भोपाल। राजधानी की शान बड़ा तालाब एक बार फिर सूखने की कगार पर आ पहुंचा है. आपको बता दें कि बड़ा तलाब न केवल राजधानी की शान है, बल्कि राजधानी की लाइफ लाइन भी है. इसके बारे में कुछ खास बातें हैं, जो बड़े तालाब को राजधानी की लाइफ लाइन होने का प्रमाण देती है.
1 एक हजार साल पुराना है बड़ा तालाब
बता दें कि बड़ा तालाब एक हजार साल पुराना मानव निर्मित तालाब है. शहर के एक बड़े हिस्से का मुख्य पेयजल स्त्रोत भी है. 1971 में बड़े तालाब को वेटलैंड का दर्जा भी मिल चुका है. 210 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी हर साल यहां आते हैं. वहीं 700 तरह की जलीय वनस्पति फ्लोरा तालाब में पाई जाती है, ऐसे में बड़े तालाब का दिनोंदिन सूखना बेहद चिंता का विषय है.
10 साल पहले भी बने थे यही हालात
तालाब का पानी 15 स्क्वॉयर किलोमीटर के दायरे में ही रह गया है, जबकि पहले जल का क्षेत्रफल 36 स्क्वॉयर किलोमीटर हुआ करता था. लोग बड़े तालाब को देखने के लिए दूर-दूर से आया करते हैं. बता दें कि 10 साल पहले 2009 में भी कुछ ऐसे ही हालात बने थे.
सीहोर को भी देता है पानी
बता दें कि बड़ा तालाब इतना बड़ा है कि प्रदेश के 2 जिलों में इसका फैलाव है भोपाल और उसके पड़ोसी जिले सीहोर में. इसके किनारे पर कई एकड़ के खेत हैं, जिनमें सिंचाई का पूरा दारोमदार इसी बड़ी झील से होता है.
गहरीकरण के अलावा नहीं हो रहा कोई काम
तालाब की पूरी तरह सूखने के बाद प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती अतिक्रमण रोकने की हो जाती है पिछले महीने नगर निगम और जिला प्रशासन की जांच में बड़े तालाब के अप्रैल के भीतर 573 अतिक्रमण के मामले सामने आए थे. बड़े तालाब के जलस्तर को देखते हुए नगर निगम ने गहरीकरण करने की तैयारी भी की लेकिन पिछले 3 महीने से तालाब के संरक्षण के नाम पर कुछ हिस्सों में गहरीकरण करने के अलावा कोई खास काम नहीं हो रहा है.
अगर ऐसे ही हालात रहे तो तकिया टापू जहां पहले लोग नाव का इस्तेमाल करके जाया करते थे कुछ समय बाद वहां तक पैदल जाया जा सकेगा. अब ऐसे में देखना ये होगा कि बड़े तालाब के कम होते जलस्तर पर नगर निगम भोपाल क्या कदम उठाती है.