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गुलाब-गेंदा फ्लॉवर नहीं फायर है! बुंदेलखंड में फूलों सा महकता कारोबार, मालदार हो रहे किसान - BUNDELKHAND FLOWERS FARMING

बुंदेलखंड के किसानों ने कमाई का नया जरिया खोजा है. वह फूलों की खेती कर बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. पढ़िए छतरपुर से मनोज कुमार सोनी की रिपोर्ट.

CHHATARPUR MILLIONAIRE FARMERS
बुंदेलखंड में फूलों की बंपर पैदावार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 2:00 PM IST

Updated : Jan 31, 2025, 2:07 PM IST

छतरपुर: बुंदेलखंड के किसान फूलों की खेती को लगातार लाभ का धंधा बना रहे हैं. तभी तो बुंदेलखंड में फूलों की जमकर पैदावारी हो रही है. बुंदेलखंड के इलाकों में खिले फुल महाकुंभ, बागेश्वर धाम सहित देश के कई राज्यों में अपनी महक छोड़ रहे हैं. जिले का फूल रोजाना मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान, महाकुंभ, बगेश्वरधाम पर बिकने के लिए जाता. जिससे किसानों को घर बैठे कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है. सरकार भी किसानों को फूलों की खेती पर सब्सिडी दे रही है. ताकि बुंदेलखंड के किसान मजबूत हो सकें.

बुंदेलखंड में फूलों की बंपर पैदावार
सूखे बुंदेलखंड के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ फूलों की खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां किसान पानी की समस्या और खेती को लेकर काफी परेशान रहते हैं. इसके बाद अब किसान कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की ओर रुख कर रहें हैं. जिससे वे लाखों कमा रहें हैं. जिले के किसान कई प्रकार के फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे जिले में लगातार फूलों की बंपर पैदावार हो रही है.

बुंदेलखंड में फूलों सा महकता कारोबार (ETV Bharat)

जिले के किसानों के चेहरे भी फूलों की तरह खिल रहे हैं. बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में 65 हेक्टेयर के रकबे में फूलों की खेती की जाती है. इस साल किसानों ने महाकुंभ आयोजन को देखते हुए गेंदा और गुलाब के फूलों की बंपर पैदावार की. किसान एक एकड़ की खेती में 60 से 70 हजार रुपए प्रॉफिट कमा रहे हैं.

farmer farming roses and marigolds
महाकुंभ सहित देश में सप्लाई हो रहे फूल (ETV Bharat)

जिले में 3 टन प्रति सप्ताह है गेंदा और गुलाब की मांग
छतरपुर जिले में गेंदा और गुलाब के फूल की डिमांड लगातार बढ़ रही है. करीब 3 टन प्रति सप्ताह गेंदा और गुलाब की मांग रहती है. जो फूल पहले अन्य जगह से आते थे लेकिन अब जिले के किसान ही डिमांड पूरी कर घर बैठे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जिला उद्यान विभाग खेती करने वाले किसानों को प्रमोट भी कर रहा है.

Bundelkhand flowers farming
फूलों की खेती से मालामाल हुए बुंदेलखंड के किसान (ETV Bharat)

30 से ज्यादा हो गई किसानों की संख्या
छतरपुर जिले में फूलों के अच्छे उत्पादन को देखते हुए 30 से ज्यादा किसान इसकी खेती कर रहे हैं. चंद्रपुरा निवासी किसान ने बताया, ''फूलों की खेती में लागत से तीन गुना ज्यादा मुनाफा होता है. जिस कारण किसानों का मन भी फूलों की खेती की ओर लगा हुआ है.'' गेंदे की खेती करने की शुरुआत खजुराहो क्षेत्र के किसानों ने की थी. जैसे-जैसे किसानों ने इसमें मुनाफा देखा तो अब जिला मुख्यालय से लगे गांवों के किसान अपने खेत में नियमित रूप से गेंदा और गुलाब की खेती कर रहे हैं. अब जिले के फूल विक्रेताओं और जरूरतमंद लोगों को बाहर से फूल नहीं खरीदना पड़ रहे. उन्हें जिले में ही पर्याप्त मात्रा में फूल मिल जाते हैं.

महाकुंभ, बागेश्वर धाम सहित कई राज्यों में सप्लाई
बुंदेलखंड के फूलों की डिमांड लगातार बढ़ रही है. एक तो शादियों का सीजन चल रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले से लगे उत्तर प्रदेश में महाकुंभ का मेला चल रहा है. जिस कारण फूलों की मांग ज्यादा बढ़ गई है. जिले के फूल बागेश्वर धाम, यूपी, बिहार, राजस्थान सहित कई राज्यों में जाते हैं. इस समय महाकुंभ आयोजन में हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश हो रही है. वह भी अधिकांश बुंदेलखंड के फूल ही हैं.

फूलों की खेती को रोग-बीमारी का खतरा कम
किसानों के लिए फायदे का धंधा बनी फूलों की खेती पर कीटों का प्रभाव बेअसर रहता है. फूल की खेती कर रहे किसान हरिओम पटेल ने बताया, ''गेंदे के फूलों पर आमतौर पर सब्जियों की अपेक्षा रोग कीट कम आते हैं, जिससे फूलों को नुकसान नहीं पहुंचता.'' उन्होंने बताया कि, ''इल्ली और मकड़ी से बचाव आवश्यक होता है जो काफी आसान है. जब फूल आते हैं तो तुरंत तुड़ाई की जाती है. बाजार में एवरेज रेट 25-30 रुपए किलो रहता है. जो लागत खर्च से तीन गुना होता है. इससे किसानों को अच्छी खासी इनकम हो जाती है.''

सीजन में और अधिक मुनाफा
त्योहारों और अन्य कार्यक्रमों के दौरान मार्केट में फूलों की डिमांड बढ़ जाती है. इस तरह के सीजन में किसानों को अच्छी कीमत मिलती है और उन्हें अधिक मुनाफा होता है. वहीं, फूलों की खेती में किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं रहता है. फूलों की बिक्री के सीजन में उम्मीद से ज्यादा फसल की कीमत मिल जाती है. इसलिए जिले के किसानों के लिए फूल की खेती लाभ का धंधा बनती जा रही है.

वहीं, छतरपुर से लगे आटारन गांव के निवासी किसान रामरतन पटेल ने बताया, ''फूलों की खेती से रोजाना 1000 से 1500 तक के फूल बेच देते हैं. फूलों की खेती को लगभग ढाई माह लगता है और फूल आना शुरू हो जाता है. पूरे साल फूलों की खेती होती है.'' वहीं, छतरपुर के फूल व्यापारी बाला प्रसाद चौरसिया बताते हैं, ''छतरपुर का फूल बागेश्वर धाम जाता है. अभी महाकुंभ चल रहा तो वहां भी जा रहा है. घर बैठे अच्छी कमाई हो रही है. ऑनलाइन माल प्रयागराज सहित सभी धार्मिक स्थानों पर जाता है. इतनी मांग है की माल दे नहीं पाते.''

क्या कहते है छतरपुर कलेक्टर
छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल कहते हैं, ''छतरपुर के किसान घर बैठे फूलों की खेती से लाभ कमा रहे हैं. जिले का किसान समृद्ध हो रहा है. सरकार द्वारा खेती के लिए अच्छी सब्सिडी भी दी जा रही है. समय समय पर जानकारी दी जाती है, कार्यशालाएं आयोजित होती हैं. बाहर के किसानों से खेती की नई-नई टेक्नोलॉजी भी जिले के किसानों को बताई जाती है. किसानों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए कृषि उद्यानिकी विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं.''

उद्यानिकी अधिकारी जगदीश सिंह मुजाल्दा ने बताया, ''जिले में 65 हेक्टेयर के रकबे में फूलों की खेती की जाती है. जिले का फूल इस समय महाकुंभ सहित बागेश्वर धाम, यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के कई जिलों में जाता है. वहीं, फूलों की खेती के लिए सरकार 10 हजार रुपये हेक्टेयर सामान्य वर्ग के लिए और 12 हजार रुपये SCST वर्ग के लिए सब्सिडी भी दे रही है.

छतरपुर: बुंदेलखंड के किसान फूलों की खेती को लगातार लाभ का धंधा बना रहे हैं. तभी तो बुंदेलखंड में फूलों की जमकर पैदावारी हो रही है. बुंदेलखंड के इलाकों में खिले फुल महाकुंभ, बागेश्वर धाम सहित देश के कई राज्यों में अपनी महक छोड़ रहे हैं. जिले का फूल रोजाना मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान, महाकुंभ, बगेश्वरधाम पर बिकने के लिए जाता. जिससे किसानों को घर बैठे कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है. सरकार भी किसानों को फूलों की खेती पर सब्सिडी दे रही है. ताकि बुंदेलखंड के किसान मजबूत हो सकें.

बुंदेलखंड में फूलों की बंपर पैदावार
सूखे बुंदेलखंड के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ फूलों की खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां किसान पानी की समस्या और खेती को लेकर काफी परेशान रहते हैं. इसके बाद अब किसान कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की ओर रुख कर रहें हैं. जिससे वे लाखों कमा रहें हैं. जिले के किसान कई प्रकार के फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे जिले में लगातार फूलों की बंपर पैदावार हो रही है.

बुंदेलखंड में फूलों सा महकता कारोबार (ETV Bharat)

जिले के किसानों के चेहरे भी फूलों की तरह खिल रहे हैं. बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में 65 हेक्टेयर के रकबे में फूलों की खेती की जाती है. इस साल किसानों ने महाकुंभ आयोजन को देखते हुए गेंदा और गुलाब के फूलों की बंपर पैदावार की. किसान एक एकड़ की खेती में 60 से 70 हजार रुपए प्रॉफिट कमा रहे हैं.

farmer farming roses and marigolds
महाकुंभ सहित देश में सप्लाई हो रहे फूल (ETV Bharat)

जिले में 3 टन प्रति सप्ताह है गेंदा और गुलाब की मांग
छतरपुर जिले में गेंदा और गुलाब के फूल की डिमांड लगातार बढ़ रही है. करीब 3 टन प्रति सप्ताह गेंदा और गुलाब की मांग रहती है. जो फूल पहले अन्य जगह से आते थे लेकिन अब जिले के किसान ही डिमांड पूरी कर घर बैठे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जिला उद्यान विभाग खेती करने वाले किसानों को प्रमोट भी कर रहा है.

Bundelkhand flowers farming
फूलों की खेती से मालामाल हुए बुंदेलखंड के किसान (ETV Bharat)

30 से ज्यादा हो गई किसानों की संख्या
छतरपुर जिले में फूलों के अच्छे उत्पादन को देखते हुए 30 से ज्यादा किसान इसकी खेती कर रहे हैं. चंद्रपुरा निवासी किसान ने बताया, ''फूलों की खेती में लागत से तीन गुना ज्यादा मुनाफा होता है. जिस कारण किसानों का मन भी फूलों की खेती की ओर लगा हुआ है.'' गेंदे की खेती करने की शुरुआत खजुराहो क्षेत्र के किसानों ने की थी. जैसे-जैसे किसानों ने इसमें मुनाफा देखा तो अब जिला मुख्यालय से लगे गांवों के किसान अपने खेत में नियमित रूप से गेंदा और गुलाब की खेती कर रहे हैं. अब जिले के फूल विक्रेताओं और जरूरतमंद लोगों को बाहर से फूल नहीं खरीदना पड़ रहे. उन्हें जिले में ही पर्याप्त मात्रा में फूल मिल जाते हैं.

महाकुंभ, बागेश्वर धाम सहित कई राज्यों में सप्लाई
बुंदेलखंड के फूलों की डिमांड लगातार बढ़ रही है. एक तो शादियों का सीजन चल रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले से लगे उत्तर प्रदेश में महाकुंभ का मेला चल रहा है. जिस कारण फूलों की मांग ज्यादा बढ़ गई है. जिले के फूल बागेश्वर धाम, यूपी, बिहार, राजस्थान सहित कई राज्यों में जाते हैं. इस समय महाकुंभ आयोजन में हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश हो रही है. वह भी अधिकांश बुंदेलखंड के फूल ही हैं.

फूलों की खेती को रोग-बीमारी का खतरा कम
किसानों के लिए फायदे का धंधा बनी फूलों की खेती पर कीटों का प्रभाव बेअसर रहता है. फूल की खेती कर रहे किसान हरिओम पटेल ने बताया, ''गेंदे के फूलों पर आमतौर पर सब्जियों की अपेक्षा रोग कीट कम आते हैं, जिससे फूलों को नुकसान नहीं पहुंचता.'' उन्होंने बताया कि, ''इल्ली और मकड़ी से बचाव आवश्यक होता है जो काफी आसान है. जब फूल आते हैं तो तुरंत तुड़ाई की जाती है. बाजार में एवरेज रेट 25-30 रुपए किलो रहता है. जो लागत खर्च से तीन गुना होता है. इससे किसानों को अच्छी खासी इनकम हो जाती है.''

सीजन में और अधिक मुनाफा
त्योहारों और अन्य कार्यक्रमों के दौरान मार्केट में फूलों की डिमांड बढ़ जाती है. इस तरह के सीजन में किसानों को अच्छी कीमत मिलती है और उन्हें अधिक मुनाफा होता है. वहीं, फूलों की खेती में किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं रहता है. फूलों की बिक्री के सीजन में उम्मीद से ज्यादा फसल की कीमत मिल जाती है. इसलिए जिले के किसानों के लिए फूल की खेती लाभ का धंधा बनती जा रही है.

वहीं, छतरपुर से लगे आटारन गांव के निवासी किसान रामरतन पटेल ने बताया, ''फूलों की खेती से रोजाना 1000 से 1500 तक के फूल बेच देते हैं. फूलों की खेती को लगभग ढाई माह लगता है और फूल आना शुरू हो जाता है. पूरे साल फूलों की खेती होती है.'' वहीं, छतरपुर के फूल व्यापारी बाला प्रसाद चौरसिया बताते हैं, ''छतरपुर का फूल बागेश्वर धाम जाता है. अभी महाकुंभ चल रहा तो वहां भी जा रहा है. घर बैठे अच्छी कमाई हो रही है. ऑनलाइन माल प्रयागराज सहित सभी धार्मिक स्थानों पर जाता है. इतनी मांग है की माल दे नहीं पाते.''

क्या कहते है छतरपुर कलेक्टर
छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल कहते हैं, ''छतरपुर के किसान घर बैठे फूलों की खेती से लाभ कमा रहे हैं. जिले का किसान समृद्ध हो रहा है. सरकार द्वारा खेती के लिए अच्छी सब्सिडी भी दी जा रही है. समय समय पर जानकारी दी जाती है, कार्यशालाएं आयोजित होती हैं. बाहर के किसानों से खेती की नई-नई टेक्नोलॉजी भी जिले के किसानों को बताई जाती है. किसानों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए कृषि उद्यानिकी विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं.''

उद्यानिकी अधिकारी जगदीश सिंह मुजाल्दा ने बताया, ''जिले में 65 हेक्टेयर के रकबे में फूलों की खेती की जाती है. जिले का फूल इस समय महाकुंभ सहित बागेश्वर धाम, यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के कई जिलों में जाता है. वहीं, फूलों की खेती के लिए सरकार 10 हजार रुपये हेक्टेयर सामान्य वर्ग के लिए और 12 हजार रुपये SCST वर्ग के लिए सब्सिडी भी दे रही है.

Last Updated : Jan 31, 2025, 2:07 PM IST
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