रतलाम: आमतौर पर अधिक गर्मी और सर्दियों के मौसम में डॉग बाइटिंग के मामले बढ़ जाते हैं. मध्य प्रदेश में रोजाना डॉग बाइट के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. रतलाम जैसे शहर में डॉग बाइटिंग के प्रतिदिन 50 से अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं, कभी-कभी यह आंकड़ा 100 के पार पहुंच जाता है. यही हाल मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी है. हाल ही में ग्वालियर में आवारा कुत्तों ने 7 साल के मासूम बच्चे को 18 जगहों पर काट डाला.
बच्चे के शरीर पर 18 गहरे जख्म हैं और उसके शरीर पर डॉक्टर्स ने 107 टांके लगाए हैं. ऐसे में रेबीज़ की भयानक बीमारी का खतरा भी पीड़ित व्यक्ति को रहता है. जिसका एकमात्र समाधान रेबीज का वैक्सीन ही है.
- बीते हफ्ते छिंदवाड़ा में किशोरी की कुत्ते के काटने के 4 दिन बाद हो गई मौत
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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बीते हफ्ते 15 वर्षीय किशोरी की कुत्ते के काटने के 4 दिन बाद मौत हो गई. मृत्यु पूर्व उसमें रेबीज के लक्षण दिखे जबकि कुत्ते के काटने के बाद उसे वैक्सीन के शुरुआती डोज लगाए गए थे. डॉग बाइटिंग को हल्के में लेना या लापरवाही बरतना जानलेवा साबित हो सकता है. जिला अस्पताल रतलाम के विशेषज्ञ डॉक्टर कैलाश ने इसे लेकर ईटीवी भारत के साथ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की.
क्या है रेबीज की बीमारी
रेबीज एक न्यूरोट्रॉपिक वायरस है जो शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इसे हाइड्रोफोबीया या रेबीज की बीमारी कहते हैं. इसका वायरस मनुष्य में स्तनपायी जानवर जैसे कुत्ता, सियार, भेड़िया और चमगादड़ जैसे जानवरों के काटने से फैलता है. रेबीज एक लाइलाज बीमारी है जिसकी रोकथाम केवल वैक्सीन के माध्यम से की जा सकती है. इस बीमारी के लक्षण में तेज बुखार के साथ शरीर के अंगों में झुनझुनाहट, पानी से डर, लार या आंसू टपकना, भ्रम की स्थिति, कोमा में चले जाना एवं आक्रामक व्यवहार आदि है.
- यदि कुत्ता या जंगली जानवर काट ले तो सबसे पहले काटने वाले स्थान को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें. चूना या कोई घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल न करें.
- यदि हल्की खरोंच या छोटा घाव है तो टिंचर आयोडीन या घर में उपलब्ध डेटॉल अथवा साबुन लगाकर घाव को अच्छी तरह धोएं. नल की धार में घाव को करीब 5 मिनट तक धुलें.
- नजदीकी अस्पताल पहुंचकर वैक्सीन लगवाएं. डॉक्टर के परामर्श अनुसार घाव पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं. पट्टी ना बांधे.
- डॉक्टर द्वारा बताए गए वैक्सीन के पूरे शेड्यूल को पूरा करें. निर्धारित दिन पर टीके आवश्यक रूप से लगवाएं.
- यदि संभव हो तो जिस कुत्ते ने काटा है उस पर कुछ दिनों तक नजर रखें कि वह पागल तो नहीं हुआ या उसकी मौत तो नहीं हुई है.
- ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल में संपर्क करें.
क्या हैं रेबीज के लक्षण
- तेज बुखार होना और जानवर के काटे हुए स्थान पर झुनझुनाहट या सुन्न महसूस होना.
- हाइड्रोफोबिया यानी पानी से डर लगना.
- भ्रम की स्थिति बनना, मरीज द्वारा अजीब-अजीब हरकतें करना.
- आक्रमक व्यवहार नजर आना, लार टपकना और आंसू बहना.
- मरीज का अचानक कोमा में चले जाना
क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी हो सकता है रेबीज
डॉक्टर कैलाश बताते हैं "यदि वैक्सीन लगवाने में देरी हुई है अथवा रेबीज से संक्रमित जानवर द्वारा काटे जाने पर कैटेगरी 4 के अंतर्गत वैक्सीन की डोज नहीं लगाई गई है तो संभव है कि मरीज में रेबीज का संक्रमण हो जाए."
किन बातों का रखें ध्यान
विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष 25 हजार से 50 हजार लोगों की मौत रेबीज की वजह से होती है. कुत्ता या किसी जंगली जानवर के काटने पर कई बार लोग देशी नुस्खे जैसे घाव पर चूना आदि लगाते हैं, यह नहीं करना चाहिए. वहीं, ग्रामीण अंचल में लोग झाड़ फूंक भी करवाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. कुत्ते अथवा जंगली जानवर के काटने पर कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और रेबीज का टीका जरूर लगाना चाहिए.