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रायपुर के अवैध बाल गृह से एमपी के 19 नाबालिग बच्चे कराये रिहा - twenty childrens freed Raipur

रायपुर के राखी इलाके में अवैध बाल गृह का संचालन हो रहा था. यहां से करीब 19 नाबालिग रिहा कराए गए हैं. अधिकांश बालक और बालिकाएं एमपी के मंडला जिले के हैं. पुलिस इस केस की जांच बाल तस्करी के एंगल से भी कर रही है.

illegal children home
अवैध बाल गृह
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Published : Jul 10, 2021, 6:46 PM IST

रायपुर/भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने रायपुर के राखी थाना के सेक्टर 19 में अवैध बाल गृह पर कार्रवाई की है. इस बाल गृह से कुल 19 नाबालिगों को रिहा कराया गया है. मुक्त कराए गए ज्यादातर बच्चे मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले बताए जा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि यह बाल गृह 20 दिन पहले शुरू किया गया था. पुलिस इस केस को बाल तस्करी के एंगल से भी देख रही है. सभी बच्चे सिंगल पैरेंट के हैं और उन परिवारों के हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिन बच्चों को छुड़ाया गया है, उनकी उम्र 7 से 10 साल के बीच है.

महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को सूचना मिली थी कि भिलाई के रिसाली की लाइफ शो फाउंडेशन (Life Show Foundation) अवैध रूप से बाल गृह का संचालन कर रही है. इस पर टीम ने मौके पर छापा मारा तो एक मकान में ये बच्चे मिले. मकान के सामने अनाथ आश्रम का बैनर (orphanage banner) लगाकर बच्चों को रखा जा रहा था. दस्तावेजों की जांच में पता चला कि नियमों के अनुसार बाल गृह का संचालन (operation of children of home) नहीं हो रहा था. सभी बच्चों को यहां अवैध रूप से रखा गया था.

Letter from Department of Women and Child Development
महिला एवं बाल विकास विभाग का पत्र

19 बच्चे कराए गए मुक्त

इस बाल गृह से कुल 19 बच्चे मुक्त कराए गए हैं. रिहा कराए गए नाबालिगों में 10 बालक और 9 बालिकाएं हैं. जिन्हें एक साथ रखा गया था. खास बात यह है कि इन सभी बच्चों में 18 मध्यप्रदेश के मंडला जिले के हैं, जबकि एक बच्चा बालाघाट के हैं. जबकि एक बच्चा बालाघाट का रहने वाला है. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम इसे बाल तस्करी से भी जोड़ कर देख रही है. इनके माता पिता की मृत्यु कैसे हुई यह पता नहीं चल पाया है. लिहाजा सवाल खड़े हो रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के पत्र के मुताबिक बच्चों को नियमों के खिलाफ रखा जा रहा था.

Letter from Department of Women and Child Development
महिला एवं बाल विकास विभाग का पत्र.

महज 20 दिनों से हो रहा था बाल गृह का संचालन

यह भी सामने आया कि जिन बच्चों को संस्था में रखा गया था, उनके संबंध में चाइल्ड लाइन (1098), पुलिस, सखी सेंटर (181), बाल संरक्षण इकाई या बाल कल्याण समिति (CWC) को किसी तरह की कोई सूचना तक नहीं दी गई थी। जबकि, बच्चा मिलने के 24 घंटे के अंदर ऐसी जानकारी देना जरूरी होता है. पूछताछ में यह भी पता चला कि संस्था महज 20 दिन से ही संचालित हो रही है. नियमानुसार, लड़के और लड़कियों को अलग-अलग न कर एक साथ, एक ही कमरे में रखा गया था. उन सभी को जमीन पर सुलाया जा रहा था

मासूम को कबीर आश्रम में छोड़कर भागी मां, सीसीटीवी में कैद हुई तस्वीर

सभी बच्चे मध्यप्रदेश के रहने वाले

विभाग की ओर से इस संबंध में राखी थाने (Rakhi police station) में कार्रवाई की जा रही है. बच्चों के लिए बनाए गए अनाथ आश्रम में कर्मचारी भी नहीं थे. वहां केवल एक रसोइया था. बताया जा रहा है कि ज्यादातर बच्चे मध्य प्रदेश के मंडला (Mandala district) के रहने वाले हैं. फिलहाल इस संबंध में और जानकारी जुटाई जा रही है. बरामद बच्चों में 10 लड़के और 10 लड़कियां बताए जा रहे हैं. बच्चों को माना स्थित CWC में पेश कर लड़कों को बाल गृह और लड़कियों को LOS गृह में भेजा गया है.

रायपुर/भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने रायपुर के राखी थाना के सेक्टर 19 में अवैध बाल गृह पर कार्रवाई की है. इस बाल गृह से कुल 19 नाबालिगों को रिहा कराया गया है. मुक्त कराए गए ज्यादातर बच्चे मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले बताए जा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि यह बाल गृह 20 दिन पहले शुरू किया गया था. पुलिस इस केस को बाल तस्करी के एंगल से भी देख रही है. सभी बच्चे सिंगल पैरेंट के हैं और उन परिवारों के हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिन बच्चों को छुड़ाया गया है, उनकी उम्र 7 से 10 साल के बीच है.

महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को सूचना मिली थी कि भिलाई के रिसाली की लाइफ शो फाउंडेशन (Life Show Foundation) अवैध रूप से बाल गृह का संचालन कर रही है. इस पर टीम ने मौके पर छापा मारा तो एक मकान में ये बच्चे मिले. मकान के सामने अनाथ आश्रम का बैनर (orphanage banner) लगाकर बच्चों को रखा जा रहा था. दस्तावेजों की जांच में पता चला कि नियमों के अनुसार बाल गृह का संचालन (operation of children of home) नहीं हो रहा था. सभी बच्चों को यहां अवैध रूप से रखा गया था.

Letter from Department of Women and Child Development
महिला एवं बाल विकास विभाग का पत्र

19 बच्चे कराए गए मुक्त

इस बाल गृह से कुल 19 बच्चे मुक्त कराए गए हैं. रिहा कराए गए नाबालिगों में 10 बालक और 9 बालिकाएं हैं. जिन्हें एक साथ रखा गया था. खास बात यह है कि इन सभी बच्चों में 18 मध्यप्रदेश के मंडला जिले के हैं, जबकि एक बच्चा बालाघाट के हैं. जबकि एक बच्चा बालाघाट का रहने वाला है. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम इसे बाल तस्करी से भी जोड़ कर देख रही है. इनके माता पिता की मृत्यु कैसे हुई यह पता नहीं चल पाया है. लिहाजा सवाल खड़े हो रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के पत्र के मुताबिक बच्चों को नियमों के खिलाफ रखा जा रहा था.

Letter from Department of Women and Child Development
महिला एवं बाल विकास विभाग का पत्र.

महज 20 दिनों से हो रहा था बाल गृह का संचालन

यह भी सामने आया कि जिन बच्चों को संस्था में रखा गया था, उनके संबंध में चाइल्ड लाइन (1098), पुलिस, सखी सेंटर (181), बाल संरक्षण इकाई या बाल कल्याण समिति (CWC) को किसी तरह की कोई सूचना तक नहीं दी गई थी। जबकि, बच्चा मिलने के 24 घंटे के अंदर ऐसी जानकारी देना जरूरी होता है. पूछताछ में यह भी पता चला कि संस्था महज 20 दिन से ही संचालित हो रही है. नियमानुसार, लड़के और लड़कियों को अलग-अलग न कर एक साथ, एक ही कमरे में रखा गया था. उन सभी को जमीन पर सुलाया जा रहा था

मासूम को कबीर आश्रम में छोड़कर भागी मां, सीसीटीवी में कैद हुई तस्वीर

सभी बच्चे मध्यप्रदेश के रहने वाले

विभाग की ओर से इस संबंध में राखी थाने (Rakhi police station) में कार्रवाई की जा रही है. बच्चों के लिए बनाए गए अनाथ आश्रम में कर्मचारी भी नहीं थे. वहां केवल एक रसोइया था. बताया जा रहा है कि ज्यादातर बच्चे मध्य प्रदेश के मंडला (Mandala district) के रहने वाले हैं. फिलहाल इस संबंध में और जानकारी जुटाई जा रही है. बरामद बच्चों में 10 लड़के और 10 लड़कियां बताए जा रहे हैं. बच्चों को माना स्थित CWC में पेश कर लड़कों को बाल गृह और लड़कियों को LOS गृह में भेजा गया है.

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