ETV Bharat / state

MP News: एमपी में वन विभाग के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, फिर से मिलेगा परोपकार निधि का फायदा - madhya pradesh forest employees

मध्यप्रदेश में वन विभाग के अमले के लिए वन परोपकार निधि की दुबारा शुरूआत हो रही है. विभाग के कर्मचारियों को अब मुकदमे लड़ने के साथ ही तत्काल आर्थिक सहायता इस निधि से मिल सकेगी.

van paropkar nidhi mp forest department
एमपी वन अमले में वन परोपकार निधि फिर से शुरू
author img

By

Published : May 22, 2023, 7:59 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार चुनावी साल में सबको खुश करना चाहती है. लिहाजा राज्य के प्रमुख विभागों के कर्मचारियों की लंबित मांगों और साथ ही उनके लिए पुरानी सुविधाओं को बहाल किया जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए एक नई पहल 'मप्र वन परोपकार निधि' की शुरुआत की जा रही है. मप्र वन परोपकार निधि को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए विभाग के मुखिया आर.के. गुप्ता ने कुछ अलग ही काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए एक परिपत्र प्रबंध संचालक, वन विकास निगम, एमडी राज्य लघु वनोपज संघ, पीसीसीएफ वन्य प्राणी, पीसीसीएफ, एपीपीसीएफ, सीसीएफ और सभी डीएफओ को भेजा है. सभी से अनिवार्य रूप से वार्षिक अंशदान अथवा आजीवन अशदान बैंक खाते में जमा करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास कर कर्मचारियों की मदद करने को कहा है.

वन परोपकार निधि का संचालन दो समितियां करेंगी: मप्र वन परोपकार निधि के संचालन के लिए दो समितियों का गठन किया है. मुख्यालय स्तर पर केंद्रीय समिति सर्किल स्तरीय समिति का गठन किया है. यह दोनों समितियां मदद के लिए आए आवेदन पर विचार और संपूर्ण जमा राशि का 40 प्रतिशत तक की सहायता राशि मंजूर कर सकेंगी. इसके अलावा अति विशिष्ट परिस्थिति में अधिकतम 260 प्रतिशत तक की राशि भी स्वीकृत की जा सकेगी. इसमें प्रावधान किया गया है कि जो सदस्य 10 वर्षों तक अंशदान राशि एक साथ जमा करेंगे वो समिति के आजीवन सदस्य बन जाएंगे. वन अधिकारी, कर्मचारी अथवा दानदाता जो समिति के लिए 1 लाख या इससे अधिक अंशदान भुगतान करेंगे, वह समिति के संरक्षक घोषित किए जाएंगे.

परोपकार निधि के अंश राशि के वितरण उठते रहे सावल: मप्र प्रदेश वन परोपकार निधि का गठन 1981 में किया गया था, जो साल 2012 से निष्क्रिय थी. परोपकार निधि के अंश राशि के वितरण को लेकर कई बार सवाल भी उठते रहे. अयोग्य अफसरों को उनके रसूख के आधार पर अंश राशि का वितरण किया गया. योग्य कर्मचारी सहायता के लिए भटकते भी रहे तमाम आरोपों के कारण परोपकार निधि की सक्रियता समाप्त हो गई. कोरोना काल के दौरान अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आर्थिक सहायता नहीं कर पाने से वन बल प्रमुख आरके गुप्ता दुखी थे. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर वन परोपकार निधि का पुनः सक्रिय करने का निर्णय लिया.

  1. ठेकेदार को धमकाते कांग्रेस विधायक का ऑडियो वायरल, कहा- 'कलेक्टर के बाप की जगह नहीं है'
  2. MP Politics: गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ पर कसा तंज, भारी पड़ने लगी 75 की उम्र

ड्यूटी के दौरान मुकदमा, पैरवी निधि अंश से दी जाएगी: जंगलों की सुरक्षा करने के दौरान अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आपराधिक मुकदमों से भी गुजरना पड़ रहा है. ताजा उदाहरण लटेरी की घटना है. इस मुकदमे में फंसे वन कर्मचारियों को अपनी जेब से रुपए खर्च कर कानूनी मुकदमा लड़ना पड़ रहा है. विभाग के मुखिया ने मप्र वन परोपकार निधि में संशोधन कर यह प्रावधान जोड़ा गया है. यदि किसी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मुकदमा दर्ज होता है तो उसकी पैरवी के लिए निधि से अंश राशि दी जाएगी.

भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार चुनावी साल में सबको खुश करना चाहती है. लिहाजा राज्य के प्रमुख विभागों के कर्मचारियों की लंबित मांगों और साथ ही उनके लिए पुरानी सुविधाओं को बहाल किया जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए एक नई पहल 'मप्र वन परोपकार निधि' की शुरुआत की जा रही है. मप्र वन परोपकार निधि को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए विभाग के मुखिया आर.के. गुप्ता ने कुछ अलग ही काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए एक परिपत्र प्रबंध संचालक, वन विकास निगम, एमडी राज्य लघु वनोपज संघ, पीसीसीएफ वन्य प्राणी, पीसीसीएफ, एपीपीसीएफ, सीसीएफ और सभी डीएफओ को भेजा है. सभी से अनिवार्य रूप से वार्षिक अंशदान अथवा आजीवन अशदान बैंक खाते में जमा करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास कर कर्मचारियों की मदद करने को कहा है.

वन परोपकार निधि का संचालन दो समितियां करेंगी: मप्र वन परोपकार निधि के संचालन के लिए दो समितियों का गठन किया है. मुख्यालय स्तर पर केंद्रीय समिति सर्किल स्तरीय समिति का गठन किया है. यह दोनों समितियां मदद के लिए आए आवेदन पर विचार और संपूर्ण जमा राशि का 40 प्रतिशत तक की सहायता राशि मंजूर कर सकेंगी. इसके अलावा अति विशिष्ट परिस्थिति में अधिकतम 260 प्रतिशत तक की राशि भी स्वीकृत की जा सकेगी. इसमें प्रावधान किया गया है कि जो सदस्य 10 वर्षों तक अंशदान राशि एक साथ जमा करेंगे वो समिति के आजीवन सदस्य बन जाएंगे. वन अधिकारी, कर्मचारी अथवा दानदाता जो समिति के लिए 1 लाख या इससे अधिक अंशदान भुगतान करेंगे, वह समिति के संरक्षक घोषित किए जाएंगे.

परोपकार निधि के अंश राशि के वितरण उठते रहे सावल: मप्र प्रदेश वन परोपकार निधि का गठन 1981 में किया गया था, जो साल 2012 से निष्क्रिय थी. परोपकार निधि के अंश राशि के वितरण को लेकर कई बार सवाल भी उठते रहे. अयोग्य अफसरों को उनके रसूख के आधार पर अंश राशि का वितरण किया गया. योग्य कर्मचारी सहायता के लिए भटकते भी रहे तमाम आरोपों के कारण परोपकार निधि की सक्रियता समाप्त हो गई. कोरोना काल के दौरान अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आर्थिक सहायता नहीं कर पाने से वन बल प्रमुख आरके गुप्ता दुखी थे. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर वन परोपकार निधि का पुनः सक्रिय करने का निर्णय लिया.

  1. ठेकेदार को धमकाते कांग्रेस विधायक का ऑडियो वायरल, कहा- 'कलेक्टर के बाप की जगह नहीं है'
  2. MP Politics: गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ पर कसा तंज, भारी पड़ने लगी 75 की उम्र

ड्यूटी के दौरान मुकदमा, पैरवी निधि अंश से दी जाएगी: जंगलों की सुरक्षा करने के दौरान अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आपराधिक मुकदमों से भी गुजरना पड़ रहा है. ताजा उदाहरण लटेरी की घटना है. इस मुकदमे में फंसे वन कर्मचारियों को अपनी जेब से रुपए खर्च कर कानूनी मुकदमा लड़ना पड़ रहा है. विभाग के मुखिया ने मप्र वन परोपकार निधि में संशोधन कर यह प्रावधान जोड़ा गया है. यदि किसी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मुकदमा दर्ज होता है तो उसकी पैरवी के लिए निधि से अंश राशि दी जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.