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टॉपर्स की अपनी-अपनी सोच और कहानियां, सीएम ने किया सम्मानित

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Published : May 30, 2023, 11:09 PM IST

परिक्षाओं में मुकाम पाने वालों को सीएम शिवराज सिंह ने सम्मानित किया. इस अवसर पर मध्यप्रदेश के युवाओं और नौनिहालों ने आने वाले समय में किस तरह समाज में परिवर्तन किया जा सकता है इसको लेकर ETV Bharat से बात की. आप भी जानें टॉपर्स की कहानी उन्हीं की जुबानी..

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टॉपर्स की कहानी
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भोपाल। सम्मान पाने वाले कई छात्रों ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात की वकालत की. उनका कहना था कि फील्ड पर और जमीन पर जाकर ही यह सभी काम करेंगे तो वहीं कुछ यूपीएससी रैंकर्स का कहना था कि पहले के समय में अधिकारी भले ही भ्रष्टाचार में रहे हों लेकिन आज के समय के सर्विसेस के अधिकारी की सोच बदली है. वहीं 10वी में 80% हासिल करने वाली एक छात्रा जो बोल और सुन नहीं सकती उसने भी सामान्य कैटेगरी से यह रैंक हासिल की है. यूपीएससी और 10वीं, 12वीं के छात्रों के सम्मान समारोह में वह बच्चे भी सम्मानित हुए जो अपने आप में हैं कई कहानियां लेकर इस मुकाम तक पहुंचे.

अर्पिता का जज्बा देगा सीख: दसवीं में प्रदेश में सेकंड रैंक हासिल करने वाली अर्पिता चिंचलकर बोल और सुन नहीं पाती. बावजूद इसके उन्होंने दसवीं के एग्जाम में सामान्य बच्चों की श्रेणी में 80% अंक हासिल किए. अर्पिता की मां वर्षा बताती हैं कि उनकी बेटी शुरू से ही बोल और सुन नहीं पाती लेकिन कभी भी उन्होंने उसे दिव्यांग नहीं समझा और लोगों को भी वह यही कहती थी, कि उनकी बेटी हर काम कर सकती है. ऐसे में उन्होंने उसे दिव्यांग कैटेगरी में ना पढ़ाते हुए सामान्य बच्चों की तरह जनरल कैटेगरी में ही एग्जाम दिलवाया और बेटी ने मां बाप का नाम रोशन करते हुए 80% अंक हासिल कर 10वीं में प्रदेश के टॉप बच्चों में शुमार हुई. वर्षा कहती हैं कि अर्पिता के संग सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह जो याद करती है उसे 2 से 3 घंटे बाद भूल जाती है लेकिन उसे बार-बार उस चीज को याद कराया गया और सामान्य बच्चों के रूप में जब उसने एग्जाम दिया तो उसने ये उपलब्धि हासिल की. यह कहती हैं कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह ही समझे तो दिव्यांग बच्चे भी कई मुकाम हासिल कर सकते हैं.

जमीन पर जाकर करना होगा: काम मंच पर यूपीएससी के छात्रों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों की सेवा के साथ काम करने की सीख दी. जिस पर यूपीएससी एग्जाम में देश में 26 वी रैंक हासिल करने वाली गुंजिता अग्रवाल कहती हैं कि उनको भी यही लगता है कि अगर आमजन के लिए काम करना है तो जमीन पर जाकर ही काम करना होगा. ऐसे में यूपीएससी का एग्जाम तो एक जरिया होता है, यह शुरुआत है काम बहुत करना है. इसके लिए जमीन पर जाना और लोगों के बीच में जाना उन्हें भी पसंद है. अगर आप लोगों के बीच में जाएंगे तो उसके कारण ही देश और प्रदेश का डिवेलप होता है यह सिर्फ एक मौका है अपॉर्चुनिटी आपको बनानी है.

महिला और बच्चों के लिए काम करेंगी आयूषी: यूपीएससी में स्थान बनाने वाली आयुषी कहती हैं कि जिस तरह से शिवराज सिंह ने यहां पर बातें कहीं है, निश्चित ही बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं क्योंकि ईश्वर ने हमें एक दुर्लभ अवसर प्रदान किया है कि हम उसके जरिए देश की सेवा कर सकें. यह मात्र नौकरी नहीं, यह एक सर्विस है. देश की सेवा करना चाहती हैं मेरा सपना है कि पूरा जीवन देश को समर्पित करें. यहां बदलाव भी जरूरी है, मैं महिला और बच्चों के क्षेत्र में काम करना चाहती हूं उसके लिए सरकार भी काम कर रही है और उसी सेक्टर में मुझे भी काम करना पसंद है.

अधिकारियों की सोच में बदलाव: यूपीएससी में मुरैना के विकास गुप्ता की 468 रैंक लगी है. विकास कहते हैं कि पिछले कई सालों में जिस तरह से सर्विसेस या अन्य अधिकारियों की सोच रही है, उसमें अब बदलाव आया है. पहले के समय कई अधिकारी भ्रष्टाचार से भी जुड़े हुए होते थे, लेकिन आज के समय अधिकारी और की सोच और भावना में भी बदलाव आया है. वह चाहते हैं कि देश की सेवा में जाएं और यही हमारा भी उद्देश्य है.

नौनिहालों को सीख: यूपीएससी के छात्रों के सामने 10th और 12th के बच्चों को भी सम्मानित किया गया. इस पर यूपीएससी मैं रैंक 339 हासिल करने वाली आकांक्षा सिंह का इन युवाओं से कहना था कि यह बच्चे हमारे सामने हैं और उनके भी सपने हैं यूपीएससी में जाए. इसलिए मैं कहूंगी कि पढ़ाई करें सरकार भी आपके लिए कई सहयोग कर रही है. आप अपनी पढ़ाई जारी रखें और बिल्कुल भी ध्यान नहीं भटकाए. खासकर लड़कियों से कहूंगी कि पढ़ाई पर ही फोकस करें, घर के काम आदि तो होते रहते हैं. मैंने भी अपना प्राइवेट सेक्टर का जॉब छोड़ा है और मुझे लगता है कि मैं देश की सेवा के लिए बहुत कुछ कर सकती हूं इसलिए मुझे यह ईश्वर ने मौका दिया है.

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भोपाल। सम्मान पाने वाले कई छात्रों ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात की वकालत की. उनका कहना था कि फील्ड पर और जमीन पर जाकर ही यह सभी काम करेंगे तो वहीं कुछ यूपीएससी रैंकर्स का कहना था कि पहले के समय में अधिकारी भले ही भ्रष्टाचार में रहे हों लेकिन आज के समय के सर्विसेस के अधिकारी की सोच बदली है. वहीं 10वी में 80% हासिल करने वाली एक छात्रा जो बोल और सुन नहीं सकती उसने भी सामान्य कैटेगरी से यह रैंक हासिल की है. यूपीएससी और 10वीं, 12वीं के छात्रों के सम्मान समारोह में वह बच्चे भी सम्मानित हुए जो अपने आप में हैं कई कहानियां लेकर इस मुकाम तक पहुंचे.

अर्पिता का जज्बा देगा सीख: दसवीं में प्रदेश में सेकंड रैंक हासिल करने वाली अर्पिता चिंचलकर बोल और सुन नहीं पाती. बावजूद इसके उन्होंने दसवीं के एग्जाम में सामान्य बच्चों की श्रेणी में 80% अंक हासिल किए. अर्पिता की मां वर्षा बताती हैं कि उनकी बेटी शुरू से ही बोल और सुन नहीं पाती लेकिन कभी भी उन्होंने उसे दिव्यांग नहीं समझा और लोगों को भी वह यही कहती थी, कि उनकी बेटी हर काम कर सकती है. ऐसे में उन्होंने उसे दिव्यांग कैटेगरी में ना पढ़ाते हुए सामान्य बच्चों की तरह जनरल कैटेगरी में ही एग्जाम दिलवाया और बेटी ने मां बाप का नाम रोशन करते हुए 80% अंक हासिल कर 10वीं में प्रदेश के टॉप बच्चों में शुमार हुई. वर्षा कहती हैं कि अर्पिता के संग सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह जो याद करती है उसे 2 से 3 घंटे बाद भूल जाती है लेकिन उसे बार-बार उस चीज को याद कराया गया और सामान्य बच्चों के रूप में जब उसने एग्जाम दिया तो उसने ये उपलब्धि हासिल की. यह कहती हैं कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह ही समझे तो दिव्यांग बच्चे भी कई मुकाम हासिल कर सकते हैं.

जमीन पर जाकर करना होगा: काम मंच पर यूपीएससी के छात्रों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों की सेवा के साथ काम करने की सीख दी. जिस पर यूपीएससी एग्जाम में देश में 26 वी रैंक हासिल करने वाली गुंजिता अग्रवाल कहती हैं कि उनको भी यही लगता है कि अगर आमजन के लिए काम करना है तो जमीन पर जाकर ही काम करना होगा. ऐसे में यूपीएससी का एग्जाम तो एक जरिया होता है, यह शुरुआत है काम बहुत करना है. इसके लिए जमीन पर जाना और लोगों के बीच में जाना उन्हें भी पसंद है. अगर आप लोगों के बीच में जाएंगे तो उसके कारण ही देश और प्रदेश का डिवेलप होता है यह सिर्फ एक मौका है अपॉर्चुनिटी आपको बनानी है.

महिला और बच्चों के लिए काम करेंगी आयूषी: यूपीएससी में स्थान बनाने वाली आयुषी कहती हैं कि जिस तरह से शिवराज सिंह ने यहां पर बातें कहीं है, निश्चित ही बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं क्योंकि ईश्वर ने हमें एक दुर्लभ अवसर प्रदान किया है कि हम उसके जरिए देश की सेवा कर सकें. यह मात्र नौकरी नहीं, यह एक सर्विस है. देश की सेवा करना चाहती हैं मेरा सपना है कि पूरा जीवन देश को समर्पित करें. यहां बदलाव भी जरूरी है, मैं महिला और बच्चों के क्षेत्र में काम करना चाहती हूं उसके लिए सरकार भी काम कर रही है और उसी सेक्टर में मुझे भी काम करना पसंद है.

अधिकारियों की सोच में बदलाव: यूपीएससी में मुरैना के विकास गुप्ता की 468 रैंक लगी है. विकास कहते हैं कि पिछले कई सालों में जिस तरह से सर्विसेस या अन्य अधिकारियों की सोच रही है, उसमें अब बदलाव आया है. पहले के समय कई अधिकारी भ्रष्टाचार से भी जुड़े हुए होते थे, लेकिन आज के समय अधिकारी और की सोच और भावना में भी बदलाव आया है. वह चाहते हैं कि देश की सेवा में जाएं और यही हमारा भी उद्देश्य है.

नौनिहालों को सीख: यूपीएससी के छात्रों के सामने 10th और 12th के बच्चों को भी सम्मानित किया गया. इस पर यूपीएससी मैं रैंक 339 हासिल करने वाली आकांक्षा सिंह का इन युवाओं से कहना था कि यह बच्चे हमारे सामने हैं और उनके भी सपने हैं यूपीएससी में जाए. इसलिए मैं कहूंगी कि पढ़ाई करें सरकार भी आपके लिए कई सहयोग कर रही है. आप अपनी पढ़ाई जारी रखें और बिल्कुल भी ध्यान नहीं भटकाए. खासकर लड़कियों से कहूंगी कि पढ़ाई पर ही फोकस करें, घर के काम आदि तो होते रहते हैं. मैंने भी अपना प्राइवेट सेक्टर का जॉब छोड़ा है और मुझे लगता है कि मैं देश की सेवा के लिए बहुत कुछ कर सकती हूं इसलिए मुझे यह ईश्वर ने मौका दिया है.

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