भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक फैसले का विरोध मध्यप्रदेश में लगातार देखा जा रहा है. किन्नरों को ओबीसी आरक्षण देने का विरोध एक तरफ जहां ओबीसी वर्ग पहले से ही जता रहा है, वहीं अब इस फैसले के खिलाफ खुद किन्नर समाज खड़ा हो गया है. राजधानी भोपाल के मंगलवारा में किन्नर गुरुओं ने मोर्चा खोल लिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने सरकार से कहा कि हम अलग-अलग जाति से हैं, फिर कैसे एक जाति में शामिल हो सकते हैं. यह कहते हैं कि हम जैसा जीवन जी रहे हैं, उसमें ही खुश हैं, इन्हें नौकरी का कोई लालच नहीं है. वहीं उन्होंने समलैंगिक विवाह पर भी आपत्ति जताई है.
एक जाति में बंधकर नहीं रह सकते: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अप्रैल के इसी महीने में ट्रांसजेंडर को लाभ देते हुए इन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल किया है. जिसके माध्यम से उन्हें नौकरियों में भी आरक्षण दिया जाएगा. मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य बना है, जिसने ये पहल की है, लेकिन इसको लेकर किन्नर समुदाय में काफी नाराजगी है. भोपाल के मंगलवारा क्षेत्र की किन्नर गुरु सुरैया कहती हैं कि सरकार ने जो फैसला लिया है, वह बिना किन्नरों की सहमति के लिया है. इसको लेकर उनसे ना राय मांगी गई, ना मशवरा किया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया है वह सरासर गलत है. इनके यहां हर धर्म और समुदाय के किन्नर रहते हैं. यहां 7 जातियों के किन्नर इनके साथ निवास करते हैं. ऐसे में यह सभी एक विशेष जाति से जुड़ कर नहीं रहना चाहते. जिसको लेकर इनका विरोध है. सुरैया कहती हैं कि इनके साथ में रहने वाले कई किन्नर राजपूत है, ब्राह्मण हैं, वह खुद भी मुस्लिम हैं. ऐसे में एक जाति विशेष के तहत आकर यह ओबीसी में शामिल हो जाएंगे तो कैसे काम चलेगा. इस फैसले का इन्होंने पुरजोर विरोध किया है.
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समलैंगिक विवाह पर किन्नरों की आपत्ति: इधर एक अन्य किन्नर रानी कहती हैं कि इस फैसले का कई किन्नर स्वागत कर रहे हैं, लेकिन यह किन्नर ना होकर, गे और लैसबियन हैं. असलियत में वो किन्नर नहीं है. वह चाहते हैं कि उन्हें किसी भी तरह सरकारी लाभ मिल जाए. वहीं सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को लेकर भी सुनवाई चल रही है. इस पर भी सुरैया ने ऐसे विवाहों पर आपत्ति दर्ज कराई है. सुरैया का कहना है कि समलैंगिक विवाह सरासर गलत है. समलैंगिक विवाह नहीं होना चाहिए. ईश्वर ने जो व्यवस्था की है उसके तहत एक स्त्री और पुरुष को विवाह का अधिकार है. ऐसे में समलैंगिक विवाह करने से ऊपर वाले के नियम को नहीं बदलना चाहिए. वैसे भी किन्नर समलैंगिक विवाह करता है, तो वह जो दुआएं देता था वह दुआएं खत्म हो जाती है, क्योंकि किन्नर अगर वासना और इस तरह के जीवन की ओर अग्रसर होगा तो ईश्वर ने उसे जो दुआ देने की ताकत दी है, वह खत्म हो जाएगी. किन्नरों का कहना है कि सरकार के इस फैसले को लेकर यह भले ही सड़कों पर नहीं उतरेगी, लेकिन इनका विरोध जारी रहेगा और सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.