ETV Bharat / state

माता का अनोखा मंदिर जहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं चप्पल - कोलार

राजधानी के कोलार क्षेत्र में पहाड़ी पर बसा मां का मंदिर अनोखा है. कहते हैं कि माता रानी इस मंदिर में बाल स्वरूप में मौजूद हैं. इसलिए श्रद्धालु मां के बाल स्वरूप को फ्रॉक, चश्मा और चप्पल भेंट करते हैं.

एक अनोखा मंदिर जहां मां को भेंट में चढ़ाई जाती है चप्पल
author img

By

Published : Apr 14, 2019, 11:19 AM IST

भोपाल| मां दुर्गा के कई रूप देखें हैं लेकिन राजधानी में मां का एक ऐसा रूप है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. यह रूप है मां का बाल स्वरूप. खास बात तो ये है कि मां के इस मंदिर में फ्रॉक और चप्पल चढ़ाने की परंपरा है.

एक अनोखा मंदिर जहां मां को भेंट में चढ़ाई जाती है चप्पल

कोलार क्षेत्र में स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. कहते हैं कि इस मंदिर नें मां बालस्वरूप में मौजूद हैं. मान्यता है कि मां के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं. क्योंकि इस मंदिर में मां बाल्यरूप में मौजूद हैं इसलिए उन्हें वही चीजें पसंद है जो बच्चों को होती हैं. इसलिए भक्त चढ़ावे में फ्रॉक, चश्मा और चप्पल जैसी चीजें चढ़ावे में देते हैं.

पुजारी बताते हैं कि श्रद्धालु अपनी मनेकामना पूरी होने पर चप्पल चढ़ाते हैं. इस मंदिर का निर्माण 25 साल पहले एक पहाड़ी पर हुआ था तब से ही नवरात्र में कई भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

भोपाल| मां दुर्गा के कई रूप देखें हैं लेकिन राजधानी में मां का एक ऐसा रूप है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. यह रूप है मां का बाल स्वरूप. खास बात तो ये है कि मां के इस मंदिर में फ्रॉक और चप्पल चढ़ाने की परंपरा है.

एक अनोखा मंदिर जहां मां को भेंट में चढ़ाई जाती है चप्पल

कोलार क्षेत्र में स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. कहते हैं कि इस मंदिर नें मां बालस्वरूप में मौजूद हैं. मान्यता है कि मां के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं. क्योंकि इस मंदिर में मां बाल्यरूप में मौजूद हैं इसलिए उन्हें वही चीजें पसंद है जो बच्चों को होती हैं. इसलिए भक्त चढ़ावे में फ्रॉक, चश्मा और चप्पल जैसी चीजें चढ़ावे में देते हैं.

पुजारी बताते हैं कि श्रद्धालु अपनी मनेकामना पूरी होने पर चप्पल चढ़ाते हैं. इस मंदिर का निर्माण 25 साल पहले एक पहाड़ी पर हुआ था तब से ही नवरात्र में कई भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

Intro: ( स्पेशल स्टोरी चप्पल वाली माता)


माता का अनोखा मंदिर जहां चढ़ाई जाती है माता को चप्पल


भोपाल | राजधानी भोपाल में वैसे तो मां दुर्गा के कई मंदिर बने हुए हैं लेकिन राजधानी के कोलार क्षेत्र में स्थित एक मंदिर पूरी दुनिया में मशहूर है कोलार क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर करीब 20 से 25 वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था यह मंदिर यहां की जाने वाली पूजा और चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को लेकर ज्यादा चर्चा में रहता है दरअसल इस मंदिर में मां दुर्गा को चप्पल , फ्रॉक, चश्मा इत्यादि सामग्री चढ़ाई जाती है इस मंदिर में साल भर भक्तों की कतार लगी रहती है माता के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 200 के करीब सीढ़ियां चढ़ना होती है . इस मंदिर को पहाड़ों वाली माता के नाम से जाना जाता है और नवरात्र के समय इस मंदिर में ना केवल राजधानी भोपाल के लोग बल्कि दूरदराज प्रदेश के लोग भी यहां पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं इस मंदिर में कई लोगों के द्वारा माता रानी को विदेशों से भी अपनी मन की मुराद पूरी होने पर सैंडल भेजी जाती है .


Body:मंदिर के पुजारी हरिशंकर तिवारी ने बताया कि जिस समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था उस समय यहां पर केवल पहाड़ी थी इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कोई विकास नहीं हुआ था और उस समय इस मंदिर पर लोगों का कम ही आना जाना था क्योंकि लोगों को इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे जैसे लोगों को इस मंदिर की जानकारी होना शुरू हुई यहां पर लाखों की संख्या में भक्तों का आना भी शुरू हो गया मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता को चप्पल , फ्रॉक, सैंडल और चश्मा इसलिए चढ़ाया जाता है क्योंकि वह यहां पर बाल स्वरूप में स्थापित की गई है .


पुजारी ने बताया कि माता को एक बच्चे के समान ही सारी सुविधाएं दी जाती है क्योंकि वहां पर बाल स्वरूप है इसलिए उनको उनके हिसाब से ही चीजें चढ़ाई जाती हैं कई लोगों की मन की मुराद जब पूरी होती है तो वह लोग भी यहां पहुंचकर अपनी श्रद्धा अनुसार चप्पल सैंडल चलाते हैं मां दुर्गा की स्थापना बालस्वरूप में होने की वजह से उनका सभी प्रकार का सिंगार भी विशेष तौर पर किया जाता है उन्होंने बताया कि बालस्वरूप स्थापित पहाड़ों वाली माता का श्रृंगार भी अलग अलग मौसम के हिसाब से किया जाता है इसमें गर्मी सर्दी और बारिश के मौसमों के लिए हर तरह की अलग अलग श्रृंगार की व्यवस्था की गई है .


Conclusion:पहाड़ों वाली माता के दर्शन करने के लिए आए निशा का कहना है कि यह मंदिर कई वर्षों पुराना है और वे यहां पर बचपन से आ रहे हैं उस समय यह मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था लेकिन आप इस मंदिर में काफी डेवलपमेंट हो गया है पहले यहां आने के लिए चिड़िया नहीं थी उस समय पहाड़ पर चढ़कर ही दर्शन के लिए आना होता था उस समय काफी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता था लेकिन अब यहां पर भक्तों के लिए चिड़िया बना दी गई है जिससे यहां पहुंचना आसान हो गया है . यहां पर माता बाल स्वरूप में स्थापित की गई है इसीलिए उन्हें बच्चों के समान ही श्रृंगार की चीजें श्रद्धा अनुसार चढ़ाई जाती है .

वहीं भोपाल में रहकर पढ़ाई कर रही मीनाक्षी का कहना है कि इस मंदिर के बारे में उन्होंने सोशल मीडिया पर काफी पढ़ा है यह मंदिर केवल भोपाल में ही नहीं बल्कि आज दुनिया में मशहूर है हम भी मंदिर में दर्शन करने के लिए आए हैं क्योंकि हमारे अंदर भी एक उत्सुकता थी कि आखिर माता के मंदिर में कोई उन्हें चप्पल कैसे चला सकता है लेकिन जब हम मंदिर आए और हमने यहां पर दर्शन कर जानकारी प्राप्त की तो हमारी जिज्ञासा शांत हो गई .

वहीं अन्य भक्तों ने भी बताया कि इस मंदिर पर आने के बाद मानव मन को एक अलग सी शांति मिलती है यहां आने वाले कई भक्तों कई तरह की मुरादे मांग कर जाते हैं और जब उनकी भाई मुराद पूरी हो जाती है तो श्रद्धा अनुसार माता को फ्रॉक, चप्पल , सैंडल इत्यादि सामग्री चढ़ाई जाती है .


बताया जाता है कि कोलार के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के आसपास सीहोर का घना जंगल लगा हुआ है और अक्सर यहां पर पहले बाघ का आना जाना लगा रहता था मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है लेकिन इसके पीछे घना जंगल बसा हुआ है यही वजह है कि शेर एवं अन्य जीव जंतु इस मंदिर तक भी आ जाया करते थे लेकिन जैसे-जैसे इस क्षेत्र में आबादी बढ़ती गई वन्यजीवों का यहां आना बंद हो गया है .
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.