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युवा मतदाता, भाग्य विधाता: उपचुनाव में युवा मतदाता बनेंगे भाग्य विधाता, जानिए हर एक वोट का पूरा हिसाब

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव में युवा मतदाताओं की भूमिका अहम रहेगी, क्योकि इस बार एक लाख 51 हजार से अधिक नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे.

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Published : Nov 3, 2020, 6:00 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि ये उपचुनाव आने वाले सरकार के साथ ही कई बड़े नेताओं का भविष्य भी तय करेगा. यही वजह है कि उपचुनाव जीतने के लिए राजनीति पार्टियां ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं, लेकिन किसी भी चुनाव में प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला मतदाताओं के हाथ में ही होता है, खासकर युवा मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. क्योंकि इस बार करीब 40 लाख युवा मतदाता वोट करने वाले हैं. इसमें एक लाख 51 हजार से अधिक नए मतदाता शामिल हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2020 में 18 से 19 आयु वर्ग के एक लाख 51 हजार से अधिक नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे.

Voter
मतदाता

ऐसे में कहा जा सकता है कि, मध्यप्रदेश के उपचुनाव में युवा मतदाता भाग्य विधाता की भूमिका निभा सकता है. यही वजह है कि, युवा मतदाताओं की उपचुनाव में अहम भूमिका को देखते हुए उन्हें लुभाने के लिए पार्टियां जुटी हुई हैं.

शिवराज का भांजे-भांजियों पर दांव

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा कहलाना पसंद करते हैं. इसे वो हर मंच से बड़े जोर शोर से कहते भी हैं. उन्होंने चुनाव के ठीक पहले एक बड़ी सियासी चाल चली. शिवराज सरकार ने एमपी की सरकारी नौकरियां राज्य के बच्चों को ही देने का एलान किया. जरुरी कानूनी प्रावधान करने की भी बात कही. जवाब में कांग्रेस कमलनाथ ने युवा संवाद किया और राज्य में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा. राज्य की छवि देश में बिकाऊ होने की बात कही.

कांग्रेस का युवा प्लान

कांग्रेस ने युवा संवाद में 15 महीने के कार्यकाल की बात की और अपने फैसलों के जरिए कैसे वो युवाओं के लिए काम कर रहे थे, वो प्लान बताया. निवेश से राज्य के युवा फायदे में रहेंगे. उद्योगों के नियम सरल करने और 70 प्रतिशत स्थानीय रोजगार देने का प्रावधान बताया. एमपी को हार्टिकल्चर, कैपिटल और फूड प्रोसेसिंग हब बनाने का दावा किया.

मतादाता, जो करेंगे नाथ और महा'राज' के भाग्य का फैसला

मध्य प्रदेश में कुल 5 करोड़ 9 लाख मतदाता हैं. इनमें से 12.60 प्रतिशत मतदाता इस चुनाव में वोट डालेंगे. यानि करीब 64 लाख मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनने वाले हैं. वैसे 12 फीसदी संख्या कम हैं, लेकिन ये देश के दस राज्यों में मतदाताओं की संख्या से कहीं ज्यादा है. ऐसे 10 राज्य हैं, जहां के कुल वोटर से भी ज्यादा मतदाता, मध्यप्रदेश उपचुनाव में वोट करेंगे. इनमें से अधिकांश पूर्वोत्तर भारत के हैं.

Voter
मतदाता

एमपी में युवा मतदाता बनाएगा और बिगाड़ेगा खेल

  • मध्य प्रदेश में नए और युवा मतदाता जिनकी उम्र 21 से 29 साल है, वे निर्णायक होंगे.
  • ऐसे मतदाता 27.38 प्रतिशत हैं, जबकी 30 से 39 की उम्र के 25.58 प्रतिशत वोटर हैं.
  • एमपी में कुल 5.34 करोड़ वोटर हैं, जिनमें से 2.75 करोड़ से ज्यादा वोटर युवा हैं.

विधानसभा चुनाव के आधार पर एक नजर वोटर्स पर

Voter data
वोटरों का आंकड़ा
18 से 19 वर्ष15,78,167 मतदाता
20 से 29 वर्ष 1,37,83,383 मतदाता
30 से 39 वर्ष 1,28,74,974 मतदाता
40 से 49 वर्ष99,30,546 मतदाता
50 से 59 वर्ष 63,58,853 मतदाता
60 से 69 वर्ष35,45,733 मतदाता
70 से 79 वर्ष 16,85,339 मतदाता
80 से अधिक 5,77,265 मतदाता
40 वर्ष से कम उम्र के वोटर की संख्या 56 फीसदी

राज्य में शतक लगा चुके बुजुर्ग करेंगे मतदान

बुजुर्ग मतदाताओं के लिए इस बार पोस्टल बैलेट का इंतजाम किया गया है. साथ ही 100 की उम्र पार कर चुके बुजुर्ग भी उपचुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

जानिए किस सीटों पर कितने मतदाता होंगे 100 की उम्र पार.

  • मेहगांव - 20 मतदाता
  • गोहद - 15 मतदाता
  • मेहगांव में 80-89 उम्र के 3,139 मतदाता, 90-99 उम्र के 350 मतदाता
  • गोहद में 80-89 उम्र के 2,563 मतदाता, 90-99 उम्र के 355 मतदाता
    Young voter
    युवा मतदाता

इन विधानसभा सीटों पर युवा होंगे भाग्य विधाता

विधानसभा सीट युवा मतदाता
डबरा54 प्रतिशत
भांडेर50 प्रतिशत
जौरा61 प्रतिशत
सुमावली61 प्रतिशत
मुरैना56 प्रतिशत
दिमनी 60 प्रतिशत
अम्बाह60 प्रतिशत
ग्वालियर 53 प्रतिशत
ग्वालियर पूर्व50 प्रतिशत
गोहद54 प्रतिशत
मेहगांव 50 प्रतिशत

बहुमत का समीकरण

राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद कुल 230 सीटों में काग्रेस के 87 विधायक रह गए हैं, तो वहीं बीजेपी के कुल 107 विधायक हैं. 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक है. बाकी की 29 सीटें फिलहाल खाली हैं, जिनमें से 28 पर उपचुनाव हो रहे हैं. जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उसमें से कुल 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा की वजह से खाली हुई हैं, जो पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, तो वहीं दो सीटें कांग्रेस विधायकों और एक सीट बीजेपी विधायक के निधन से रिक्त हुई है. बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए मात्र नौ सीट जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को 28 सीटों की जरूरत पड़ेगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि ये उपचुनाव आने वाले सरकार के साथ ही कई बड़े नेताओं का भविष्य भी तय करेगा. यही वजह है कि उपचुनाव जीतने के लिए राजनीति पार्टियां ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं, लेकिन किसी भी चुनाव में प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला मतदाताओं के हाथ में ही होता है, खासकर युवा मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. क्योंकि इस बार करीब 40 लाख युवा मतदाता वोट करने वाले हैं. इसमें एक लाख 51 हजार से अधिक नए मतदाता शामिल हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2020 में 18 से 19 आयु वर्ग के एक लाख 51 हजार से अधिक नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे.

Voter
मतदाता

ऐसे में कहा जा सकता है कि, मध्यप्रदेश के उपचुनाव में युवा मतदाता भाग्य विधाता की भूमिका निभा सकता है. यही वजह है कि, युवा मतदाताओं की उपचुनाव में अहम भूमिका को देखते हुए उन्हें लुभाने के लिए पार्टियां जुटी हुई हैं.

शिवराज का भांजे-भांजियों पर दांव

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा कहलाना पसंद करते हैं. इसे वो हर मंच से बड़े जोर शोर से कहते भी हैं. उन्होंने चुनाव के ठीक पहले एक बड़ी सियासी चाल चली. शिवराज सरकार ने एमपी की सरकारी नौकरियां राज्य के बच्चों को ही देने का एलान किया. जरुरी कानूनी प्रावधान करने की भी बात कही. जवाब में कांग्रेस कमलनाथ ने युवा संवाद किया और राज्य में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा. राज्य की छवि देश में बिकाऊ होने की बात कही.

कांग्रेस का युवा प्लान

कांग्रेस ने युवा संवाद में 15 महीने के कार्यकाल की बात की और अपने फैसलों के जरिए कैसे वो युवाओं के लिए काम कर रहे थे, वो प्लान बताया. निवेश से राज्य के युवा फायदे में रहेंगे. उद्योगों के नियम सरल करने और 70 प्रतिशत स्थानीय रोजगार देने का प्रावधान बताया. एमपी को हार्टिकल्चर, कैपिटल और फूड प्रोसेसिंग हब बनाने का दावा किया.

मतादाता, जो करेंगे नाथ और महा'राज' के भाग्य का फैसला

मध्य प्रदेश में कुल 5 करोड़ 9 लाख मतदाता हैं. इनमें से 12.60 प्रतिशत मतदाता इस चुनाव में वोट डालेंगे. यानि करीब 64 लाख मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनने वाले हैं. वैसे 12 फीसदी संख्या कम हैं, लेकिन ये देश के दस राज्यों में मतदाताओं की संख्या से कहीं ज्यादा है. ऐसे 10 राज्य हैं, जहां के कुल वोटर से भी ज्यादा मतदाता, मध्यप्रदेश उपचुनाव में वोट करेंगे. इनमें से अधिकांश पूर्वोत्तर भारत के हैं.

Voter
मतदाता

एमपी में युवा मतदाता बनाएगा और बिगाड़ेगा खेल

  • मध्य प्रदेश में नए और युवा मतदाता जिनकी उम्र 21 से 29 साल है, वे निर्णायक होंगे.
  • ऐसे मतदाता 27.38 प्रतिशत हैं, जबकी 30 से 39 की उम्र के 25.58 प्रतिशत वोटर हैं.
  • एमपी में कुल 5.34 करोड़ वोटर हैं, जिनमें से 2.75 करोड़ से ज्यादा वोटर युवा हैं.

विधानसभा चुनाव के आधार पर एक नजर वोटर्स पर

Voter data
वोटरों का आंकड़ा
18 से 19 वर्ष15,78,167 मतदाता
20 से 29 वर्ष 1,37,83,383 मतदाता
30 से 39 वर्ष 1,28,74,974 मतदाता
40 से 49 वर्ष99,30,546 मतदाता
50 से 59 वर्ष 63,58,853 मतदाता
60 से 69 वर्ष35,45,733 मतदाता
70 से 79 वर्ष 16,85,339 मतदाता
80 से अधिक 5,77,265 मतदाता
40 वर्ष से कम उम्र के वोटर की संख्या 56 फीसदी

राज्य में शतक लगा चुके बुजुर्ग करेंगे मतदान

बुजुर्ग मतदाताओं के लिए इस बार पोस्टल बैलेट का इंतजाम किया गया है. साथ ही 100 की उम्र पार कर चुके बुजुर्ग भी उपचुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

जानिए किस सीटों पर कितने मतदाता होंगे 100 की उम्र पार.

  • मेहगांव - 20 मतदाता
  • गोहद - 15 मतदाता
  • मेहगांव में 80-89 उम्र के 3,139 मतदाता, 90-99 उम्र के 350 मतदाता
  • गोहद में 80-89 उम्र के 2,563 मतदाता, 90-99 उम्र के 355 मतदाता
    Young voter
    युवा मतदाता

इन विधानसभा सीटों पर युवा होंगे भाग्य विधाता

विधानसभा सीट युवा मतदाता
डबरा54 प्रतिशत
भांडेर50 प्रतिशत
जौरा61 प्रतिशत
सुमावली61 प्रतिशत
मुरैना56 प्रतिशत
दिमनी 60 प्रतिशत
अम्बाह60 प्रतिशत
ग्वालियर 53 प्रतिशत
ग्वालियर पूर्व50 प्रतिशत
गोहद54 प्रतिशत
मेहगांव 50 प्रतिशत

बहुमत का समीकरण

राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद कुल 230 सीटों में काग्रेस के 87 विधायक रह गए हैं, तो वहीं बीजेपी के कुल 107 विधायक हैं. 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक है. बाकी की 29 सीटें फिलहाल खाली हैं, जिनमें से 28 पर उपचुनाव हो रहे हैं. जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उसमें से कुल 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा की वजह से खाली हुई हैं, जो पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, तो वहीं दो सीटें कांग्रेस विधायकों और एक सीट बीजेपी विधायक के निधन से रिक्त हुई है. बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए मात्र नौ सीट जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को 28 सीटों की जरूरत पड़ेगी.

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