भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने डिंडोरी जिले में पत्थलगड़ी अभियान होने की बात कही है. दिग्विजय सिंह ने एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'पत्थलगड़ी अभियान के तहत यह शिला एमपी के डिंडोरी जिले में लगाई गई है. पास में जो खड़े हैं वे मेरे मित्र कुहक सिंह धुर्वे हैं जो इस अभियान में सक्रिय हैं'.
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि 'आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा को जो अधिकार संविधान ने दिया हुआ है उसे देश में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना का ही यह प्रावधान है जिसका मैं समर्थक हूं.'
क्या है पत्थलगड़ी
पत्थलगड़ी का अर्थ होता है पत्थर गाड़ना. आदिवासी समाज में एक व्यवस्था है जिसके तहत किसी खास मकसद को लेकर एक सीमांकन किया जाता है. लोगों के हित में इसका इस्तेमाल होता है. पत्थलगड़ी के तहत सरकारी संस्थानों और सुविधाओं को नकारने की बात भी की जाती है. पत्थलों को लगाकर ग्रामीण या पत्थलगड़ी समर्थक सांकेतिक रूप से इस बात की सूचना देते हैं कि देश का कानून यहां नहीं चलता.
सीआरपीसी और आईपीसी यहां पर लागू नहीं होते. गांवों के अंदर पुलिसबल सहित गैर-आदिवासियों को आने की इज़ाजत नहीं है और नई गठित ग्राम सभाएं कार्यकारी, न्यायपालिका और विधायिका तीनों की भूमिकाएं अपने हाथों में ले रही हैं.
संविधान की पांचवीं अनुसूची में मिले अधिकारों के सिलसिले में झारखंड के खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुछ इलाकों में पत्थलगड़ी कर (शिलालेख) इन क्षेत्रों की पारंपरिक ग्राम सभाओं के सर्वशक्तिशाली होने का ऐलान किया गया था. कहा गया कि इन इलाकों में ग्राम सभाओं की इजाजत के बगैर किसी बाहरी शख्स का प्रवेश प्रतिबंधित है. इन इलाकों में खनन और दूसरे निर्माण कार्यों के लिए ग्राम सभाओं की इजाजत जरूरी थी.
आदिवासियों के बीच गांव और जमीन के सीमांकन के लिए, मृत व्यक्ति की याद में, किसी की शहादत की याद में, खास घटनाओं को याद रखने के लिए पत्थर गाड़ने का चलन लंबे वक्त से रहा है.
आदिवासियों में इसे जमीन की रजिस्ट्री के पेपर से भी ज्यादा अहम मानते हैं. इसके साथ ही किसी खास निर्णय को सार्वजनिक करना, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने के लिए भी पत्थलगड़ी किया जाता है.