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वन रक्षक भर्ती परीक्षा में साबित हुआ फर्जीवाड़ा, देखें ..10 साल चले केस में एसटीएफ ने कैसे सबूत जुटाए, कैसे मिली सजा

मध्यप्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में हुईं धांधली में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने तीन लोगों को दोषी करार दिया है. इस मामले में सात अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है. करीब 10 साल पहले आयोजित वन रक्षक भर्ती परीक्षा में शिकायतों पर एसटीएफ ने कार्रवाई की थी. (Van Rakshak Exam 2012) (CBI court judgement) (three people found guilty)

CBI special court Bhopal
सीबीआई स्पेशल कोर्ट भोपाल
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Published : Mar 28, 2022, 6:25 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में हुईं धांधली में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने निर्णय पारित करते समय दोनों पक्षों के गुण-दोष पर विचार करते हुए तीन लोगों को दोषी पाया है. इनमें देवेंद्र कुमार जाटव, पद्मसिंह खरे और आनंद सागर शामिल हैं. इन्हें धारा 419 420 467 468 471 सपठित धारा 120 बी भादवि और मान्यताप्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3डी 1-2/4 में दोषी पाया गया है. प्रकरण में सात अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया.

छद्म नामों से शिकायतें प्राप्त हुई थीं : सीबीआई की ओर से इस प्रकरण में सतीश दिनकर विशेष लोक अभियोजक सीबीआई द्वारा पैरवी की गई. विवेचना एसटीएफ के उप पुलिस अधीक्षक अरुण कश्यप एवं सीबीआई के निरीक्षक अनुज कुमार द्वारा की गई थी. एसटीएफ को छद्म नामों से शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि 15 अप्रैल 2012 को आयोजित मध्यप्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में देवेंद्र कुमार जाटव द्वारा अनुचित तरीके से परीक्षा पास कर चयन हुआ है. शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए थाना एसटीएफ में देवेंद्र कुमार जाटव के संबंध में वन विभाग सतपुड़ा भोपाल एवं व्यापम भोपाल से जानकारी प्राप्त की गई. संदेही देवेंद्र कुमार को तलब कर नमूना लिखावट व निशानी अंगूठा की जांच कराई गई.

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लंबी सुनवाई के बाद आया निर्णय : इसी परीक्षा में पास होने वाले अभ्यार्थी पद्म सिंह खरे के संबंध में भी जांच में पाया गया कि दोनों आरोपी अवैध तरीके से वनरक्षक के पद पर भर्ती हुए हैं. देवेंद्र जाटव के अवैध चयन कराने के लिए मध्यस्थ ब्रजमोहन गौड एवं शिव कुमार यादव के साथ षड़यंत्र करने पर विवेचना की गई. अभ्यर्थी के बदले दूसरे व्यक्तियों को बैठाने की भी जांच हुई. इसमें रिंकू शर्मा से संपर्क किया गया था. मगर मामला दर्ज होने के तीन दिन पहले रिंकू शर्मा द्वारा आत्महत्या कर लेने के कारण देवेंद्र जाटव के एवज में परीक्षा देने वाले का नाम सामने नहीं आ सका था. किंतु हस्तलिपि विशेषज्ञ एवं निशानी अंगूठा पर विशेषज्ञ अभिमत से यह साबित हो गया कि देवेन्द्र जाटव के स्थान पर अन्य व्यक्ति ने परीक्षा दी थी. आरोपियों को अदालत ने 7-7 साल की व मध्यप्रदेश परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं में 2-2 साल की सजा सुनाई है. (Van Rakshak Exam 2012) (CBI court judgement) (three people found guilty)

भोपाल। मध्यप्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में हुईं धांधली में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने निर्णय पारित करते समय दोनों पक्षों के गुण-दोष पर विचार करते हुए तीन लोगों को दोषी पाया है. इनमें देवेंद्र कुमार जाटव, पद्मसिंह खरे और आनंद सागर शामिल हैं. इन्हें धारा 419 420 467 468 471 सपठित धारा 120 बी भादवि और मान्यताप्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3डी 1-2/4 में दोषी पाया गया है. प्रकरण में सात अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया.

छद्म नामों से शिकायतें प्राप्त हुई थीं : सीबीआई की ओर से इस प्रकरण में सतीश दिनकर विशेष लोक अभियोजक सीबीआई द्वारा पैरवी की गई. विवेचना एसटीएफ के उप पुलिस अधीक्षक अरुण कश्यप एवं सीबीआई के निरीक्षक अनुज कुमार द्वारा की गई थी. एसटीएफ को छद्म नामों से शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि 15 अप्रैल 2012 को आयोजित मध्यप्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में देवेंद्र कुमार जाटव द्वारा अनुचित तरीके से परीक्षा पास कर चयन हुआ है. शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए थाना एसटीएफ में देवेंद्र कुमार जाटव के संबंध में वन विभाग सतपुड़ा भोपाल एवं व्यापम भोपाल से जानकारी प्राप्त की गई. संदेही देवेंद्र कुमार को तलब कर नमूना लिखावट व निशानी अंगूठा की जांच कराई गई.

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लंबी सुनवाई के बाद आया निर्णय : इसी परीक्षा में पास होने वाले अभ्यार्थी पद्म सिंह खरे के संबंध में भी जांच में पाया गया कि दोनों आरोपी अवैध तरीके से वनरक्षक के पद पर भर्ती हुए हैं. देवेंद्र जाटव के अवैध चयन कराने के लिए मध्यस्थ ब्रजमोहन गौड एवं शिव कुमार यादव के साथ षड़यंत्र करने पर विवेचना की गई. अभ्यर्थी के बदले दूसरे व्यक्तियों को बैठाने की भी जांच हुई. इसमें रिंकू शर्मा से संपर्क किया गया था. मगर मामला दर्ज होने के तीन दिन पहले रिंकू शर्मा द्वारा आत्महत्या कर लेने के कारण देवेंद्र जाटव के एवज में परीक्षा देने वाले का नाम सामने नहीं आ सका था. किंतु हस्तलिपि विशेषज्ञ एवं निशानी अंगूठा पर विशेषज्ञ अभिमत से यह साबित हो गया कि देवेन्द्र जाटव के स्थान पर अन्य व्यक्ति ने परीक्षा दी थी. आरोपियों को अदालत ने 7-7 साल की व मध्यप्रदेश परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं में 2-2 साल की सजा सुनाई है. (Van Rakshak Exam 2012) (CBI court judgement) (three people found guilty)

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