भोपाल। कोरोना संकट के बीच राजधानी में एक ऐसी टीम है, जो लोगों की जिंदगी बचाने की मुहिम में जुटी हुई है. प्लाज्मा उपलब्ध कराने के लिए कुछ युवा दिन रात मेहनत कर रहें, इनकी टीम अब तक 1500 लोगों से संपर्क कर चुकी है. इनमें से 300 लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार भी हैं. वहीं 41 लोग प्लाज्मा डोनेट भी कर चुके हैं.
प्लाज्मा डोनेशन के लिए ऐसे करते हैं काम
दरअसल, ये टीम जिला क्राइसिस कमेटी से मिली सूची के आधार पर लोगों से संपर्क करते हैं. टीम के सदस्य लोगों को तैयार करते हैं कि वह तो ठीक हो चुके हैं अब दूसरे का जीवन भी बचाना चाहिए. "ड्रीम भोपाल ग्रीन भोपाल" के ग्रुप फाउंडर मेंबर स्पर्श द्विवेदी ने बताया कि हम सब मिलकर प्लाज्मा डोनेट करने वालों से संपर्क करते हैं. जिला प्रशासन से हमें सूची प्राप्त होती है एक बार में करीब 300 लोगों की सूची मिलती है, जोकि कोरोना संक्रमण से ठीक होकर होम आइसोलेशन में रहते हैं. इनसे संपर्क किया जाता है फिर इन्हें मोटिवेट कर प्लाज्मा डोनेशन के लिए तैयार करते हैं.
ऐसे काम करती है टीम
टीम के लोगों ने बताया कि जिला क्राइसिस कमेटी के प्रमुख फैज अहमद किदवई का इस कार्य में बड़ा सहयोग रहा है, जो उन्हें ऑथेंटिक सूची उपलब्ध कराते हैं. टीम सदस्य आशीष मिश्रा, मीता वाधवा, दीपा सोनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. आशीष मिश्रा डॉक्टर से कंसर्न करने के बाद मरीजों को मोटिवेट करते हैं. मीता काउंसलिंग करती हैं, जिससे लोग प्लाज्मा डोनेट करने को राजी हो जाते हैं. सबसे अहम जिम्मेदारी दीपा सोनी की है, जोकि सूची में शामिल लोगों से फोन के माध्यम से संपर्क करती हैं. उनके सवाल सुनती हैं, और उन्हें समझाने का काम करती हैं. साथ ही भरोसा दिलाती हैं की प्लाज्मा डोनेट करने से किसी और का जीवन कैसे बचाया जा सकता है.
बढ़ रहा है प्लाज्मा डोनेट करने वालों का आंकड़ा
इस पूरी प्रोसेस में टीम के सदस्य पिछले 2 हफ्ते से लगे हुए हैं. 29 अप्रैल से यह काम शुरू किया गया है. टीम के पास लगातार प्लाज्मा डोनेट करने वाले लोगों का डाटा बढ़ता जा रहा है. 'ड्रीम भोपाल ग्रीन भोपाल' की टीम ने अपना नंबर भी जारी किया है, जिस पर लोग उनसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए संपर्क कर रहे हैं.
ब्लड ग्रुप को लेकर होती है परेशानी
ड्रीम भोपाल ग्रीन भोपाल के सदस्य बताते हैं की कई बार ए नेगेटिव , बी नेगेटिव और ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप के प्लाज्मा के लिए दिक्कत आती है साथ ही जो ओल्ड एज प्लाज्मा डोनर हैं उनको कन्वेंस करने में समय लग जाता है लोगों को डर रहता है कहीं प्लाज्मा डोनेट करने से उन्हें दोबारा कोरोना संक्रमण ना हो जाए साथ ही उन्हें कमजोरी होने की आशंका भी रहती है लेकिन उन्हें कन्वेंस कर काउंसलिंग के जरिए सारी बातें समझाई जाती हैं इस दौरान डॉक्टर्स की टीम भी हमारा सहयोग करती है.
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51 के सैंपल लिए 41 ने किया प्लाज्मा डोनेट
टीम के सदस्योंं ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब तक 51 लोगों के सैंपल कलेक्ट किए हैं. इनमें से 41 लोगों ने अपना प्लाज्मा डोनेट कर दूसरों को जीवन बचाने में सहयोग किया है. 10 लोग ऐसे हैं जिनकी एंटीबॉडी नहीं मिली, बाकी अन्य लोगों से भी सैंपल लिए जा रहे हैं.