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लोगों के लिए मिसाल बना यह मदरसा, 40 सालों से की जा रही गौ-सेवा

चौड़ी गांव में बने मदरसे में इस्लाम की तामील के साथ-साथ गौ-सेवा भी की जा रही हैं. इसके साथ ही यहां पर एक डिस्पेंसरी भी है, जहां आसपास के लोगों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है.

40 वर्षों से की जा रही गौ-सेवा
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Published : Nov 20, 2019, 6:29 AM IST

भोपाल। राजधानी से 25 किलोमीटर दूर चौंडी गांव में एक मदरसा ऐसा भी है, जो इस्लाम की तामील के साथ मानवता की शिक्षा भी दे रहा है. हम बात कर रहे हैं जामिया इस्लामिया अरबिया मदरसा की, जहां पिछले 40 सालों से गौसेवा की जा रही है. इसके साथ ही इस मदरसे में एक डिस्पेंसरी भी है, जिसमें आसपास के ग्रामीणों का निशुल्क इलाज किया जाता है.

लोगो के लिए मिसाल बना मदरसा

इस मदरसे के संचालक मौलाना मोहम्मद अहमद साहब बताते हैं कि इस गौशाला का निर्माण 1980 में उनके पिता मौलाना अब्दुल रज्जाक साहब ने करवाया था. तब से निरंतर यहां गायों की सेवा की जा रही है. इसके साथ ही गायों के उपचार के लिए यहां नियमित रूप से डॉक्टर आते रहते हैं.

मदरसे की देखभाल करने वाले उस्ताद हाफिज मोहम्मद रईस खान बताते हैं कि सड़क पर घूमने वाली गायों को भी गौशाला मे शरण दी जाती है. यह मदरसा पूरे क्षेत्र के लिए मिशाल है, जहां बिना किसी भेदभाव के आसपास के ग्रामीणों का निशुल्क इलाज किया जाता है और ग्रामीण भी मदरसे की हरसंभव मदद के लिए हमेंशा तैयार रहते हैं.

भोपाल। राजधानी से 25 किलोमीटर दूर चौंडी गांव में एक मदरसा ऐसा भी है, जो इस्लाम की तामील के साथ मानवता की शिक्षा भी दे रहा है. हम बात कर रहे हैं जामिया इस्लामिया अरबिया मदरसा की, जहां पिछले 40 सालों से गौसेवा की जा रही है. इसके साथ ही इस मदरसे में एक डिस्पेंसरी भी है, जिसमें आसपास के ग्रामीणों का निशुल्क इलाज किया जाता है.

लोगो के लिए मिसाल बना मदरसा

इस मदरसे के संचालक मौलाना मोहम्मद अहमद साहब बताते हैं कि इस गौशाला का निर्माण 1980 में उनके पिता मौलाना अब्दुल रज्जाक साहब ने करवाया था. तब से निरंतर यहां गायों की सेवा की जा रही है. इसके साथ ही गायों के उपचार के लिए यहां नियमित रूप से डॉक्टर आते रहते हैं.

मदरसे की देखभाल करने वाले उस्ताद हाफिज मोहम्मद रईस खान बताते हैं कि सड़क पर घूमने वाली गायों को भी गौशाला मे शरण दी जाती है. यह मदरसा पूरे क्षेत्र के लिए मिशाल है, जहां बिना किसी भेदभाव के आसपास के ग्रामीणों का निशुल्क इलाज किया जाता है और ग्रामीण भी मदरसे की हरसंभव मदद के लिए हमेंशा तैयार रहते हैं.

Intro:नफरत के इस दौर में एकता की अनोखी मिसाल पेश करता मदरसा।
भोपाल। जामिया इस्लामिया अरबिया मदरसा भोपाल से 25 किलोमीटर दूर चौंडी गांव में स्थित है।
यह मदरसा इसलिए खास है क्योंकि यहां बच्चों को इस्लामी तालीम के अलावा गौ सेवा का पाठ भी पढ़ाया जाता है। इस मदरसे में 250 बच्चे पढ़ते हैं जो यही हॉस्टल में रहकर इस्लामी तालीम हासिल करते हैं और साथ ही गौशाला में मौजूद गायों का ध्यान भी रखते हैं।Body:मौलाना मोहम्मद अहमद साहब जो कि इस मदरसे के संचालक हैं बताते हैं कि इस गौशाला का निर्माण 1980 में उनके पिता मौलाना अब्दुल रज्जाक साहब द्वारा किया गया था तब से निरंतर यहां गायों की सेवा की जा रही है।
इस मदरसे के परिसर में एक निशुल्क डिस्पेंसरी भी है जहां आसपास के गांव के लोग निशुल्क उपचार एवं दवाएं प्राप्त करते हैं।
गायों के उपचार के लिए भी यहां नियमित रूप से डॉक्टर आते रहते हैं।
हाफिज मोहम्मद रईस खान जो के इस मदरसे के उस्ताद हैं बताते हैं की गौशाला मे रोड पर घूमने वाली गायों को भी शरण दी जाती है खाने-पीने का इंतजाम किया जाता है अगर उन्हें उपचार की जरूरत है तो डॉक्टर भी उपलब्ध कराया जाता है।
अब्दुल रशीद जो कि 25 वर्षों से इसी मदरसे में रहते हैं और गायों की निरंतर सेवा करते आ रहे हैं उनका बेटा मोहम्मद शाकिर जिसकी उम्र 20 साल है वे गायों के साथ ही पला बढ़ा है और मदरसे में ही तालीम हासिल की उसे गायों से बहुत स्नेह और लगाव है।Conclusion:तूमड़ा गांव के लोगो की नज़र में ये मदरसा भी है और मंदिर भी जहा नमाज़ भी पढ़ी जाती है बच्चो को तालीम भी दी जाती है और गौ माता की सेवा का पाठ भी पढ़ाया जाता है।
यहाँ के लोगो को बिना किसी भेदभाव के निशुल्क उपचार तो मिलता ही है साथ मे लोग मदरसे की और मदरसा प्रबंधन लोगो की हर संभव मदद करते है।
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