भोपाल। लंबे समय से चल रही मंत्रिमंडलों की अटकलों पर विराम लगता नजर आ रहा है. कहा जा रहा है कि 3 जनवरी को मंत्रिमंडल विस्तार होगा. जिसमें सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इन दो विधायकों की शपथ के बाद एक बार फिर से सिंधिया शिवराज पावर सेंटर बनेंगे.
तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह बन सकते हैं मंत्री
सिंधिया समर्थक विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के लिए साल 2021 शुभ माना जा रहा है. क्योंकि 3 जनवरी को इन दोनों में विधायकों को मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. जानकारी के अनुसार शपथ के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया भी भोपाल में रहेंगे. राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, राजसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा अन्य पदाधिकारी मौजूद रहेंगे.
सिंधिया शिवराज फिर बने पावर सेंटर
2018 विधानसभा चुनाव में सरकार गिराने के बाद शिवराज सिंह चौहान कमजोर दिखाई दे रहे थे. पावर सेंटर के रूप में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा आ रहे थे. कमलनाथ सरकार के दौरान यह तीनों नेता दिल्ली में ज्यादा सक्रिय थे. सत्ता परिवर्तन के दौरान भी इन तीनों नेताओं का पावर अलग अलग नजर आ रहा था. एक तरफ जहां सत्ता परिवर्तन में मुख्य भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा खुद को मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे देख रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को शिवराज सिंह चौहान का विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था. वहीं अमित शाह की टीम में शामिल कैलाश विजयवर्गीय को लेकर भी यह चर्चा थी कि शाह के करीबी होने का फायदा कैलाश को मिलेगा.वह मध्य प्रदेश में नए मुख्यमंत्री होंगे.
सरकार बनाने के बाद शिवराज ने तुलसी औऱ गोविंद को मंत्रिमंडल में किया था शामिल
हालांकि इन तीनों नेताओं की पावर असर नहीं कर पाई. सिंधिया समर्थक 22 विधायकों द्वारा अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में अपनी सरकार बनाई थी. सीएम शिवराज ने तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और मीना सिंह को मंत्री बनाया था. लेकिन विधायकी न होने की वजह से और बिना विधायक मंत्री बने रहने की छह महीने की समय सीमा खत्म होने के बाद तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने इस्तीफा दे दिया था.
संविधान के मुताबिक बिना विधायक 6 महीने से ज्यादा नहीं रह सकते मंत्री
संविधान के अनुच्छेद 164 के खंड 4 में प्रावधान है कि कोई मंत्री जो निरंतर 6 माह की अवधि तक राज्य के विधान मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रह सकता, इस हिसाब से तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के 06 महीने 21 अक्टूबर को पूरा हुआ था. जिसके बाद दोनों ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
सिंधिया समर्थकों ने दिया था इस्तीफा
तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया समर्थकों में सबसे खास माने जाते हैं, दोनों ही त्तकालीन कमलनाथ सरकार में मंत्री थे, लेकिन मार्च महीने में मध्यप्रदेश में हुए सियासी घटनाक्रम में सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने पद से इस्तीफा दे दिया था, वहीं होली के दिन सिंधिया भी कांग्रेस से इस्तीफा दिया था.जिसके बाद प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. उन 22 विधायकों में तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी थे. वहीं शिवराज सरकार बनने के बाद दोनों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
सीएम अपने दो करीबियों को भी बना सकते हैं मंत्री
कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इन दोनों विधायकों को मंत्री पद की शपथ के साथ ही शिवराज अपने चाहते नेताओं को भी इस दौरान वीटो पावर का इस्तेमाल कर दो लोगों को मंत्री बना सकते हैं. जिन्हें हाल ही में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के दौरे के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने राव से इन दोनों विधायकों का परिचय कराया था. जिनमें रामपाल सिंह और हरिशंकर खटीक शामिल हैं. अब देखना यह होगा कि 3 तारीख को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में 2 विधायकों के अलावा और कौन कौन मंत्री पद की शपथ लेता है.