भोपाल। कोविड-19 संक्रमण अब तक कई लोगों की जान ले ली है. इसके बावजूद भी प्रशासनिक अमला लोगों की मदद करने में पूरी ताकत के साथ जुड़ा हुआ है तो वहीं राजधानी में पदस्थ तहसीलदार के द्वारा मानवता की एक नई मिसाल पेश की गई है, जब बेटे ने कोरोना वायरस से पीड़ित पिता की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने से ही इंकार कर दिया तो तहसीलदार ने पूरे विधि विधान के साथ उस व्यक्ति का दाह संस्कार किया है.
ये था पूरा मामला
शुजालपुर के रहने वाले प्रेम सिंह मेवाडा कोरोना संक्रमण से पीड़ित थे और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उनका उपचार राजधानी के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा था. उपचार के दौरान 2 दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई थी. मृत्यु उपरांत प्रशासन द्वारा इसकी सूचना उनके परिजनों को दी गई थी, लेकिन मेवाड़ा का पुत्र अंतिम संस्कार करने से डर रहा था. हालांकि प्रशासन की ओर से उसे पीपीई किट्स मुहैया कराई जा रही थी, लेकिन पुत्र ने उसे भी पहनने से इंकार कर दिया. उसका कहना था कि उसे इस बात का संज्ञान नहीं है कि इस को किस तरह से पहनना है और इसका किस तरह से इस्तेमाल करना है.
मृतक के परिजनों ने बॉडी लेने से किया था मना
प्रेम सिंह मेवाडा के सुपुत्र संदीप मेवाड़ा और उनके परिवार वालों ने मृतक की बॉडी को लेने से मना कर दिया था. ऐसी परिस्थितियों में कोई भी मृतक की बॉडी उठाने और अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हो रहा था. ऐसी विषम परिस्थितियों में बैरागढ़ तहसीलदार गुलाब सिंह बघेल ने खुद आगे आकर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया .
तहसीलदार ने निभाया बेटे का फर्ज
प्रेम सिंह मेवाड़ा का शव पिछले 2 दिनों से मसूरी में रखा हुआ था और उनका परिवार शव लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा था. मृतक की पत्नी और उनके साले भी पीछे हट गए, जबकि आज अंतिम संस्कार किया जाना था और उसके लिए पूरी व्यवस्थाएं कर ली गई थीं. जब परिवार के लोग अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं हुए तब बैरागढ़ तहसीलदार गुलाब सिंह बघेल ने मृतक को पुत्र बनकर मुखाग्नि दी.
भोपाल कलेक्टर ने की तारीफ
इस दौरान उन्होंने प्रोटोकॉल का भी पालन किया और पीपीई किट सैनिटाइजर और गर्ल्स का इस्तेमाल करते हुए ही मृतक का अंतिम संस्कार किया. इसके बाद उन्होंने विश्राम घाट पर ही स्नान भी किया और अपने आप को संक्रमण मुक्त किया. तहसीलदार के कार्य की सभी जगह प्रशंसा हो रही है. भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने भी उनकी तारीफ की है.