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मध्य प्रदेश में UPS को लेकर बवाल, 5.50 लाख कर्मचारी पीएम मोदी को लिखेंगे अपना दर्द - MP EMPLOYEES PROTEST FOR OPS

भोपाल में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर प्रदर्शन किया. साथ ही यूपीएस को कर्मचारी विरोधी बताया.

MP EMPLOYEES PROTEST FOR OPS
ओपीएस की मांग को लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 4:16 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के 5.50 लाख कर्मचारी यूनिफाईड पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ अब प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखने जा रहे हैं. एक फरवरी से पूरे प्रदेश में ये अभियान शुरू होगा. मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी मोर्चा का कहना है कि 'एनपीएस और यूपीएस में केवल हजार, पंद्रह सौ की पेंशन बनेगी. ये कर्मचारी विरोधी फैसला है."

पीएम को इसलिए पोस्ट कार्ड लिखेंगे ये कर्मचारी

मध्य प्रदेश के 5.50 लाख से ज्यादा कर्मचारी यूनाईटेड पेंशन स्कीम के खिलाफ अब पोस्टकार्ड लिखेंगे. इन कर्मचारियों का कहना है कि ये स्कीम पूरी तरह से कर्मचारियों के खिलाफ है. इसमें कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं होगा. कर्मचारी नेता अशोक पाण्डे का कहना है कि "यूनाइटेड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को जो पेंशन मिलेगी वो 12 महीना का जो औसत बेसिक पे स्केल होगा, उसके 50 प्रतिशत जो होगा वो मिलता है.

प्रमोशन के बाद जो तनख्वाह बनती है. उसी हिसाब से पहले पेंशन भी तय होती थी, अब ये प्रावधान भी नहीं है. कर्मचारियों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि इस पेंशन स्कीम में टैक्स पर फायदा कितना मिलेगा, ये भी स्पष्ट नहीं किया गया है. कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि 1 फरवरी से प्रधानमंत्री को कर्मचारी पोस्टकार्ड लिखेंगे. इन चिट्ठियों में इस पेंशन के दायरे में आ रहे सभी कर्मचारी एनपीएस यूपीएस पेंशन योजना को वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना ओपीएस लागू करने की मांग करेंगे."

क्या अंतर है यूपीएस एनपीएस और ओपीएस में?

यूपीएस में कर्मचारी की नौकरी के जो आखिरी 12 महीने होंगे, उसमें बैसिक सैलरी का पचास फीसदी पेंशन के तौर पर मिलेगा. इसमें 25 साल की सरकारी नौकरी होनी चाहिए. कर्मचारियों की बैसिक सैलरी मंहगाई भत्ते का 10 प्रतिशत देना होगा. जबकि 18 फीसदी की शेयरिंग सरकार की रहेगी. नेशनल पेंशन स्कीम में वेतन का 10 प्रतिशत कर्मचारी को देना पड़ता है, लेकिन इसमें पेंशन का मामला निश्चित नहीं है. चाहे तो कर्मचारी 60 फीसदी जमा राशि निकाल सकते हैं. ओपीएस स्कीम जिसकी की कर्मचारी मांग कर रहे हैं. इसमें 50 फीसदी वेतन की शेयरिंग पेंशन के रूप में मिलती है. कर्मचारी को बाकी कोई शेयरिंग नहीं देनी थी, ये योजना 2004 से बंद है.

भोपाल: मध्य प्रदेश के 5.50 लाख कर्मचारी यूनिफाईड पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ अब प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखने जा रहे हैं. एक फरवरी से पूरे प्रदेश में ये अभियान शुरू होगा. मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी मोर्चा का कहना है कि 'एनपीएस और यूपीएस में केवल हजार, पंद्रह सौ की पेंशन बनेगी. ये कर्मचारी विरोधी फैसला है."

पीएम को इसलिए पोस्ट कार्ड लिखेंगे ये कर्मचारी

मध्य प्रदेश के 5.50 लाख से ज्यादा कर्मचारी यूनाईटेड पेंशन स्कीम के खिलाफ अब पोस्टकार्ड लिखेंगे. इन कर्मचारियों का कहना है कि ये स्कीम पूरी तरह से कर्मचारियों के खिलाफ है. इसमें कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं होगा. कर्मचारी नेता अशोक पाण्डे का कहना है कि "यूनाइटेड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को जो पेंशन मिलेगी वो 12 महीना का जो औसत बेसिक पे स्केल होगा, उसके 50 प्रतिशत जो होगा वो मिलता है.

प्रमोशन के बाद जो तनख्वाह बनती है. उसी हिसाब से पहले पेंशन भी तय होती थी, अब ये प्रावधान भी नहीं है. कर्मचारियों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि इस पेंशन स्कीम में टैक्स पर फायदा कितना मिलेगा, ये भी स्पष्ट नहीं किया गया है. कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि 1 फरवरी से प्रधानमंत्री को कर्मचारी पोस्टकार्ड लिखेंगे. इन चिट्ठियों में इस पेंशन के दायरे में आ रहे सभी कर्मचारी एनपीएस यूपीएस पेंशन योजना को वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना ओपीएस लागू करने की मांग करेंगे."

क्या अंतर है यूपीएस एनपीएस और ओपीएस में?

यूपीएस में कर्मचारी की नौकरी के जो आखिरी 12 महीने होंगे, उसमें बैसिक सैलरी का पचास फीसदी पेंशन के तौर पर मिलेगा. इसमें 25 साल की सरकारी नौकरी होनी चाहिए. कर्मचारियों की बैसिक सैलरी मंहगाई भत्ते का 10 प्रतिशत देना होगा. जबकि 18 फीसदी की शेयरिंग सरकार की रहेगी. नेशनल पेंशन स्कीम में वेतन का 10 प्रतिशत कर्मचारी को देना पड़ता है, लेकिन इसमें पेंशन का मामला निश्चित नहीं है. चाहे तो कर्मचारी 60 फीसदी जमा राशि निकाल सकते हैं. ओपीएस स्कीम जिसकी की कर्मचारी मांग कर रहे हैं. इसमें 50 फीसदी वेतन की शेयरिंग पेंशन के रूप में मिलती है. कर्मचारी को बाकी कोई शेयरिंग नहीं देनी थी, ये योजना 2004 से बंद है.

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