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ताप्ती नदी की गोद में मिला शिवलिंग, इतिहासकारों ने उठाई संग्रहालय में रखने की मांग

बुरहानपुर में ताप्ती नदी की गोद में एक शिवलिंग मिला है. इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखे जाने की मांग की है.

ताप्ती नदी की गोद में मिला शिवलिंग
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Published : Jun 15, 2019, 2:43 PM IST

बुरहानपुर। कुछ दिनों पहले राजघाट स्थित हथिया के नीचे ताप्ती नदी की गोद में एक शिवलिंग मिला है. इतिहासकारों के मुताबिक यह शिवलिंग संगेखारा के पत्थरों से बना हुआ है, जो करीब 600 साल पुराना बताया जा रहा है. प्रशासन ने इसे सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

प्रशासन की इस लापरवाही को इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने संभालने की कोशिश की है. उन्होंने जिला प्रशासन से शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखने की मांग की है. उनके मुताबिक यह प्राचीन शिवलिंग संगेखारा से बना हुआ है, जिसे कांटे का पत्थर या काला पत्थर भी कहा जाता है. इस पत्थर का उपयोग बुरहानपुर की शाही जामा मस्जिद और असीरगढ़ में बनी मस्जिद में भी किया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि शहर फारूकी काल का नहीं, बल्कि इससे भी प्राचीन है.

ताप्ती नदी की गोद में मिला शिवलिंग

कमरुद्दीन फलक ने बताया कि बारिश के मौसम में ताप्ती नदी लबालब हो जाती है, जिसके चलते आशंका है कि कहीं यह शिवलिंग नदी के पानी में बह ना जाए या सुरक्षा के अभाव में इस अमूल्य शिवलिंग को चोर चुरा ना ले जाएं. उन्होंने इसके लिए पुरातत्व विभाग से शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखे जाने की मांग की है, ताकि कार्बन डेटिंग से पता लगाया जा सके कि आखिर शिवलिंग कितना प्राचीन है.

बुरहानपुर। कुछ दिनों पहले राजघाट स्थित हथिया के नीचे ताप्ती नदी की गोद में एक शिवलिंग मिला है. इतिहासकारों के मुताबिक यह शिवलिंग संगेखारा के पत्थरों से बना हुआ है, जो करीब 600 साल पुराना बताया जा रहा है. प्रशासन ने इसे सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

प्रशासन की इस लापरवाही को इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने संभालने की कोशिश की है. उन्होंने जिला प्रशासन से शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखने की मांग की है. उनके मुताबिक यह प्राचीन शिवलिंग संगेखारा से बना हुआ है, जिसे कांटे का पत्थर या काला पत्थर भी कहा जाता है. इस पत्थर का उपयोग बुरहानपुर की शाही जामा मस्जिद और असीरगढ़ में बनी मस्जिद में भी किया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि शहर फारूकी काल का नहीं, बल्कि इससे भी प्राचीन है.

ताप्ती नदी की गोद में मिला शिवलिंग

कमरुद्दीन फलक ने बताया कि बारिश के मौसम में ताप्ती नदी लबालब हो जाती है, जिसके चलते आशंका है कि कहीं यह शिवलिंग नदी के पानी में बह ना जाए या सुरक्षा के अभाव में इस अमूल्य शिवलिंग को चोर चुरा ना ले जाएं. उन्होंने इसके लिए पुरातत्व विभाग से शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखे जाने की मांग की है, ताकि कार्बन डेटिंग से पता लगाया जा सके कि आखिर शिवलिंग कितना प्राचीन है.

Intro:बुरहानपुर में विगत दिनों सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी के राजघाट स्थित हथिया के नीचे ताप्ती नदी की गोद मे प्राचीन खंडित शिवलिंग मिला है, इतिहासकारों के मुताबिक यह शिवलिंग संगेखारा के पत्थरों से बना हुआ है, जिसे करीब 600 वर्ष पुराना माना जा रहा है, बता दें कि जब से शिवलिंग मिला है तब से लेकर आज तक जिला प्रशासन या पुरातत्व विभाग ने इसे सुरक्षित रखने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिसके बाद अब इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने जिला प्रशासन से शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखने की मांग की है।




Body:प्राचीन शिवलिंग संगेखारा से बना हुआ है, जिसे कांटे का पत्थर या काला पत्थर भी कहलाता हैं, इस पत्थर का उपयोग बुरहानपुर की शाही जामा मस्जिद और असीरगढ़ में बनी मस्जिद में भी किया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि शहर फारूकी काल का नहीं, बल्कि इससे से भी प्राचीन है, इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने बताया कि बारिश के मौसम में ताप्ती नदी लबालब हो जाती हैं, जिसके चलते आशंका है की कही शिवलिंग नदी के पानी मे बह ना जाए या सुरक्षा के अभाव में इस अमूल्य शिवलिंग को चोर चुरा ना ले जाए, इसके लिए पुरातत्व विभाग ने शिवलिंग को संग्रहालय में सुरक्षित रखना चाहिए ताकि कार्बन डेटिंग से पता लगाया जा सके कि आखिर शिवलिंग कितना प्राचीन है।


Conclusion:

बाईट 01:- कमरुद्दीन फलक, इतिहासकार।
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