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भोपाल नगर निगम के 6 हजार कर्मचारी लड़ रहे हैं नियमितीकरण की लड़ाई, मिलता है सिर्फ आश्वासन

भोपाल नगर निगम के 6 हजार कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर सालों से जद्दोजहद करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

Bhopal City Corporation
भोपाल नगर निगम
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Published : Nov 16, 2020, 7:54 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 11:07 PM IST

भोपाल। भोपाल नगर निगम में 6 हजार कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर सालों से जद्दोजहद करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. कलेक्ट्रेट के हिसाब से 25 दिवसीय कर्मचारियों को सैलरी दी जाती है, जो महीने के हिसाब से 7 हजार होती है. उनमें से 840 ईपीएफओ में कट जाते हैं. कर्मचारियों को 6140 रुपए ही मिल पाते हैं.

कर्मचारियों को नियमितीकरण का मामला

कब किया जाएगा नियमित ?

भोपाल नगर निगम के अलग-अलग विभाग में जो कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम कर रहे हैं, उनमें से कई कर्मचारियों को काम करते हुए 10 से 15 साल हो गए हैं, इसके बावजूद भी इन कर्मचारियों को परमानेंट नहीं किया जा रहा है. महंगाई के इस दौर में 6 हजार में घर चलाना इन कर्मचारियों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती है.

नियमितीकरण में क्या दिक्कतें हैं ?

भोपाल नगर निगम के 6 हजार कर्मचारियों को नियमित करने में सबसे बड़ी परेशानी है उनकी सैलरी. अगर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाता है, तो इनकी सैलरी 7 हजार से सीधे 18 हजार के आस-पास हो जाएगी, जिससे निगम के खजाने पर अतिरिक्त भार हर महीने का आएगा. निगम पहले ही खाली खजाने से जूझ रहा है. अगर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, तो निगम की आर्थिक स्थिति और बुरी हो जाएगी.

ये जिम्मेदारी कर्मचारियों के पास

निगम के ये कर्मचारी शहर के 85 वार्डों में हर रोज डोर टू डोर घरों से लेकर दुकानों और व्यवसायिक मार्केट से कचरा उठाते हैं. अगर एक दिन भी शहर से कचरा ना उठाया गया, तो हजारों मीट्रिक टन कूड़ा कचरा शहर में जमा हो जाएगा. शहर में रोज एक हजार टन कचरा निकलता है. साथ ही निगम के वर्कशॉप में भी बड़ी संख्या में मैकेनिक काम करते हैं. टैंकरों से पानी की सप्लाई की जिम्मेदारी भी इन्हीं कर्मचारी को पास है. वहीं भोपाल निगम कमिश्नर का कहना है कि, पूरे कर्मचारियों को एक साथ नियमित करना असंभव है.

सालों से मिल रहा सिर्फ आश्वासन

निगम के 25 दिवसीय कर्मचारी सालों से अपनी मांगों को लेकर नेताओं से लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा इन कर्मचारी को कुछ नहीं मिलता. सरकार बीजेपी की रहे या फिर कांग्रेस की, सभी इन कर्मचारियों को आश्वासन देते हैं. समस्या का हल कोई नहीं निकालता है.

भोपाल। भोपाल नगर निगम में 6 हजार कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर सालों से जद्दोजहद करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. कलेक्ट्रेट के हिसाब से 25 दिवसीय कर्मचारियों को सैलरी दी जाती है, जो महीने के हिसाब से 7 हजार होती है. उनमें से 840 ईपीएफओ में कट जाते हैं. कर्मचारियों को 6140 रुपए ही मिल पाते हैं.

कर्मचारियों को नियमितीकरण का मामला

कब किया जाएगा नियमित ?

भोपाल नगर निगम के अलग-अलग विभाग में जो कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम कर रहे हैं, उनमें से कई कर्मचारियों को काम करते हुए 10 से 15 साल हो गए हैं, इसके बावजूद भी इन कर्मचारियों को परमानेंट नहीं किया जा रहा है. महंगाई के इस दौर में 6 हजार में घर चलाना इन कर्मचारियों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी कई बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती है.

नियमितीकरण में क्या दिक्कतें हैं ?

भोपाल नगर निगम के 6 हजार कर्मचारियों को नियमित करने में सबसे बड़ी परेशानी है उनकी सैलरी. अगर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाता है, तो इनकी सैलरी 7 हजार से सीधे 18 हजार के आस-पास हो जाएगी, जिससे निगम के खजाने पर अतिरिक्त भार हर महीने का आएगा. निगम पहले ही खाली खजाने से जूझ रहा है. अगर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, तो निगम की आर्थिक स्थिति और बुरी हो जाएगी.

ये जिम्मेदारी कर्मचारियों के पास

निगम के ये कर्मचारी शहर के 85 वार्डों में हर रोज डोर टू डोर घरों से लेकर दुकानों और व्यवसायिक मार्केट से कचरा उठाते हैं. अगर एक दिन भी शहर से कचरा ना उठाया गया, तो हजारों मीट्रिक टन कूड़ा कचरा शहर में जमा हो जाएगा. शहर में रोज एक हजार टन कचरा निकलता है. साथ ही निगम के वर्कशॉप में भी बड़ी संख्या में मैकेनिक काम करते हैं. टैंकरों से पानी की सप्लाई की जिम्मेदारी भी इन्हीं कर्मचारी को पास है. वहीं भोपाल निगम कमिश्नर का कहना है कि, पूरे कर्मचारियों को एक साथ नियमित करना असंभव है.

सालों से मिल रहा सिर्फ आश्वासन

निगम के 25 दिवसीय कर्मचारी सालों से अपनी मांगों को लेकर नेताओं से लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा इन कर्मचारी को कुछ नहीं मिलता. सरकार बीजेपी की रहे या फिर कांग्रेस की, सभी इन कर्मचारियों को आश्वासन देते हैं. समस्या का हल कोई नहीं निकालता है.

Last Updated : Nov 16, 2020, 11:07 PM IST
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