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क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच रहा एमपी का वाटर लेवल, भू-जल दोहन से सूखे की कगार पर इंदौर, पढ़ें रिपोर्ट

मध्य प्रदेश का भू-जल स्तर लगातार घट रहा है. इंदौर के लिए भू-जल के मामले में खतरे की घंटी बज रही है. इंदौर में भू-जल सूखने की कगार पर पहुंच गया है. इंदौर के अलावा रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, उज्जैन में भी भू-जल के मामले में स्थिति चिंताजनक हो गई है. यहां जितना पानी जमीन में जमा नहीं होता, उससे ज्यादा भू-जल निकाला जा रहा है.

Madhya Pradesh Ground Water Label
मध्य प्रदेश भूजल लेबल
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Published : Mar 28, 2022, 9:23 PM IST

Updated : Mar 28, 2022, 10:27 PM IST

भोपाल। सफाई के मामले में लगातार नंबर बन बने इंदौर के लिए भू-जल के मामले में खतरे की घंटी बज रही है. इंदौर में भू-जल सूखने की कगार पर पहुंच गया है. इंदौर के अलावा रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, उज्जैन में भी भू-जल के मामले में स्थिति चिंताजनक हो गई है. यहां जितना पानी जमीन में जमा नहीं होता, उससे ज्यादा भू-जल निकाला जा रहा है. इसका खुलासा डायनामिक ग्राउंड वाॅटर रिसोर्स और मध्यप्रदेश की ताजा रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 317 ब्लाॅक में से 26 ब्लाॅक ऐसे हैं, जहां भू-जल भंडार लगभग खत्म हो गया है. 50 ब्लाॅक सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में आंके गए हैं. (mp water level)

भू-जल के मामले में इन 26 ब्लाॅक चिंता जनक
सूखे के मामले में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्थिति भले ही खराब हो, लेकिन पानीदार समझे जाने वाले मालवांचल में भू-जल सूखने की करार पर पहुंच गए हैं. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित प्रदेश के 317 ब्लाॅक में से 26 की स्थिति बेहद चिंताजनक है. इसमें इंदौर, रतलाम का भू-जल सूखने की कगार पर पहुंच चुका है. यहां जितना पानी जमीन में पहुंच नहीं रहा उससे ज्यादा निकाला जा रहा है. हालांकि इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति प्रदेश के डिंडोरी की है, यहां सिर्फ 10.64 फीसदी भू-जल का ही दोहन किया जा रहा है. (water condition in mp)

अन्य जिलों में पानी का स्तर

  • आगर मालवा का नलखेड़ा और सुसनेर में 126 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • बड़वानी के पंसमेल में 143 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • देवास और सोनकच्छ में 104 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • धार जिले का बदनावर, धार और नालचा में 121 फीसदी से लेकर 155 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • इंदौर शहर, सांवेर और देपालपुर में 120 फीसदी से 176 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • मंदसौर के मंदसौर और सीतामऊ में 109 फीसदी से लेकर 135 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • नीमच और जावद में 100 फीसदी से लेकर 102 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • रतलाम के पिपलौद, जावरा, आलोट और रतलाम में ग्राउंड वाॅटर का 119 फीसदी से 185 फीसदी तक दोहन हो रहा है.
  • शाजापुर के मोहन बरोदिया, शुजालपुर और काला पीपल में 105 फीसदी से लेकर 126 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • उज्जैन के उज्जैन, बडनगर, घट्टिया में भूजल का 110 फीसदी से 142 फीसदी तक दोहन हो रहा है.

ग्राउंड वाॅटर का लगातार बढ़ रहा दोहन
मालवांचल के अलावा प्रदेश के भोपाल सहित कई जिलों के ब्लाॅक में ग्राउंड वाॅटर का दोहन लगातार बढ़ने से इनकी श्रेणी भी बदल रही है. सीहोर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, नीमच, अशोकनगर, शाजापुर, झाबुआ, रीवा, विदिशा, धार और छतरपुर तीन साल पहले तक सेफ केटेगिरी में थे, लेकिन अब यह सेफ से सेमी क्रिटिकल और ओवर एक्सप्लाइड की श्रेणी में पहुंच चुके हैं. (ground water level mp)

किस कैटेगरी का क्या है मतलब

ओवर एक्सप्लाॅइड: यानी जिन ब्लाॅक में मौजूद ग्राउंड वाॅटर का 100 फीसदी या उससे भी ज्यादा दोहन किया जा चुका है.

क्रिटिकल: ऐसे ब्लाॅक जहां मौजूद ग्राउंड वाॅटर का 90 से 100 फीसदी तक उपयोग किया जा रहा है.

सेमी क्रिटिकल: ऐसे शहर या ब्लाॅक जहां मौजूद ग्राउंड वॉटर का 70 से 90 फीसदी तक पानी का दोहन किया जा रहा है.

सेफ: ऐसे ब्लाॅक जहां उपलब्ध ग्राउंड वाॅटर का 70 फीसदी से ज्यादा दोहन नहीं किया गया है.

चिंताजनकः तेजी से घट रहा है जबलपुर का भू-जल भंडार, अभी नहीं संभले तो बिगड़ सकते हैं हालात

उधर अटल भू-जल योजना के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के प्रभारी अधिकारी डाॅ. जितेन्द्र जैन के मुताबिक री-चार्ज के कम प्रयास किए जाने से ऐसा हो रहा है. भू-जल का दोहन अधिक हो रहा है. इसको देखते हुए यहां भूजल बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे.

भोपाल। सफाई के मामले में लगातार नंबर बन बने इंदौर के लिए भू-जल के मामले में खतरे की घंटी बज रही है. इंदौर में भू-जल सूखने की कगार पर पहुंच गया है. इंदौर के अलावा रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, उज्जैन में भी भू-जल के मामले में स्थिति चिंताजनक हो गई है. यहां जितना पानी जमीन में जमा नहीं होता, उससे ज्यादा भू-जल निकाला जा रहा है. इसका खुलासा डायनामिक ग्राउंड वाॅटर रिसोर्स और मध्यप्रदेश की ताजा रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 317 ब्लाॅक में से 26 ब्लाॅक ऐसे हैं, जहां भू-जल भंडार लगभग खत्म हो गया है. 50 ब्लाॅक सेमी-क्रिटिकल श्रेणी में आंके गए हैं. (mp water level)

भू-जल के मामले में इन 26 ब्लाॅक चिंता जनक
सूखे के मामले में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्थिति भले ही खराब हो, लेकिन पानीदार समझे जाने वाले मालवांचल में भू-जल सूखने की करार पर पहुंच गए हैं. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित प्रदेश के 317 ब्लाॅक में से 26 की स्थिति बेहद चिंताजनक है. इसमें इंदौर, रतलाम का भू-जल सूखने की कगार पर पहुंच चुका है. यहां जितना पानी जमीन में पहुंच नहीं रहा उससे ज्यादा निकाला जा रहा है. हालांकि इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति प्रदेश के डिंडोरी की है, यहां सिर्फ 10.64 फीसदी भू-जल का ही दोहन किया जा रहा है. (water condition in mp)

अन्य जिलों में पानी का स्तर

  • आगर मालवा का नलखेड़ा और सुसनेर में 126 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • बड़वानी के पंसमेल में 143 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • देवास और सोनकच्छ में 104 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • धार जिले का बदनावर, धार और नालचा में 121 फीसदी से लेकर 155 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • इंदौर शहर, सांवेर और देपालपुर में 120 फीसदी से 176 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • मंदसौर के मंदसौर और सीतामऊ में 109 फीसदी से लेकर 135 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • नीमच और जावद में 100 फीसदी से लेकर 102 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • रतलाम के पिपलौद, जावरा, आलोट और रतलाम में ग्राउंड वाॅटर का 119 फीसदी से 185 फीसदी तक दोहन हो रहा है.
  • शाजापुर के मोहन बरोदिया, शुजालपुर और काला पीपल में 105 फीसदी से लेकर 126 फीसदी तक ग्राउंड वाॅटर का दोहन हो रहा है.
  • उज्जैन के उज्जैन, बडनगर, घट्टिया में भूजल का 110 फीसदी से 142 फीसदी तक दोहन हो रहा है.

ग्राउंड वाॅटर का लगातार बढ़ रहा दोहन
मालवांचल के अलावा प्रदेश के भोपाल सहित कई जिलों के ब्लाॅक में ग्राउंड वाॅटर का दोहन लगातार बढ़ने से इनकी श्रेणी भी बदल रही है. सीहोर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, नीमच, अशोकनगर, शाजापुर, झाबुआ, रीवा, विदिशा, धार और छतरपुर तीन साल पहले तक सेफ केटेगिरी में थे, लेकिन अब यह सेफ से सेमी क्रिटिकल और ओवर एक्सप्लाइड की श्रेणी में पहुंच चुके हैं. (ground water level mp)

किस कैटेगरी का क्या है मतलब

ओवर एक्सप्लाॅइड: यानी जिन ब्लाॅक में मौजूद ग्राउंड वाॅटर का 100 फीसदी या उससे भी ज्यादा दोहन किया जा चुका है.

क्रिटिकल: ऐसे ब्लाॅक जहां मौजूद ग्राउंड वाॅटर का 90 से 100 फीसदी तक उपयोग किया जा रहा है.

सेमी क्रिटिकल: ऐसे शहर या ब्लाॅक जहां मौजूद ग्राउंड वॉटर का 70 से 90 फीसदी तक पानी का दोहन किया जा रहा है.

सेफ: ऐसे ब्लाॅक जहां उपलब्ध ग्राउंड वाॅटर का 70 फीसदी से ज्यादा दोहन नहीं किया गया है.

चिंताजनकः तेजी से घट रहा है जबलपुर का भू-जल भंडार, अभी नहीं संभले तो बिगड़ सकते हैं हालात

उधर अटल भू-जल योजना के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के प्रभारी अधिकारी डाॅ. जितेन्द्र जैन के मुताबिक री-चार्ज के कम प्रयास किए जाने से ऐसा हो रहा है. भू-जल का दोहन अधिक हो रहा है. इसको देखते हुए यहां भूजल बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे.

Last Updated : Mar 28, 2022, 10:27 PM IST
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