअसल श्री सकल पंच गुजराती मोड़ वनिक समाज की 300 साल से अधिक पुरानी परंपरा को आज भी समाज की शिक्षित लड़कियां अपनाने से पीछे नही हट रही है, जिसका ताज़ा उदाहरण आज देखने को मिला, दुल्हन अंशुल ने घोड़ी पर सवार होकर दूल्हे के पास पहुंची, वही दूल्हे के परिजनों ने शादी का निमंत्रण पत्र रुमाल पर छुपाकर बंटवाया था, जिससे पेपर की तो बचत हुई ही साथ ही इससे कचरा भी नहीं फैलेंगा, इसके अलावा रुमाल की धुलाई के बाद इसे उपयोग में भी लिया जा सकता है, बता दे कि शादी के इस इको फ्रेंडली कार्ड पर वृक्ष लगाने और प्लास्टिक उपयोग नही करने का संदेश भी लिखा गया हैं।


Body:घोड़ी पर होकर सवार चला हे दूल्हा यार... कमरिया पर बांधे तलवार, अक्सर यह गाना आपने बारातों में सुना होगा, और घोड़ी पर सवार दूल्हे को देखा होगा, लेकिन दूल्हे की बजाए दुल्हन घोड़ी पर सवार हुई तो देखने वाले दंग रह गए, दरअसल बुरहानपुर निवासी दुल्हन अंशुल घोड़ी पर सवार होकर अपने साजन के द्वार पहुंची, और ब्याह के बंधन में बंधी, बता दें कि श्री श्री सकल पंच गुजराती मोड़ वनिक समाज की 300 साल से अधिक पुरानी परंपरा है, जो बीच में बंद हो गई थी, लेकिन यह परंपरा फिर से शुरू की गई है, इस परंपरा को समाज के शिक्षित युवक-युवतियों द्वारा काफी सराहाया जा रहा है, साथ ही समाज की महिलाएं भी इस परंपरा को सराहना कर रही हैं।


Conclusion:झांसी की रानी की तरह घोड़ी पर सवार दुल्हन अंशुल बड़े धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ बारात निकालकर विवाह मंडप तक पहुंची, इस बारात में बाराती जमकर झूमते थिरकते दिखाई दिए।

बाईट 01:- अंशुल मुंशी, दुल्हन।
बाईट 02:- अपेक्षित शाह, दूल्हा।
बाईट 03:- विजय शाह, दूल्हे के पिता।
बाईट 04:- अनिता देवकर, समाजजन।
Last Updated : Feb 10, 2020, 11:39 PM IST
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