भोपाल। यूपीएससी के एग्जाम में भोपाल की बेटियों ने भी स्थान बनाया है. इन बेटियों का कहना था कि परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं था. 73वीं रैंक हासिल करने वाली पल्लवी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई को ही नौकरी की तरह ट्रीट किया और 9 से 12 घंटे तक पढ़ाई वह करती थी, तो 302 रैंक हासिल करने वाली भूमि श्रीवास्तव कहती हैं कि परिवार के सहयोग सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं है.
भोपाल की पल्लवी ने पाई 73वीं रैक: यूपीएससी के नतीजे मंगलवार को घोषित हुए. जिसमें भोपाल की भी कई बेटियों ने स्थान हासिल कर शहर का नाम रोशन किया है. 73वी रैंक हासिल करने वाली पल्लवी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने पूरे पिपरेशन को ही नौकरी की तरह ट्रीट किया और 9 से 12 घंटे तक पढ़ाई करती थी. उनका कहना था कि उन्होंने तीन हिस्सों में अपने पढ़ाई के शेड्यूल को बना कर रखा था. जिस तरह से काम का एक शेड्यूल होता है, उसी तरह इन्होंने पढ़ाई का भी एक शेड्यूल बनाया और संडे का ब्रेक लेकर पढ़ाई को इस तरह से करती थी. जैसे नौकरी पर जा रही हो. जिसमें समय का ध्यान रखते हुए 9 से 12 घंटे तक रोज पढ़ाई करती थी.
लाइफ में सैक्रिफाइस करना सीखा: भोपाल की रहने वाली पल्लवी के पिता अजय मिश्रा हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हैं. जबकि उनकी माता रेनू मिश्रा प्रोफ़ेसर है. वही उनके बड़े भाई आदित्य मिश्रा इंदौर में आईपीएस अधिकारी हैं. पल्लवी बताती हैं कि परिवार में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल रहा और घर में सभी ने उनका सहयोग किया. भाई का सहयोग जिसमें सबसे ज्यादा रहा, वह उन्हें हर समय सपोर्ट करते और बताते कि क्या पढ़ना है और कैसे पढ़ना है. जबकि माता-पिता बचपन से ही उन्हें कुछ भी करने के लिए मना नहीं करते थे और हमेशा कहते थे कि बिटिया कुछ भी कर सकती है. इन्हीं को देखते हुए पल्लवी बताती हैं कि मैंने भी अपनी लाइफ में कई सैक्रिफाइस करना सीखा है, क्योंकि शुरू से देखा है कि माता-पिता अपने काम पर जाने के लिए किस तरह से सैक्रिफाइस करते हैं और अपना रूटीन निभाते हैं.
महिला उत्थान के लिए करेंगी काम: पल्लवी बताती हैं कि यूपीएससी की तैयारी के लिए कई स्टूडेंट सोशल मीडिया और नेटफ्लिक्स आदि से दूर रहते हैं, लेकिन पल्लवी ने इनके लिए पूरा समय निकाला. वह ज्यादातर न्यूज देखती थी, क्योंकि उससे करंट इश्यू के साथ वह खुद भी अपडेट रहती थी, लेकिन घर से बाहर कम ही निकलती थी और अधिकतर पढ़ाई और न्यूज मीडिया आदि से जुड़ी रहती थी. पल्लवी की 73वीं रैंक आई है और उन्हें उम्मीद है कि वह एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस के लिए सिलेक्ट होंगी. ऐसे में वह खुद भी एडमिनिस्ट्रेशन में ही जाना चाहती हैं. वह बताती हैं कि महिलाओं के उत्थान के लिए आगे चलकर वह काम करना चाहती हैं और उन्होंने समाज सेवा को ही चुना है, क्योंकि शुरू से ही वह घर में भी देखती आई है कि उनके भाई उनके माता-पिता किस तरह से समाज सेवा में जुड़े हुए हैं.
पल्लवी बताती हैं कि उन्होंने लॉ किया है, साथ में नौकरी भी की, लेकिन कोविड के दौरान उन्होंने अपने भाई को सेवा करते हुए देखा तो उन्होंने भी सोचा कि उन्हें ऐसा ही बनना है. 2020 के अंत में उन्होंने तैयारी की और पहली बार ज्यादा बेहतर नंबर ना आने के चलते दूसरी बार भी यूपीएससी का एग्जाम दिया और इस बार बेहतर रैंक पर आई. पल्लवी से पूछा गया कि वह एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस में अगर जाती है तो किस तरह से समाज में बदलाव की जरूरत महसूस करती हैं, तो उनका कहना था कि हमारी सरकार हमें पहले से ही फ्रेमवर्क दे चुकी है और जितने भी काम है उन पर लगातार काम हो रहा है, लेकिन वह चाहती हैं कि वह सोशल वर्क में रहते हुए महिला उत्थान के लिए काम करें.
भूमि ने हासिल की 302 रैंक: वहीं भोपाल की भूमि श्रीवास्तव ने यूपीएससी के एग्जाम में 302 रैंक हासिल की है. भूमि बताती है कि उन्होंने दूसरी बार एग्जाम दिया है, लेकिन इसकी तैयारी कई समय से कर रही थी. भूमि ने बताया कि इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाई हुई थी. भूमि बताती हैं कि उनकी माता और पिता शिवकुमार का उन्हें काफी सहयोग रहा. भूमि कहती हैं कि फिलहाल वह एक बार और इस एग्जाम को देंगी और इससे बेहतर रैंक हासिल करेंगी, क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज सेवा के क्षेत्र में जाने के लिए इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं है.