भोपाल। मध्यप्रदेश में लव जिहाद को लेकर बनाए गये धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 को अध्यादेश के रूप में राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है. इस बहुचर्चित कानून के बाद एक और कानून की चर्चा जोर पकड़ रही है. प्रदेश सरकार अब सामूहिक पत्थरबाजी को लेकर कानून बनाने जा रही है. इस कानून के मसौदे पर गृह और विधि विभाग के विशेषज्ञ मंथन में जुटे हुए हैं. संभावना है कि अगले विधानसभा सत्र में इस कानून को पेश किया जाए या फिर अध्यादेश के जरिए इस कानून को लागू किया जाए. लेकिन इस कानून को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. एक बड़ा सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश के हालात कश्मीर या फिर उत्तर पूर्व जैसे हो गए, जो इस तरह के कानून की जरूरत पड़ रही है.
विपक्ष कह रहा है कि शब्दों के आडंबर से सरकार राजनीतिक रोटियां सेक रही है. बाबा साहेब के संविधान में इस तरह की घटनाओं को लेकर पहले से कई प्रावधान हैं. मप्र में पिछले महीने कुछ घटनाएं ऐसी जरूर हुई हैं. जिसमें सामूहिक पत्थरबाजी देखने को मिली है. लेकिन कानून के जानकार मानते हैं कि प्रदेश के हालात ऐसे नहीं हैं कि इस तरह के कानून की जरूरत हो, लेकिन सरकार को कानून बनाने का अधिकार है.
क्यों पड़ रही है मध्यप्रदेश में पत्थरबाजी के लिए कानून की आवश्यकता
मध्यप्रदेश में पिछले दिनों अयोध्या में निर्मित हो रहे राम मंदिर को लेकर धार्मिक संगठनों द्वारा रैलियां निकालकर चंदा एकत्रित किया जा रहा था. इन रैलियों के दौरान उज्जैन,इंदौर,मंदसौर, नीमच और खरगोन में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आई हैं. बताया जा रहा है कि समुदाय विशेष के लोगों ने इन रैलियों पर पथराव किया है. वही ये भी आरोप है कि इन रैलियों के दौरान धर्म विशेष के विरोध में गंभीर और आपत्तिजनक नारेबाजी की गई. इसलिए पत्थरबाजी की घटनाएं हुई हैं. शिवराज सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सामूहिक पत्थरबाजी पर सख्त कानून बनाने का ऐलान किया है.
कानून के मसौदे को लेकर मंथन कर रहे हैं गृह और विधि विभाग के अफसर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद गृह और विधि विभाग के अफसर इस कानून के मसौदे को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं. चर्चा है कि इस कानून में सख्त प्रावधान किए जा सकते हैं.
- सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोषियों से वसूली का प्रावधान किया जा सकता है.
- सामूहिक और दलीय आधार पर होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं में कड़ी सजा का प्रावधान किया जा सकता है.
- धर्म की आड़ लेकर और धार्मिक स्थलों पर खड़े होकर इस तरह की घटना को अंजाम देने में संबंधित जगह को भी राजसात करने का प्रावधान किया जा सकता है.
- पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर अलग से ट्रिब्यूनल गठित किया जा सकता है, जो तय समय सीमा में ऐसे मामलों का निराकरण करेगा.
पत्थरबाजी को लेकर कानून में पहले से क्या है प्रावधान
पत्थरबाजी पर बनाए जा रहे कानून को लेकर विपक्ष जहां सरकार पर शब्दों का आडंबर रचा राजनीतिक रोटियां सेकने का आरोप लगा रहा है तो कानून के जानकार कहते हैं कि आईपीसी और सीआरपीसी में पहले से ऐसे कई प्रावधान हैं कि ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई की जा सकती है. जानकार मानते हैं कि कानून व्यवस्था के मामले में मजिस्ट्रेट के लिए ही बहुत सारी शक्तियों के प्रावधान हैं.
- आईपीसी की धारा 322: किसी व्यक्ति को जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने की स्थिति में धारा 322 के तहत अपराध पंजीबद्ध हो सकता है.
- आईपीसी की धारा 326: कोई भी व्यक्ति घातक हथियार या किसी वस्तु से किसी को गंभीर रूप से जख्मी कर दे. जैसे किसी को चाकू मारना,किसी का कोई अंग काट देना या ऐसा जख्म देना जिससे जान को खतरा हो, तो गैर जमानती अपराध पंजीबद्ध होता है.
कानून व्यवस्था को लेकर मजिस्ट्रेट की शक्तियां
कानून के जानकार मानते हैं कि सामूहिक पत्थरबाजी या इस तरह के विरोध प्रदर्शन में कार्रवाई करने के लिए मजिस्ट्रेट के पास काफी शक्तियां हैं. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मजिस्ट्रेट ऐसे कई अधिकारों का उपयोग कर सकता है,जो इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक हैं.
सज्जन सिंह वर्मा ने साधा बीजेपी पर निशाना
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं कि नए-नए कानून बनाकर बीजेपी को हम भारतवासी यह अधिकार दे देंगे कि तुम लोग एक नया संविधान लिख लो और बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को कूड़े कचरे में फेंक दो. अपने हिसाब से हर तरह की धाराएं और हर तरह के मसले इसमें जोड़ लो, कोई दिक्कत नहीं है. जितनी धाराएं बाबा साहब ने संविधान में दी हैं. उनमें काफी शक्तियां हैं. इन शक्तियों को पहचानने की जगह शब्दों के आडंबर को रचना जैसी लव जिहाद, पत्थरबाजी पर नया कानून इसमें बीजेपी माहिर है. बीजेपी के लोग नाम बदलने में माहिर हैं. किसी शहर का गली मोहल्ले का नाम बदलना हो. इसलिए इस पर कुछ ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है. जनता को समझना होगा.
'जिस घर के पत्थर आएंगे, उसी घर के पत्थर निकाले जाएंगे'
वहीं गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि गलत करोंगे, रोकेंगे नहीं तो ठोकेंगे. एक कानून है उसका ध्यान रखें. मैंने कहा था कि जिस घर के पत्थर आएंगे, उसी घर के पत्थर निकाले जाएंगे. समाज को तोड़ने वाली ताकत कोई भी हो विध्वंस कारी ताकत कोई भी हो. मध्य प्रदेश में कानून का राज है, हम किसी को पनपने नहीं देंगे.
'मप्र के हालात ऐसे नहीं के अलग से कानून की जरूरत हो'
वकील साक्षी पवार का कहना है कि मप्र में जो अभी पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आई हैं, वह निंदनीय हैं. जहां तक इन घटनाओं पर अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत है, तो मुझे लगता है कि ऐसी कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि हमारे कानून में पहले से इतनी धाराएं हैं,जो इस तरह की घटनाओं में उपयोगी हैं. जैसे आईपीसी की धारा 322 और धारा 326 इन घटनाओं में उपयोग में आ सकती हैं. संवैधानिक दृष्टि से देखा जाए तो ऐसे मामले में लोक व्यवस्था के लिहाज से राज्य सरकार कानून बना सकती है. लेकिन जब कोई पत्थरबाजी सामूहिक तरीके से करता है,तो यह एक तरह की अभिव्यक्ति होती है कि वह अपना विरोध जता रहा है. इस तरह के विरोध प्रदर्शन पर कानून की दृष्टि से कई तरह के उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. हमारे संविधान और आईपीसी और सीआरपीसी की दृष्टि से देखा जाए,तो कानून व्यवस्था के मामले में मजिस्ट्रेट के पास इतनी शक्तियां होती हैं कि वह कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में अपनी शक्तियों का उपयोग कर नियंत्रण कर सकता है. मुझे नहीं लगता है कि अलग से कानून बनाने की जरूरत है. यदि हमारे मध्यप्रदेश में पत्थरबाजी की घटनाएं आम हो जाएं,तब ऐसे कानून की जरूरत होती है.