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MP: भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में मृत मिली बाघिन, किया गया अंतिम संस्कार - बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व न्यूज

MP में एक और बाघ की मौत हुई है. ये मई महीने में राज्य में बाघ की दूसरी मौत है. इसके पहले बैतूल में 15 दिन के शावक की मौत हो गई थी. टाइगर की एक के बाद एक मौतों से वन विभाग में हडकंप है. इधर मचमाची नाम की टाइग्रेस की मौत को सामान्य मौत बताया जा रहा है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है.

symbolic picture of tiger death
बाघ मौत की प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : May 12, 2022, 2:08 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल शहर के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में एक 11 वर्षीय बाघिन मृत पाई गई. नेशनल पार्क के अधिकारी ने यह जानकारी दी. मचमाची नाम की टाइग्रेस को बुधवार को बीट गार्ड ने बेहोश पाया गया और जांच के बाद मृत घोषित कर दिया गया. पार्क के पशु चिकित्सक डॉ अतुल गुप्ता ने कहा कि 2018 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बचाए जाने के बाद बाघिन को वन विहार लाया गया था, जब वह सात से आठ साल की थी

बाघिन का हुआ अंतिम संस्कार: उन्होंने कहा कि टाइगर राष्ट्रीय उद्यान के वातावरण में समायोजित हो गई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से कुछ भी नहीं खाया था. हांलाकि इस वन प्रबंधन एक सामान्य मौत बता रहा है और खाना पीना छोड़ने को भी अपनी उम्र जी चुके जानवरों का मौत के पहले का सामान्य लक्षण बताया. पार्क अधिकारियों ने बाद में नियमों के अनुसार शव परीक्षण के बाद अंतिम संस्कार किया. अधिकारी ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का सही कारण पता चलेगा।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में टेरेटरी के चलते एक और बाघ की मौत, पोस्टमार्टम के बाद अधिकारियों की उपस्थिति में जलाया गया बाघ का शव

विसरा को सुरक्षित रखा गया: डॉ अतुल गुप्ता ने कहा कि बाघिन का विसरा और आंतरिक शरीर के अंगों को जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ एंड फॉरेंसिक एंड हेल्थ और भोपाल में पशु रोग परीक्षा प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा. इधर इस साल की शुरुआत से किसी ना किसी वजह से कई बाघों की मौते एमपी में हुई हैं. अभी इसी महीने बैतूल के जंगल में 15 दिन के शावक का शव मिलने से हड़कम्प मच गया था. PTI

भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल शहर के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में एक 11 वर्षीय बाघिन मृत पाई गई. नेशनल पार्क के अधिकारी ने यह जानकारी दी. मचमाची नाम की टाइग्रेस को बुधवार को बीट गार्ड ने बेहोश पाया गया और जांच के बाद मृत घोषित कर दिया गया. पार्क के पशु चिकित्सक डॉ अतुल गुप्ता ने कहा कि 2018 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बचाए जाने के बाद बाघिन को वन विहार लाया गया था, जब वह सात से आठ साल की थी

बाघिन का हुआ अंतिम संस्कार: उन्होंने कहा कि टाइगर राष्ट्रीय उद्यान के वातावरण में समायोजित हो गई थी, लेकिन पिछले दो दिनों से कुछ भी नहीं खाया था. हांलाकि इस वन प्रबंधन एक सामान्य मौत बता रहा है और खाना पीना छोड़ने को भी अपनी उम्र जी चुके जानवरों का मौत के पहले का सामान्य लक्षण बताया. पार्क अधिकारियों ने बाद में नियमों के अनुसार शव परीक्षण के बाद अंतिम संस्कार किया. अधिकारी ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का सही कारण पता चलेगा।

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विसरा को सुरक्षित रखा गया: डॉ अतुल गुप्ता ने कहा कि बाघिन का विसरा और आंतरिक शरीर के अंगों को जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ एंड फॉरेंसिक एंड हेल्थ और भोपाल में पशु रोग परीक्षा प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा. इधर इस साल की शुरुआत से किसी ना किसी वजह से कई बाघों की मौते एमपी में हुई हैं. अभी इसी महीने बैतूल के जंगल में 15 दिन के शावक का शव मिलने से हड़कम्प मच गया था. PTI

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