भोपाल। पार्टी विद डिफरेंस बताने वाली बीजेपी अब पार्टी इन डिफरेंट हो गई है. मध्यप्रदेश में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक पिछले ढाई साल से नहीं हुई. नंदकुमार सिंह के बाद बदले गए दोनों अध्यक्ष न तो पूरी कार्यकारिणी बना पाए और न ही बैठकें कर पाए. नंदुकमार का कार्यकाल पूरा होने के पहले ही तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष ने राकेश सिंह को मप्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन उन्हें भी अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिला और टीम बनाने के पहले ही संघ की पसंद वीडी शर्मा को संगठन की कमान दे दी गई, अब वीडी भी अभी तक कार्यकारिणी नहीं बना पाए और न ही कार्यसमिति की बैठक कर पाये.
वीडी की टीम अधूरी
कार्यकारिणी, कार्यसमिति सदस्य, प्रवक्ता, पैनलिस्ट मोर्चा टीम के साथ जिलाध्यक्षों में फंसे पेंच के चलते पूरी टीम नहीं बन पा रही है. बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह भी कार्यसमिति नहीं बना पाए. फ्री हैंड नहीं होने के कारण पार्टी को मजबूती नहीं दे पाएं. नतीजा विधानसभा की सीटें हाथ से छिटक गईं और पार्टी मार खा गई. ढाई साल में करीब 8 से 10 बैठकें होनी थी, लेकिन अभी तक एक भी बैठक नहीं हो पाई. पार्टी का मानना है कि लंबे समय से न सिर्फ एमपी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बैठकें नहीं हुईं, बीजेपी अंतर्कलह और क्षत्रपों की लड़ाई के चलते कार्यसमिति का एलान नहीं कर पाई. वहीं, कार्यसमिति और बैठकें नहीं होने के लिए पार्टी कोरोना को जिम्मेदार ठहरा रही है.
कोरोना काल के चलते बैठकें नहीं हो पाएगीं
बीजेपी प्रवक्ता राजो मालवीय का कहना है कि ये प्रदेशाध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है. अध्यक्ष ने अपनी पदाधिकारियों की टीम तो बना दी है और जल्द ही कार्यसमिति भी पूरी कर ली जाएगी, हालांकि कोरोना काल के चलते बैठकें नहीं हो पाएगीं, यदि बैठकें नहीं हुई तो वर्चुलय बैठकें ही की जाएगीं. वीडी ने नए पदाधिकारियों का एलान कर ये जताने की कोशिश की है कि वे फ्री हैंड और पार्टी में फैसले ले सकते हैं. टीम के अध्यक्ष नए प्रदेश प्रभारियों के साथ इंदौर और सीहोर में बैठक कर चुके हैं.
कार्यसमिति में क्या होता है
- कार्यसमिति की बैठक में भाजपा सरकार की उपलब्धियों पर राजनीतिक प्रस्ताव आता है
- संगठन के संबंध में जिलों के कार्ययोजना का एलान होता है
- तीन महीने के कार्यक्रमों की समीक्षा के साथ-साथ आगामी एजेंडा भी संगठन को सौंपा जाता है
- सत्ता संगठन से जुड़े मुद्दों पर चिंतन मंथन बैठकों में होता है
- सुझाव और शिकायत का सत्र भी रहता है
- पार्टी के वरिष्ठ और मुख्यमंत्री के संबोधन भी होते हैं
- विरोध और अंतर तरह के चलते नहीं बन पा रही कार्यसमित
सिंधिया समर्थकों के आने के बाद उन्हे संगठन में एडजस्ट करना है
जानकारों का मानना है कि सिंधिया समर्थकों के आने के बाद अब उन्हे भी संगठन में एडजस्ट करना है और ख्याल रखना है कि कैसे एकरूपता लाई जाए और पार्टी में विघटन को कैसे रोके, खासतौर से अंतरकलह को लेकर भी पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है. अभी बीजेपी के सामने नगरीय निकाय चुनाव भी हैं, इसके बाद पंचायत चुनाव भी हैं. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी को लग रहा है कि कार्यसमिति पूरी करने के बाद कहीं विरोध के स्वर और खुलकर न आने लगे. यही कारण है कि अब कोरोना का बहाना लेकर वीडी शर्मा फिलहाल विस्तार से बचना चाहेगें
पांच जिलाध्यक्षों का एलान किया है
कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, विपक्ष ने अभी तक जिलाध्यक्ष नहीं बनाए हैं. हाल में पांच जिलाध्यक्षों का एलान किया है, लेकिन बीजेपी की कार्यकारिणी का पूरा न होना कांग्रेस अंतरकलह करार दे रही है.
'बीजेपी में टकराव और बिखराव साफ देखाई दे रहा है'
कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि भाजपा में टकराव और बिखराब स्पष्ट दिखाई दे रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रीमंडल में कब्जा करके बैठे हैं, लेकिन संगठन में जगह नहीं दी जा रही है, बीजेपी के नेता कहते हैं कि सौदा तो सरकार का हुआ था इसलिए संगठन में जगह नहीं दी जाएगी. बीजेपी में जूतम पैजार जल्द ही दिखाई देगा.
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भाजपा का नया फार्मूला
भाजपा ने संगठन चुनाव के दौरान ही प्रदेश में नए चेहरों को लाने की कवायद शुरू कर दी थी. मंडल अध्यक्ष के लिए 35 साल की आयु सीमा तय कर दी गई थी.. इसी तरह जिला अध्यक्ष के लिए भी अधिकतम 50 साल की आयु सीमा निर्धारित थी. माना जा रहा है कि जिस तरह से शिवराज कैबिनेट के चयन में नए चेहरों को तरजीह दी गई है, ठीक उसी तरह शर्मा की टीम में भी नए चेहरे और खासकर युवाओं की संख्या ज्यादा होगी. भाजपा प्रदेश में पीढ़ी परिवर्तन को ध्यान में रखकर ज्यादातर फैसले कर रही है, लेकिन सबको इंतजार है कि वीडी अपनी पूरी टीम कब तैयार कर पाती हैं.