भोपाल। कोरोना काल के चलते पर्यटन इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. जिससे पर्यटन की मेन कड़ी माने जाने वाले पर्यटक गाइड को भारी परेशानी का समान करना पड़ रहा है. वे आज दाने-दाने को मोहताज हैं और अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
पर्यटक गाइडों को पर्यटन विभाग की तरफ से लाइसेंस एवं ट्रेनिंग दी जाती है. जिसके एवज में पर्यटक गाइडों से सालाना शुल्क भी वसूला जाता है. पर्यटक घूमने आते हैं और गाइड उन्हें घुमाते हैं. वहीं उनसे मिलने वाले पैसों से ही वे अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. पर्यटक विभाग इन गाइडों को कोई अन्य आर्थिक सहायता प्रदान नहीं करता है.
पर्यटक में आई कमी से गाइड परेशान
कोरोना लॉकडाउन के कारण भारत में और पूरे पर्यटक प्रदेशों में देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगी हुई है और कोई नहीं जानता यह पर्यटक कब आएंगे और कब से भारत का पर्यटन अपने चरम पर आ पाएगा. शासन द्वारा भी अभी पर्यटन को लेकर कोई भी नीति स्पष्ट नहीं की गई है. पर्यटकों के आने से गाइड और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े दुकानदार भी अच्छी कमाई कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
क्या कहते हैं गाइड
गाइड वंदना दुबे का कहना है कि उनकी रोजी रोटी का एकमात्र साधन पर्यटक ही हैं. वह अपने घर पर विदेशी पर्यटकों को भारतीय व्यंजन बनाना सिखाती हैं एवं ओरछा के महलों में पर्यटकों को घूमाती हैं. अब उन्हें यह रोजगार अंधकार में लगने लगा है साथ ही अब कब पर्यटकों की आवाजाही शुरु होगी इसका भी कोई अंदाजा नहीं है. वंदना का कहना है कि ऐसे में अगर शासन कोई मदद नहीं करता है तो उनके जैसे कई परिवार का भविष्य अंधकार में हो सकता है.
वहीं गायक संजय सिंह यादव बताते हैं की ओरछा में 70% रोजगार पर्यटन मात्र है. चाहे वह धार्मिक पर्यटन हो या विदेशी पर्यटन हो ओरछा की 90% अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही जुड़ी है. ऐसी स्थिति में अगर शासन ओरछा के पर्यटन व्यवसायियों की मदद नहीं करता है तो उनकी स्थिति दयनीय हो जाएगी.