भोपाल। शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में पास होने के बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से नाराज शिक्षिकाओं ने भोपाल में प्रदर्शन किया. पहले महिला शिक्षिकाएं सीएम शिवराज को राखी देने बीजेपी कार्यालय पहुंची. बाद में इनसे मिलने कांग्रेस विधायक जीतू पटावारी पहुंचे थे, लेकिन इस दौरान उन्हें भी इनके विरोध का सामना करना पड़ा. शिक्षकों ने गो बैक के नारे लगाकर जीतू पटवारी को मौके से लौटा दिया.
"बहनों ने बुलाया तो राखी बंधवाने आया"
भोपाल में प्रदर्शन कर रहे चयनित शिक्षकों से मिलने पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और केके मिश्रा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कई महिला शिक्षिकाओं से राखी भी बंधवाई. हालांकि इस दौरान कुछ चयनित शिक्षक गो बैक के नारे भी लगाते हुए नजर आए. जिसके चलते जीतू पटवारी जल्द ही मौके से लौट गए. कुछ चयनिथ शिक्षकों ने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि "15 महीने की कांग्रेस की सरकार ने भी उन्हें कुछ नहीं दिया सिर्फ धोखा दिया और एक समय जीतू पटवारी ने उनसे मिलने से मना कर दिया था"
"सीएम राखी के मौके पर बहनों को उनका हक दे दे"
मौके पर पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि "चयनित शिक्षक बहनें और भांजिया अपने मामा शिवराज को राखी बांधने आई थी. तोहफे में उन्होंने सिर्फ नियुक्ति देने की मांग की थी. लेकिन मामा ने उनसे राखी नहीं बंधवाई. मुझे चयनित शिक्षिका बहनों को फोन आया इसलिए मैं यहां आया और उनसे राखी बंधवाई है" जीतू पटवारी ने कहा कि सीएम से मांग है कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. वो राखी के मौके पर सिर्फ इन बहनों को इनका हक दे दे.
जीतू पटवारी ने विरोध होने का किया खंडन
मौके पर विरोध होने और गो बैक के नारे लगने की बातों का जीतू पटवारी ने खंडन किया. पटवारी से कांग्रेस शासनकाल के दौरान किसी के मिलने नहीं जाने के आरोपों पर सवाल पूछा गया, तो उनका कहना था कि कांग्रेस के शासनकाल में पीसी शर्मा और अन्य जिम्मेदार मंत्री शिक्षकों से मिलने धरना स्थल पर जाते थे.
बीजेपी ऑफिस पहुंचकर सीएम को राखी बांधने की मांग की
इससे पहले चयनित महिला शिक्षिकाएं बीजेपी ऑफिस पहुंची थी, जहां उन्होंने सीएम शिवराज को राखी बांधने की मांग की थी. पुलिस ने इन शिक्षिकाओं को बैरिकेड लगाकर रोक दिया था. इस दौरान महिला शिक्षिकाएं वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गई थी. हालात ये हो गए थे कि शिक्षिकाएं अपनी मांगों को बताते-बताते रोने लगी और कुछ तो बेहोश हो गई. शिक्षिकाओं ने कैमरे के सामने ही उठक बैठक लगाकर सरकार से माफी मांगी, कि आखिर उनका दोष क्या है और क्यों उनकी मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं.
क्यों विरोध कर रहे हैं चयनित शिक्षक ?
2018 में विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षकों के 30 हजार पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. परीक्षा होने के बाद पास हुए शिक्षकों का चयन कर लिया गया और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन ये प्रक्रिया कोरोना समेत कई कारणों के चलते बीच में अटक गई. परीक्षा के 3 साल बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से परेशान चयनित शिक्षक अब विरोध-प्रदर्शन की राह पर उतर आए हैं.