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आदिवासी क्षेत्र में चलने वाली जननी एक्सप्रेस खस्ताहल, कभी भी हो सकता है हादसा

धुलकोट क्षेत्र के लिए अलॉट किया गया जननी एक्सप्रेस वाहन खस्ताहाल हो गया है. चलते समय वाहन कब बंद हो जाए, कहा नहीं जा सकता है. पढ़िए पूरी खबर.

burhanpur
बुरहानपुर
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Published : May 9, 2020, 5:59 PM IST

बुरहानपुर। आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र में चलने वाली जननी एक्सप्रेस खस्ता हालत हो चुकी है. वाहन के इंजन की हालत खराब है. जननी एक्सप्रेस को दुर्गम पहाडियों से निकालने के लिए ड्राइवर एक्सीलेटर तो दबाता है, लेकिन इंजन में दम नहीं है. इतना ही नहीं गर्भवती महिलाओं को लिटाने के वाले स्ट्रेचर को भी रस्सी से बांधकर रखा है, ताकि चलते वक्त मरीज नीचे न गिर जाए.

यही वजह है कि मुश्किल हालातों में जननी एक्सप्रेस संचालित हो रही है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सुध नहीं ले रहे है. यदि हालात यही रही तो जननी एक्सप्रेस से किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

धुलकोट क्षेत्र में कुल 26 गांव हैं, जिसमें लगभग 40 आदिवासी फालिया है, क्षेत्र की आबादी 60 हजार से अधिक है, बावजूद इसके इतने बड़े क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के अस्पताल पहुंचाने के लिए केवल एक ही जननी एक्सप्रेस मुहैया कराई गई है, लेकिन इस जननी एक्सप्रेस की हालत बेहद खराब है, जो अस्पताल पहुंचने से पहले या प्रसूता को लेने के बाद कब और कहां बंद हो जाएं, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

धुलकोट क्षेत्र के ज्यादातर गांव जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों में हैं, जिसके चलते क्षेत्र के लिए नए वाहन की आवश्यकता है, ताकि प्रसूताओं को बीच रास्ते में परेशानी ना हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शासन से नए वाहन की मांग करनी चाहिए.

मध्यप्रदेश सरकार ने जब जननी सुरक्षा योजना की शुरूआत की थी, जिसके तहत हर क्षेत्र के लिए ये वाहन उपलब्ध कराए गए थे. इस योजना का उद्देश्य संस्थागत और सुरक्षित प्रसव है और गर्भवती महिलाओं के लिए 24 घंटे एम्बुलेंस या परिवहन की सुविधा प्रदान करना है.

बुरहानपुर। आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र में चलने वाली जननी एक्सप्रेस खस्ता हालत हो चुकी है. वाहन के इंजन की हालत खराब है. जननी एक्सप्रेस को दुर्गम पहाडियों से निकालने के लिए ड्राइवर एक्सीलेटर तो दबाता है, लेकिन इंजन में दम नहीं है. इतना ही नहीं गर्भवती महिलाओं को लिटाने के वाले स्ट्रेचर को भी रस्सी से बांधकर रखा है, ताकि चलते वक्त मरीज नीचे न गिर जाए.

यही वजह है कि मुश्किल हालातों में जननी एक्सप्रेस संचालित हो रही है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सुध नहीं ले रहे है. यदि हालात यही रही तो जननी एक्सप्रेस से किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

धुलकोट क्षेत्र में कुल 26 गांव हैं, जिसमें लगभग 40 आदिवासी फालिया है, क्षेत्र की आबादी 60 हजार से अधिक है, बावजूद इसके इतने बड़े क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के अस्पताल पहुंचाने के लिए केवल एक ही जननी एक्सप्रेस मुहैया कराई गई है, लेकिन इस जननी एक्सप्रेस की हालत बेहद खराब है, जो अस्पताल पहुंचने से पहले या प्रसूता को लेने के बाद कब और कहां बंद हो जाएं, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

धुलकोट क्षेत्र के ज्यादातर गांव जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों में हैं, जिसके चलते क्षेत्र के लिए नए वाहन की आवश्यकता है, ताकि प्रसूताओं को बीच रास्ते में परेशानी ना हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शासन से नए वाहन की मांग करनी चाहिए.

मध्यप्रदेश सरकार ने जब जननी सुरक्षा योजना की शुरूआत की थी, जिसके तहत हर क्षेत्र के लिए ये वाहन उपलब्ध कराए गए थे. इस योजना का उद्देश्य संस्थागत और सुरक्षित प्रसव है और गर्भवती महिलाओं के लिए 24 घंटे एम्बुलेंस या परिवहन की सुविधा प्रदान करना है.

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