भोपाल। देश और प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण चल रही विषम परिस्थितियों के बीच फसलों को लेकर लगातार किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. फसल अब कटने के लिए तैयार है, लेकिन सभी जगह लॉकडाउन लागू होने की वजह से दूसरे राज्यों से हार्वेस्टर मशीन नहीं पहुंच पा रही है. जिस वजह से किसान लगातार परेशान हो रहे हैं. मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के सभी किसानों तक संदेश पहुंचाया है, कि सरकार सचेत है और किसानों के हितों की रक्षा हर हाल में की जाएगी, जो व्यवस्था बेहतर हो सकती है उसे हर हाल में किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेश के संगठन प्रभारी डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे विशेष रूप से चर्चा में शामिल हुए .
नहीं रुकेगी फसलों की कटाई
केन्द्रीय कृषि मंत्री तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के किसानों को आश्वस्त किया है कि, कोरोना महामारी के चलते किसानों के हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. यह सही है कि, अभी थोड़ा कष्ट किसानों को हो रहा है, लेकिन सरकार सचेत है और किसानों को उनका पूरा हक और राहत देने के लिए युद्ध स्तर पर कोशिश कर रही है. किसानी में आने वाली वस्तुओं जैसे बीज, कीटनाशक, उपकरण आदि की पूर्ति को आवश्यक सेवाओं में सम्मिलित किया गया है. इसके अलावा फसलों की कटाई नहीं रुके, इसके लिए मंत्रालय ने हार्वेस्टर मशीनों को एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाने की अनुमति दी है. दलहन और तिलहन की कटाई पूर्णता की ओर है और देश में गेहूं की कटाई भी 80 प्रतिशत हो चुकी है.
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जल्द शुरू होगी फसलों की खरीदी
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि, उपार्जन की दृष्टि से FCI और NAFED (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित) को तैनात कर दिया गया है. अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए राज्य सरकारें प्रस्ताव भेजती थीं और केंद्र सरकार उस पर मंजूरी प्रदान करती थीं, लेकिन कोरोना महामारी के इस दौर में राज्य सरकारों का समय जाया न हो, इसलिए केंद्र ने अपनी तरफ से राज्य सरकारों को ये आदेश दिए हैं, कि वे अपने यहां होने वाली दलहन और तिलहन की फसलों की 25 प्रतिशत तक खरीदी समर्थन मूल्य पर कर सकती हैं. गेहूं के लिए भी ये कहा गया है कि, सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर खरीदी शुरू करवा सकते हैं.
फसल ऋण का ब्याज जमा करने की तारीख बढ़ाई गई
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि, 31 मार्च तक अपना फसल ऋण बैंक में जमा करने वाले किसानों को केंद्र की तरफ से ब्याज में सब्सिडी दी जाती है . इस बार 31 मार्च की तारीख लॉकडाउन के बीच आ रही थी, जिसमें किसानों का अपनी उपज बेचना और बैंक तक आना संभव नहीं था, इसलिए ये तारीख 31 मई तक बढ़ा दी गई है. यानि 31 मई तक कर्ज की राशि बैंक में जमा कराने वाले किसानों को भी ब्याज सब्सिडी मिलेगी. खरीफ की बुवाई के लिए पर्याप्त खाद, बीज और कीटनाशक उपलब्ध रहें, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने की भी कोशिश कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को खाद्यान्न की कमी का सामना न करना पड़े, इसलिए उचित मूल्य दुकानों से तीन महीनों का राशन दिया गया है. इसके अलावा इन लोगों को तीन महीनों तक पांच किलो चावल, पांच किलो गेहूं और एक किलो दाल फ्री दी जाए, इसकी व्यवस्था भी की गई है.
7 करोड़ किसानों के खाते में पहुंची प्रधानमंत्री किसान योजना की राशि
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि, प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि पीएम किसान योजना की राशि की किश्त अप्रैल के पहले सप्ताह में किसानों को दे दी जाएगी. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि, 7 करोड़ किसानों के खातों में यह राशि पहुंच गई है. प्रधानमंत्री जनधन खातों में से 20 करोड़ चार लाख खाते महिलाओं के हैं. इन खातों में पैसे पहुंचाने की घोषणा प्रधानमंत्री ने की थी. इन खातों में 500-500 रुपए की किश्त पहुंच गई है और करीब 1000 करोड़ रुपए इन महिलाओं ने अपने खातों से निकाल भी लिए हैं. वृद्ध-विकलांग बंधुओं के खातों में 1000 रुपए पेंशन के रूप में दिए जाएं, इसकी कोशिश चल रही है और जल्द ही यह राशि पहुंच जाएगी.
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केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि, लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बनी रहे, इसकी कोशिश की जा रही हैं. जो प्रवासी मजदूर गांवों में आ गए हैं, वे ठीक से रह सकें, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही रास्तों में हुए मजदूरों के लिए भोजन, आवास, उपचार की व्यवस्था संबंधित राज्य सरकारें कर रही हैं. मनरेगा के अंतर्गत केंद्र की देय राशि राज्यों को दे दी गई है.
केंद्रीय सरकार की पूरी कोशिश है किसानों का नुकसान न हो
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि फलों की फसल भी आ गई है. आवाजाही बंद होने से दाम गिर गए हैं. केंद्र की MIS योजना में किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई का प्रावधान है. इसके अनुसार किसानों को हुए नुकसान की आधी भरपाई केंद्र और आधी राज्य सरकारें करती हैं. जिसके लिए राज्य सरकारों को आदेश कर दिए गए हैं. रेल मंत्रालय ने फल और दूसरे सामान तेजी से और समय पर एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाने का फैसला लिया है, इसके लिए काम किया जा रहा है. लॉकडाउन की स्थिति में भारत सरकार लगातार किसानों, गांव और गरीबों की परेशानी कम करने के लिए कोशिश कर रही है.
1600 से ज्यादा मंडिया हैं चालू
तोमर ने कहा कि, लॉकडाउन के इस दौर में भी 1600 से ज्यादा मंडियां चालू हैं, जिनमें काम हो रहा है. प्रोजेक्ट को और सशक्त बनाया है और कोशिश है कि, लोग मंडियों में आकर खरीदी कर सकें. राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि, वे ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं कि मंडी के बाहर भी खरीदी हो सके. स्वभाविक रूप से लॉकडाउन के कारण जल्दी खराब होने वाले उत्पादों को नुकसान हुआ है. फल और फूल उत्पादक किसानों को नुकसान हुआ है. सरकार की ओर से उनके नुकसान को कम करने की कोशिश की जा रही हैं. राज्य सरकारें इस मामले में सजग हैं और जो जरूरी कार्रवाई होगी, वो करेंगी.
हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाना
मंत्री तोमर ने कहा है कि, मजदूरों के दो-तीन प्रकार हैं. जो मजूदर रास्ते में फंसे हैं, वे स्थायी काम करने वाले हैं. दूसरे मजदूर कांट्रेक्ट लेबर हैं, जो कारखानों में ही काम करते हैं. तीसरे प्रकार के वे मजदूर हैं, जो फसलों की कटाई के लिए जाते हैं. ऐसे समय में हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाने की है, इसके लिए इन मजदूरों को जहां- तहां रोका गया है. उन्होंने कहा कि, किसी भी किसान, मजदूर और अन्य व्यक्ति को कष्ट न पहुंचे, इसके लिए केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है.