भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार 1 फरवरी को आम बजट 2023 पेश करेंगी. ऐसे में आम बजट को लेकर हर किसी के मन में बहुत जिज्ञासा है और सरकार से उम्मीद भी. सबसे ज्यादा उम्मीद महिलाओं को है. जिनका घर का बजट केंद्र सरकार के बजट पर निर्भर करता है. बजट को लेकर को लेकर महिलाएं,व्यापारी और शिक्षाविदों ने अपने-अपने सुझाव दिए. लोगों का कहना है कि सरकार को रसोई गैस के दाम कम करने चाहिए, अन्य सामानों पर लगने वाला टैक्स भी कम करना चाहिए.
गृहणियों को वित्तमंत्री से उम्मीद: भोपाल की रहने वाली प्रीति वत्स गृहणी हैं, उनके परिवार में पति के साथ 2 बेटे हैं. प्रीति कहती हैं कि जिस तरह से आए दिन रसोई गैस के दाम बढ़ जाते हैं उससे घर का बजट बिगड़ जाता है ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इस बार के बजट में रसोई गैस के दाम कम हो सकते हैं. प्रीति कहती हैं कि देश की वित्त मंत्री भी एक महिला है ऐसे में वह महिलाओं के दर्द को समझेंगी क्योंकि गैस सिलेंडर के साथ ही खाने की वस्तुओं के दाम बढ़ने से घर का बजट बिगड़ जाता है.
युवतियों की आस: इधर युवतियों को भी बजट से काफी उम्मीद है. सपना कहती हैं कि देश में 2024 में चुनाव है, वहीं इस साल भी मध्यप्रदेश के साथ कई राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में बजट में कई रियायत इन्हें मिलने की उम्मीद है. सपना का कहना है कि इस बार का जो बजट आएगा वह चुनावों को ध्यान में रखकर भी प्रस्तुत किया जाएगा. विनीता तारण कहती हैं कि तेल से लेकर किराने का सामान हर थोड़े दिन में महंगा हो जाता है ऐसे में तेल के दामों को सरकार को कम करना चाहिए.
बजट पर व्यापारियों का सुझाव: बजट को लेकर व्यापारियों के भी अपने सुझाव हैं, रियल स्टेट का काम करने वाले सर्वेश अग्रवाल कहते हैं कि वह पिछले कई सालों से रेत गिट्टी का काम कर रहे हैं लेकिन कोरोना के बाद से पिछले 2 सालों में इसके दामों में एकाएक कमी थी, तो कोविड के बाद जैसे तैसे इसमें थोड़ा उछाल आया, लेकिन बढ़े हुए टैक्स के कारण लोहे सीमेंट आदि के दामों में एकदम से बढ़ोतरी हो गई. जिसका असर इनके व्यापार पर भी पड़ा है. ऐसे में बजट में सरकार को व्यापारियों के हितों को भी ध्यान में रखते हुए उसे प्रस्तुत करना चाहिए.
सात समुंदर पार बैठे भारतीय को बजट से आस, जानें अप्रवासी भारतीयों की क्या है बजट से उम्मीदें
शिक्षा के क्षेत्र में हो बदलाव: आम बजट से शिक्षाविदों को भी खासी उम्मीद है. शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले आनंद सबधाणी कहते हैं कि इस बार के बजट में सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहिए. जिस तरह से पिछले 2 साल देखे हैं, कोविड के समय हर कोई ऑनलाइन पढ़ाई ही करता हुआ दिखाई दिया और उसके बाद से काफी बदलाव भी एजुकेशन में आए हैं. हर जगह डिजिटल होता जा रहा है. ऐसे में सरकार को इस दिशा में देश में कुछ डिजिटल स्कूल भी खोलने चाहिए. इन स्कूलों के माध्यम से बिना कॉपी किताब के डिजिटल पढ़ाई कराई जाए, जिससे बस्ते का बोझ भी कम होगा.