दिल्ली/भोपाल। टीकमगढ़ से बीजेपी सांसद डॉक्टर वीरेंद्र खटीक को 17वीं लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. वे पिछली मोदी सरकार में भी मंत्री रहे. खटीक दूसरे नेताओं की तरह लाइमलाइट में रहने की बजाय इस तामझाम से दूर रहते हैं. यही वजह है कि मंत्री रहते हुए भी वे अक्सर अपने पुराने स्कूटर से सागर में घूमते दिख जाते थे.
डॉ. हरिसिंह गौर की नगरी के नाम से मशहूर सागर में जन्में वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा है. शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने के बाद भी वे दूसरे नेताओं की तरह तामझाम से दूर नजर आते हैं. 7 बार लगातार सांसद बनने वाले वीरेंद्र खटीक का रहन-सहन आज भी आम लोगों जैसा है. वीरेंद्र खटीक के सियासी करियर पर नजर डालें तो पाएंगे.
- वीरेंद्र खटीक ने सागर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की
- वीरेंद्र खटीक 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
- आपातकाल के दौरान वीरेंद्र खटीक 16 महीने तक जेल में रहे
- 1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
- वीरेंद्र खटीक सागर से लगातार चार बार जीतकर संसद पहुंचे
- 2009 और 2014 में टीकगमढ़ सीट से भी सांसद चुने गए
- सितंबर 2017 में एनडीए सरकार में केंद्रीय बनाए गए
- वीरेंद्र खटीक बीजेपी के टिकट से 7वीं बार सांसद चुने गये हैं.
- वीरेंद्र खटीक को 17वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाया गया
वीरेंद्र खटीक सांसद बनने के बाद पहली बार तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जन चौपाल लगाना शुरु किये थे. उन्हें चौपाल वाले सांसद के नाम से भी जाना जाता है. मोदी के इस मंत्री की सादगी के कई नेता कायल हैं क्योंकि उन्हें पूरे क्षेत्र में उनकी सादगी के लिए ही जाना जाता है.