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MP में दुष्कर्म की कठोर सजा, फिर भी रोज हो रहे 14 रेप !

मध्यप्रदेश में दुष्कर्म जैसे अपराधों के लिए कठोर कानून मौजूद हैं. बावजूद इसके यहां हर रोज करीब 14 लड़कियों का रेप होता है.

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Published : Jan 25, 2021, 10:20 PM IST

भोपाल। इन दिनों हुईं दुष्कर्म और गैंग रेप की वारदातों से एक बार फिर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कड़े कानूनी प्रावधान भी इन घटनाओं पर लगाम लगाने में असफल दिखाई पड़ रहे हैं. प्रदेश में 12 साल की कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म की सजा फांसी है. ऐसे मामलों में करीब 30 आरोपियों को फांसी की सजा भी सुनाई जा चुकी है.लेकिन वारदातें कम नहीं हो रहीं हैं. विपक्ष राज्य सरकार की कानून व्यवस्था के लिए उठाए जा रहे कदमों को नाकाफी बता रहा है. वहीं सत्ता पक्ष इन घटनाओं के लिए विकृत मानसिकता वाले लोगों को जिम्मेदार ठहरा है.

एमपी में नहीं थम रहीं दुष्कर्म की वारदातें

हाल ही में दो आरोपियों को सजा-ए-मौत की सजा

14 मार्च 2019 को बंडा थाने में एक लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी. दूसरे दिन खेत में उसके सिर और धड़ अलग-अलग मिले थे. पुलिस ने गहरी छानबीन में दो सगे भाइयों और चाचा के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया था. मामले में बंडा न्यायालय ने आरोपी चाचा बंसीलाल और भतीजे राम प्रसाद को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई थी.

Rape statistics
रेप के आंकड़े

महिला अपराध से जुड़ी वारदातें

मध्य प्रदेश में पिछले 2 महीने में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है. हाल ही में महिलाओं और नाबालिक लड़कियों के साथ इस तरह की वारदातें देखने में आई हैं. सीधी में विधवा महिला के साथ दुष्कर्म, उमरिया में नाबालिग लड़की के साथ 9 लोगों द्वारा दुष्कर्म जैसी वारदातें सामने आई हैं.

मप्र में पिछले साल हुए महिला अपराध

मध्यप्रदेश में पिछले 8 महीनों में महिला अपराध के हजारों मामले दर्ज किए गए हैं. मध्यप्रदेश में हत्या के मामले 509, हत्या की कोशिश 207, मारपीट 9974, छेड़छाड़ 6479, अपहरण 5619,दुष्कर्म 3837,दहेज हत्या 519 और दहेज प्रताड़ना के 4604 मामले सामने आए हैं.

पांच साल में 27 हजार महिलाओं के साथ रेप

महिला अपराध शाखा की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 5600 सौ बलात्कार के मामले सामने आए हैं.अगर पिछले पांच साल के रेप के आंकड़ों को देखे तो पांच साल में 27 हजार से अधिक रेप और 15 हजार से करीब रेप की कोशिश के केस दर्ज हुए है.

मध्यप्रदेश में फांसी की सजा का कानून

मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने दिसंबर 2017 में कानून बनाया था कि 12 साल की लड़की या उससे कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर सजा-ए-मौत दी जाएगी.

सामाजिक जागरूकता के प्रयास

इन मामलों को लेकर सरकार प्रदेश की कानून व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था को भी दोषी मानती है। बढ़ते हुए महिला अपराध के आंकड़ों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जहां ऐलान किया है कि हर सरकारी कार्यक्रम कन्या पाद पूजन के साथ शुरू होगा. वहीं गृह विभाग सम्मान कार्यक्रम चला रहा है। जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान के लिए समाज को प्रेरित किया जा रहा है।

'मप्र में कानून व्यवस्था ध्वस्त, जंगलराज चल रहा है'

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि 'मैं समझता हूं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. केवल मुख्यमंत्री के बोल बस रहे हैं. जमीन में गाड़ दूंगा, टांग दूंगा... लेकिन आज तक कोई जमीन में गड़ा ना किसी को टांगा गया. वहीं अपराधियों और रेपिस्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. महिलाओं और बच्चियों के साथ लगातार दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं. अभी कल ही इंदौर में एक घटना सामने आई है. समाचार पत्र का एक पेज महिलाओं और बच्चों से छेड़छाड़ और दुष्कर्म की खबरों से भरा रहता है.भोपाल में ही 3 बच्चियां जो सुधार गृह में थी,उनकी तबीयत खराब हो गई है. एक की मौत हो गई. हमने सीबीआई जांच की मांग भी की थी. कहीं कुछ नहीं हो रहा है. मध्य प्रदेश में जंगलराज चल रहा है.

'लोगों की सोच में सुधार की जरूरत'

वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि विकृत मानसिकता के लोग हैं, जो समाज में विचरण कर रहे हैं. ये लोग ही इस तरह के कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं. इसके लिए आपने कहा की सजा जरूरी है. इसलिए सजा हुई है. लेकिन खास बात ये है कि समाज में जागरण जरूरी है. लिहाजा 'सम्मान' जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की मानसिकता बदलना है. औरत को भोग्य मानने वालों की सोच में बदलाव बहुत जरूरी है. सम्मान कार्यक्रम उसी दिशा में उठाया गया कदम है. फिर भी सुधरते नहीं है तो सजा-ए-मौत का प्रावधान तो है ही.

'सजा के बाद भी अपराधियों में डर नहीं'

अपराध को कम करने के लिए लोगों में भय का भाव लाना होगा. आज अपराधी जेल चला भी जाता है, तो उसे वहां वह सारी सुविधाएं मिलती हैं, जो उसे बाहर मिलती थीं. अपराधी को अहसास कराना होगा कि उसने गलत किया है.

ये कदम उठाए जाने की जरूरतः

आसान हो न्याय प्रक्रिया

प्रदेश की अदालतों में हजारों बलात्कार के मामले दबे पड़े हैं. न्याय की प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई है कि पीड़िताएं हताश हो जाती हैं. न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है. तभी न्याय मिल पाएगा. आज बलात्कार के मामलों को जल्द से जल्द निपटाने की जरूरत है.

न्याय मिलने में देरी

प्रदेश में न्याय की प्रक्रिया काफी धीमी है. आज कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, इसके लिए बजट बढ़ाना होगा, लेकिन इस तरफ सरकार की कोई भी इच्छाशक्ति नहीं दिखती है. हजारों मामले पेंडिग पड़े हैं.

यूं ही कुछ नहीं होता...

पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी सही- तरीके से निभानी होगी. कॉलेजों के बाहर अपनी गतिविधि बढ़ानी होगी और राह चलते लड़कियों पर फब्तियां कसने वालों पर कड़ाई से कार्रवाई करनी होगी. इन घटनाओं को यूं ही नहीं लेना चाहिए. लोगों को बताना होगा कि ये एक गंभीर अपराध है.

हेल्पलाइन को मजबूत बनाने की जरूरत

लड़कियों के लिए हेल्पलाइन की त्वरित सुविधा हो. जिस पर सूचना मिलने पर पुलिस फौरन हरकत में आए. आज प्रदेश में हेल्पलाइन की सुविधा तो है, लेकिन अक्सर फोन करने पर कोई उठाता ही नहीं है.

भोपाल। इन दिनों हुईं दुष्कर्म और गैंग रेप की वारदातों से एक बार फिर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कड़े कानूनी प्रावधान भी इन घटनाओं पर लगाम लगाने में असफल दिखाई पड़ रहे हैं. प्रदेश में 12 साल की कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म की सजा फांसी है. ऐसे मामलों में करीब 30 आरोपियों को फांसी की सजा भी सुनाई जा चुकी है.लेकिन वारदातें कम नहीं हो रहीं हैं. विपक्ष राज्य सरकार की कानून व्यवस्था के लिए उठाए जा रहे कदमों को नाकाफी बता रहा है. वहीं सत्ता पक्ष इन घटनाओं के लिए विकृत मानसिकता वाले लोगों को जिम्मेदार ठहरा है.

एमपी में नहीं थम रहीं दुष्कर्म की वारदातें

हाल ही में दो आरोपियों को सजा-ए-मौत की सजा

14 मार्च 2019 को बंडा थाने में एक लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी. दूसरे दिन खेत में उसके सिर और धड़ अलग-अलग मिले थे. पुलिस ने गहरी छानबीन में दो सगे भाइयों और चाचा के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया था. मामले में बंडा न्यायालय ने आरोपी चाचा बंसीलाल और भतीजे राम प्रसाद को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई थी.

Rape statistics
रेप के आंकड़े

महिला अपराध से जुड़ी वारदातें

मध्य प्रदेश में पिछले 2 महीने में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है. हाल ही में महिलाओं और नाबालिक लड़कियों के साथ इस तरह की वारदातें देखने में आई हैं. सीधी में विधवा महिला के साथ दुष्कर्म, उमरिया में नाबालिग लड़की के साथ 9 लोगों द्वारा दुष्कर्म जैसी वारदातें सामने आई हैं.

मप्र में पिछले साल हुए महिला अपराध

मध्यप्रदेश में पिछले 8 महीनों में महिला अपराध के हजारों मामले दर्ज किए गए हैं. मध्यप्रदेश में हत्या के मामले 509, हत्या की कोशिश 207, मारपीट 9974, छेड़छाड़ 6479, अपहरण 5619,दुष्कर्म 3837,दहेज हत्या 519 और दहेज प्रताड़ना के 4604 मामले सामने आए हैं.

पांच साल में 27 हजार महिलाओं के साथ रेप

महिला अपराध शाखा की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 5600 सौ बलात्कार के मामले सामने आए हैं.अगर पिछले पांच साल के रेप के आंकड़ों को देखे तो पांच साल में 27 हजार से अधिक रेप और 15 हजार से करीब रेप की कोशिश के केस दर्ज हुए है.

मध्यप्रदेश में फांसी की सजा का कानून

मध्य प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने दिसंबर 2017 में कानून बनाया था कि 12 साल की लड़की या उससे कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर सजा-ए-मौत दी जाएगी.

सामाजिक जागरूकता के प्रयास

इन मामलों को लेकर सरकार प्रदेश की कानून व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था को भी दोषी मानती है। बढ़ते हुए महिला अपराध के आंकड़ों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जहां ऐलान किया है कि हर सरकारी कार्यक्रम कन्या पाद पूजन के साथ शुरू होगा. वहीं गृह विभाग सम्मान कार्यक्रम चला रहा है। जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान के लिए समाज को प्रेरित किया जा रहा है।

'मप्र में कानून व्यवस्था ध्वस्त, जंगलराज चल रहा है'

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि 'मैं समझता हूं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. केवल मुख्यमंत्री के बोल बस रहे हैं. जमीन में गाड़ दूंगा, टांग दूंगा... लेकिन आज तक कोई जमीन में गड़ा ना किसी को टांगा गया. वहीं अपराधियों और रेपिस्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. महिलाओं और बच्चियों के साथ लगातार दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं. अभी कल ही इंदौर में एक घटना सामने आई है. समाचार पत्र का एक पेज महिलाओं और बच्चों से छेड़छाड़ और दुष्कर्म की खबरों से भरा रहता है.भोपाल में ही 3 बच्चियां जो सुधार गृह में थी,उनकी तबीयत खराब हो गई है. एक की मौत हो गई. हमने सीबीआई जांच की मांग भी की थी. कहीं कुछ नहीं हो रहा है. मध्य प्रदेश में जंगलराज चल रहा है.

'लोगों की सोच में सुधार की जरूरत'

वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि विकृत मानसिकता के लोग हैं, जो समाज में विचरण कर रहे हैं. ये लोग ही इस तरह के कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं. इसके लिए आपने कहा की सजा जरूरी है. इसलिए सजा हुई है. लेकिन खास बात ये है कि समाज में जागरण जरूरी है. लिहाजा 'सम्मान' जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की मानसिकता बदलना है. औरत को भोग्य मानने वालों की सोच में बदलाव बहुत जरूरी है. सम्मान कार्यक्रम उसी दिशा में उठाया गया कदम है. फिर भी सुधरते नहीं है तो सजा-ए-मौत का प्रावधान तो है ही.

'सजा के बाद भी अपराधियों में डर नहीं'

अपराध को कम करने के लिए लोगों में भय का भाव लाना होगा. आज अपराधी जेल चला भी जाता है, तो उसे वहां वह सारी सुविधाएं मिलती हैं, जो उसे बाहर मिलती थीं. अपराधी को अहसास कराना होगा कि उसने गलत किया है.

ये कदम उठाए जाने की जरूरतः

आसान हो न्याय प्रक्रिया

प्रदेश की अदालतों में हजारों बलात्कार के मामले दबे पड़े हैं. न्याय की प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई है कि पीड़िताएं हताश हो जाती हैं. न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है. तभी न्याय मिल पाएगा. आज बलात्कार के मामलों को जल्द से जल्द निपटाने की जरूरत है.

न्याय मिलने में देरी

प्रदेश में न्याय की प्रक्रिया काफी धीमी है. आज कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, इसके लिए बजट बढ़ाना होगा, लेकिन इस तरफ सरकार की कोई भी इच्छाशक्ति नहीं दिखती है. हजारों मामले पेंडिग पड़े हैं.

यूं ही कुछ नहीं होता...

पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी सही- तरीके से निभानी होगी. कॉलेजों के बाहर अपनी गतिविधि बढ़ानी होगी और राह चलते लड़कियों पर फब्तियां कसने वालों पर कड़ाई से कार्रवाई करनी होगी. इन घटनाओं को यूं ही नहीं लेना चाहिए. लोगों को बताना होगा कि ये एक गंभीर अपराध है.

हेल्पलाइन को मजबूत बनाने की जरूरत

लड़कियों के लिए हेल्पलाइन की त्वरित सुविधा हो. जिस पर सूचना मिलने पर पुलिस फौरन हरकत में आए. आज प्रदेश में हेल्पलाइन की सुविधा तो है, लेकिन अक्सर फोन करने पर कोई उठाता ही नहीं है.

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